राव चन्द्रसेन || राजस्थान इतिहास ((राणा सांगा, महाराणा प्रताप, मानसिंह, चंद्रसेन, रायसिंह, राजसिंह) RPSC & RSSMB Notes
भारत में मुगल सत्ता का संस्थापक बाबर था, जिसने 1526 ई. में पानीपत के प्रथम युद्ध में लोदी सुल्तान इब्राहीम लोदी को परास्त करके मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी। आगे के पृष्ठों में हम मुगलों के साथ राणा सांगा, राणा प्रताप, मानसिंह, चंद्रसेन व रायसिंह के संबंधों का अध्ययन करेंगे।
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राव चन्द्रसेन
राव चन्द्रसेन (1562-81 ई.) और मुगल
* चंद्रसेन जोधपुर के शासक राव मालदेव व झाला रानी स्वरूपदे का पुत्र था।
* चंद्रसेन का जन्म जुलाई, 1541 में हुआ था।
* चंद्रसेन अपने पिता का ज्येष्ठ पुत्र न था, किंतु उसके बड़े भाइयों राम व उदयसिंह के स्थान पर राव मालदेव ने चंद्रसेन को अपना उत्तराधिकारी बनाया था।
* मालदेव की मृत्यु के बाद उसकी इच्छानुसार 31 दिसम्बर 1562 ई. उसका छोटा बेटा चन्द्रसेन जोधपुर की गद्दी पर बैठा। चन्द्रसेन को अपने दो बड़े भाइयों राम और उदयसिंह के विरोध का सामना करना पड़ा।
* 1564 ई. में राम शाही सहायता लेने अकबर की शरण में चला गया। अकबर ने हुसैन कुली खाँ के नेतृत्व में एक सेना भेजकर जोधपुर पर अधिकार (1564 ई.) कर लिया।
- चंद्रसेन के भाई उदयसिंह ने भी चन्द्रसेन के विरूद्ध मोर्चा लिया, दोनों के मध्य लोहावट में संघर्ष हुआ जिसमें चन्द्रसेन ने उदयसिंह पर बरछी से भीषण प्रहार किया। जिसके फलस्वरूप वह घोड़े से गिर गया उसके साथी उसे किसी तरह घटनास्थल से बचाकर ले गये।
चंद्रसेन व अकबर का नागौर दरबार -
◇ 1570 के नागौर दरबार का आयोजन अकबर ने इसलिए किया गया था ताकि वह यह पता कर सके कि कौनसे राजपूत शासक उसके पक्ष में है और कौनसे विपक्ष में है।
* यहां लम्बे समय तक रुकने के लिए अकाल राहत कार्यों का बहाना लेकर अकबर ने नागौर दुर्ग में 'शुक्र तालाब' का निर्माण करवाया।
* इस दरबार में राजपूताने के बहुत से शासक शामिल हुए। कुछ प्रमुख व्यक्ति इस प्रकार से जैसलमेर से हरराय भाटी, बीकानेर से कल्याणमल व उसका पुत्र रायसिंह, कोटा से दुर्जनशाल हाड़ा, भद्राजूण से चन्द्रसेन, फलौदी से उदयसिंह आदि।
* 1570 ई. में अकबर के नागौर दरबार के दौरान चन्द्रसेन भी जोधपुर प्राप्ति की आशा से नागौर पहुँचा मगर अकबर का उसके भाइयों राम और उदयसिंह की ओर झुकाव देखकर उसने नागौर छोड़ दिया।
◇1572 ई. से 1574 ई. के बीच में अकबर ने जोधपुर का प्रशासन कल्याणमल के पुत्र रायसिंह को सौंपा दिया।
* चन्द्रसेन ने भाद्राजूण और सिवाना में रहकर मुगल सेना का सामना किया।
* 1573 ई. में चंद्रसेन के विरूद्ध अकबर ने शाहकुली खाँ के नेतृत्व में सेना भेजी, जिसमें जगतसिंह केशवदास मेड़तिया, बीकानेर का रायसिंह आदि भी शामिल थे। यह सेना सोजत में कल्ला राठौड़ को परास्त करके आगे बढ़ी, इस सेना के सिवाना आने पर चंद्रसेन फत्ता राठौड़ के हाथों में किले की रक्षा का भार छोड़कर स्वयं पहाड़ों में चला गया, मुगल सेना खाली हाथ रह गई।
* 1575 ई. में जलाल खाँ के नेतृत्व में एक बार पुनः सेना सिवाना पर आक्रमण हेतु भेजी गई, जलाल खाँ चंद्रसेन व उसके सहयोगी देवीदास के हाथों मारा गया।
* बाद में अकबर ने शाहबाज खाँ के नेतृत्व में सिवाणा को जीतने के लिए सेना भेजी, इस बार मुगल सेना सिवाणा (मारवाड़ की संकटकालीन राजधानी) को जीतने में सफल रही।
◇ इस कालखण्ड में चन्द्रसेन का परिवार पोकरण दुर्ग में था। अक्टूबर 1575 में जैसलमेर के हरराय भाटी ने सात हजार की सेना लेकर पोकरण दुर्ग को घेर लिया।
* इस समय पोकरण का प्रशासन पंचोल आनन्द के पास था।
* चार माह मेरा बंदी के बाद हरराय ने चन्द्रसेन से कहलवाया कि एक लाख फदिये में पोकरण दुर्ग मुझे दे दो जब जोधपुर तुम्हारे अधिकार में आये तों एक लाख फदिये (मुद्रा का एक प्रकार) देकर पोकरण वापस ले लेना, उस समय चन्द्रसेन की आर्थिक स्थिति खराब थी, उसने मांगलिया भोज को पोकरण भेजकर कहलवाया कि दुर्ग हरराय को सौंप दो इस प्रकार 19 जनवरी, 1576 को एक लाख फदिये में पोकरण दुर्ग भाटियों को दे दिया।
◆ विश्वेश्वरनाथ रेऊ ने चन्द्रसेन की तुलना महाराणा प्रताप से की है, जिसे उन्हीं समान मुगल शक्ति का सामना करना पड़ा और तमाम कठिनाईयों के बाद भी मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की।
* अपने अंतिम दिनों में चंद्रसेन ने सोजत को जीत लिया (1580 ई. में) और पाली में स्थित सारण के पर्वतों में सचियाय नामक स्थान पर अपना निवास बनवाया।
* यहीं 11 जनवरी 1581 ई. को उसकी मृत्यु हो गई। यही चंद्रसेन की समाधि बनी हुई है।
* जोधपुर राज्य की ख्यात के अनुसार चन्द्रसेन के एक सामंत वैरसल ने विश्वासघात कर भोजन में जहर दे दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई।
* रौव चन्द्रसेन अकबरकालीन राजस्थान का प्रथम स्वतन्त्र प्रकृक्ति का शासक था। इतिहास में समुचित महत्व न मिलने के कारण चन्द्रसेन को 'मारवाड़ का भूला बिसरा नायक' कहा जाता है। चंद्रसेन की मृत्यु के बाद उनका भाई उदयसिंह मारवाड़ का शासक बना।
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