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कृषि || राजस्थान की प्रमुख कृषि || राजस्थान भूगोल

  कृषि फसलों का वर्गीकरण   

प्रिय पाठकों,........इस पोस्ट में हमने  राजस्थान   भूगोल    के महत्वपूर्ण बिंदुओं को क्रमवार समाहित किया गया है। यदि आपको हमारे द्वारा किया गया यह प्रयास अच्छा लगा है, तो इस पोस्ट को अपने साथियों के साथ अवश्य साझा करें। आप अपने सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में दर्ज कर सकते है। जिससे हम  राजस्थान भूगोल  के आगामी ब्लॉग को और बेहतर बनाने की कोशिश कर सकें।

(A) मौसम के आधार पर -

Note :-  इस पोस्ट के  माध्यम से हम इसकी सम्पूर्ण जानकारी के बारे मे चर्चा करेंगे और हम इसके प्रमुख बिन्दु, बिन्दु का सार , और इसके बारे मे प्रमुख रूप से जानकारी को विस्तार से   चर्चा करेंगे ?

                                    1. खरीफ    

उपनाम - वर्षाकालीन/स्यालू/सावणू

जून-जुलाई में बोयी जाती है, सितम्बर-अक्टूबर में (दीपावली पर) कटाई होती है। यह वर्षाकाल की कृषि है जो दक्षिणी पश्चिमी मानसून पर निर्भर रहती है।

फसलें :- चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, गन्ना, मूंगफली, सोयाबीन, अरण्डी, तिल, अरहर, उड़द, मूंग, मोठ, चवला, लोबिया, ग्वार, चारा आदि।

                                   2. रबी     

उपनाम - शीतकालीन/उनालू

अक्टूबर-नवम्बर में बोयी जाती है, मार्च-अप्रैल में (होली पर) कटाई होती है।

शीतकालीन वर्षा (मावठ) इन फसलों के लिए लाभकारी है।

फसलें :- गेंहू, जौ, चना, मसूर, मटर, अलसी, सरसों, तारामीरा, सूरजमुखी, राई, जीरा, मैथी, धनिया, सौंफ, ईसबगोल, अफीम आदि।

                               3. जायद फसल     

यह फसल मार्च से मई के बीच पैदा की जाती है।

यह मुख्य रूप से ग्रीष्मकालीन फसल है।

फसलें - तरबूज, खरबूज, ककड़ी, कंद और सब्जियाँ आदि।

(B) उपयोग के आधार पर -

(i) दलहन फसलें - 

यह भूमि की उर्वरता बढ़ानेवाली फसले हैं। इनकी जड़ों में राइजोवियम (जीवाणु) पाया जाता है जो वायुमण्डल की नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलकर भूमि की उर्वरता को बढ़ाता है। अरहर इसका अपवाद है।

उदाहरण : चना, मसूर, मटर, मूंग, मोठ, उड़द, अरहर

(ii) नगदी फसले/व्यापारिक फसलें :-

कपास, गन्ना, सरसों, ग्वार, मूंगफली

(iii) तिलहन फसलें - 

सरसों, अलसी, राई, तारामीरा, तिल, मूंगफली, अरण्डी, सोयाबीन, सूरजमुखी (यह सभी फसलें है Plants नहीं)

Plants - जोजोबा, जैतून, जैट्रोफा

(iv) रेशेदार फसलें :- 

जूट, कपास, रेशम,

(v) खाद्यान्न फसलें -

 गेंहू, जौ, चावल, बाजरा, मक्का, ज्वार

                                     प्रमुख फसलें   

                                            गेहूँ (Wheat)   


- गेहूँ रबी की फसल में उत्पादित मुख्य खाद्यान्न फसल है,
- गेहूँ राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन वाली फसल है।
- क्षेत्रीय उपज के आधार पर गेंहू मेकरोनी (लाल) काठा, बाज्या सफेद, फार्मी आदि प्रकार का होता है।
- गेंहू राजस्थान में सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र वाली फसल है।
- रोग - करजवा, चेंपा, रतुआ, दुण्डु रोग, काला कीट, स्मट रोग
- वर्षा 50-70 सेमी व तापमान 10-20°c मिट्टी - जलोढ़
- मावठ गेहूँ की फसल के लिये लाभदायक है।
* किस्म - सोना कल्याण, मैक्सिकन सोना, शरबती, सोनालिका, कोहिनूर, राज. 1482, राज. 3077, राज. 3765, दुर्गापुरा 65, चम्बल 65, मंगला, लाल बहादुर, सोना 227, सोनेरा, हीरा, शेरा, सारण, चम्पारन, मालविका ।
* राज. 3077 - राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है।
* गेहूँ की सर्वाधिक उत्पादकता वाला जिला - अलवर
ध्यान रहे - कई सालों तक राजस्थान में सर्वाधिक गेहूँ उत्पादन वाला जिला गंगानगर रहा है इसलिए गंगानगर को अन्न का कटोरा/ राजस्थान का अन्न भंडार कहा जाता है।
* प्रदेश में गेंहूँ की दो प्रजातियाँ ट्रिटिकम एस्टीवम (चपाती गेहूँ) और ट्रिटिकम डुरूम (काठिया गेहूँ / मेकरोनी गेहूँ) की बहुतायत में खेती होती है।
* राजस्थान में काठिया गेहूँ के लिए उपयुक्त क्षेत्र- कोटा व उदयपुर संभाग
*  * प्रमुख उत्पादक जिले :-      गंगानगर ,  हनुमानगढ़ , अलवर,बूंदी। 

                                             चावल (Rice)



* चावल के लिए चिकनी दोमट मिट्टी और सर्वाधिक वर्षा उपयुक्त होती है।
* तापमान 20-30°c औसत वर्षा 100-150 सेमी
* मिट्टी कांप व चिकनी दोमट मिट्टी।
* रोग भूरी-चित्ती, तना गलन, गन्धीबग कीट।
* राजस्थान में धान (चावल) का कटोरा- गंगानगर
* चावल अनुसंधान केन्द्र - बांसवाड़ा
* सर्वाधिक उत्पादकता वाला जिला - कोटा
* किस्म - माही सुगंधा, बासमती, परमल, कावेरी, चम्बल, पूसा सुगंध, हंसा, करूणा, जया, प‌द्मा, कृष्णा, रत्ना, कॉची आदि।
* प्रमुख उत्पादक जिले :- बूंदी, हनुमानगढ़, कोटा व बारां

                                                   बाजरा    



* बाजरा गरीब का भोजन कहलाता है।
* यह राजस्थान में सर्वाधिक क्षेत्रफल में बोयी जाने वाला खाद्यान्न है तथा सर्वाधिक सूखा सहन करने वाली फसल है।
* बाजरा उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है।
* मिट्टी - रेतीली बलूई
* तापमान 35-40°c
◆ औसत वर्षा 40-50 सेमी।
* रोग- ग्रीन ईयर (हरित बाली)
* पकी फसल पर बरसात होने पर कण्डुआ रोग
 -  बाजरा   अनुसंधान केन्द्र - मंडोर (जोधपुर)
किस्मे:-   RCB-2, RCB-911, RHB-30, राज 171, बाजरा चरी 2. HB-3

- राजस्थान में सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला जिला -  बाड़मेर
- राजस्थान में मर्वाधिक उत्पादने वाला जिला -  अलवर
* राज्य में सर्वाधिक उत्पादकता वाला जिला - अलवर
* प्रमुख उत्पादक जिले - अलवर, जयपुर, दौसा व सीकर

                                                मका (Maize)   

- मका को 'अनाजों की रानी' कहा जाता है।
* मिट्टी नाइट्रोजन व जीवाश्म बाहुल्य, लाल पर्वतीय मिट्टी
* तापमान 20-30% औसत वर्षा 50-80 सेमी
* यह एक खाद्य तथा चारा फसल है। इसकी हरी पत्तियों से साईलेज चारा/पशु आहार बनाया जाता है,
* अरावली पर्वतीय क्षेत्र व राजस्थान के दक्षिणी भाग में मक्का का सर्वाधिक उत्पादन होता है। उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा तथा भीलवाड़ा राज्य के प्रमुख मक्का उत्पादक जिले है।
* किस्म:- माही कंचन, नवजोत, माही धवल मेघा, सविता, W- 126, अरूण, पूसा

* राज्य में सर्वाधिक उत्पादकता वाला जिला - चित्तौड़गढ़
* मक्का उत्कृष्टता केन्द्र - उदयपुर
* मक्का अनुसंधान केन्द्र - बांसवाड़ा
* मक्का विशिष्ट मंडी - निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़)

                                                         ज्वार    

* ज्वार को गरीब की रोटी तथा सोरगम भी कहा जाता है।
* तापमान 25-35°c वर्षा 50-60 सेमी
* ज्वार के तने को पशुचारा के रूप में उपयोग में लेते है।
* यह सूखा सहनशील फसल है अतः इसे क्रोप केमल कहते हैं।
* उपयोग बीयर व एल्कोहोल निर्माण में
* ज्वार अनुसंधान केन्द्र वल्लभनगर (उदयपुर)
* राज्य में सर्वाधिका उत्पादकता वाला जिला राजसमंद
* ज्वार मुख्यतः खरीफ की फसल है लेकिन दक्षिणी राज्यों में यह खरीफ व रबी दोनों ऋतुओं में उत्पादित होती है।
* प्रमुख उत्पादक जिले अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक व पाली
* किस्मे - CSH-5, SSG-359, स्वर्णा, राजस्थान चरी 1/2/3

                                                        जौ (Barley)    

* जौ को 'गरीब का अनाज' कहा जाता है।
* इससे शराब व बीयर बनायी जाती है, इसके अलावा जौ मधुमेह रोग के उपचार में व पशु आहार के रूप में काम में आता है। जौ का उपयोग 'माल्ट उद्योग' में भी किया जाता है।
* यह शुष्क व अर्द्धशुष्क जलवायु की फसल है।
* रोग:-  पीली गेली, भूरी रोली, मोल्या, चित्ती, आवर्त व अनावर्त कण्डवा।
* सर्वाधिक जो उत्पादकता वाला जिला - गंगानगर
* किस्म - ज्योति, राजकिरण, मोल्वा, करन, केदार, कैलास
* प्रमुख उत्पादक जिले:-  जयपुर, गंगानगर, सीकर व भीलवाड़ा।

                                                   दलहनी फसलें        

* दलहन उत्पादन व क्षेत्रफल में राजस्थान का द्वितीय स्थान है। दलहन भूमि को उर्वरकता प्रदान करती है क्योंकि ये फसलें मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाती हैं। अरहर इसका अपवाद है क्योंकि यह फसल उर्वरकता को कम करती है।
* विश्व दलहन दिवस - 10 फरवरी
* कुल दलहन उत्पादन में नागौर प्रथम व जोधपुर द्वितीय स्थान पर है।

                                                   मूंग (Mung)     

* मूंग भूमि की उर्वरा शक्ति बनाये रखता है, इसलिए यह भूमि सुरक्षा फसल भी कहलाती है।
* रोग - हाकमोथ
* प्रमुख उत्पादक जिले :  -     नागौर, जोधपुर, गंगानगर व चूरू।
* सर्वाधिक मूंग उत्पादकता वाला जिला - सीकर

                                                         मोठ       

◇ यह शुष्क व मरूस्थलीय क्षेत्र की फसल है तथा दलहनी फसलों
- सर्वाधिक सूखा सहन करने वाली फसल है।
- दलहनी फसलों में सर्वाधिक बोयी जाने वाली फसल है।
- प्रमुख उत्पादक जिले - बीकानेर, चूरू, जोधपुर व बाड़मेर

                                                     चना     


* अन्य नाम-  दालों का राजा/चिकपी/बंगाल ग्राम।
* चना ऐसी दलहन फसल है, जो राजस्थान के सभी जिलों में उत्पादित की जाती है। यह दलहनी फसलों में सर्वाधिक उत्पादन वाली फसल है।
→ राज्य में सर्वाधिक चना उत्पादकता वाला जिला - चित्तौड़गढ़
* राजस्थान में चने का अच्छा उत्पादन सर्दी की वर्षा (मावठ) पर निर्भर करता है।
● चने के रोग - दीमक, फली छेदक, झुलसा, जड़गलन, उक्टा, फुहरोट रोग
* चना रबी की दलहनी फसलों में सर्वाधिक बोयी जाने वाली फस्ल हैं।
* चने को गेहूँ और जौ के साथ बोते है तब इस मिश्रित फसल को गोचनी/ बेझड़ कहते हैं।
● किस्मे - RS-10, RS-11, पूसा 209, पंतजी 114, सम्राट, दोहद येलो
● प्रमुख उत्पादक जिले- चूरू, अजमेर, भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़

                                                       उड़द      

* यह फसल भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिये उपयागी है।
* प्रमुख उत्पादक जिल - बूंदी टोंक, सवाईमाधोपुर व भीलवाड़ा।

                                            अरहर (Red Gram)     

* अरहर को रैड ग्राम/लाल चना/पिजन भी कहते हैं।
•राजस्थान में इसका उत्पादन नगण्य है।
* प्रमुख उत्पादक जिले - उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़।

                                              तिलहनी फसलें     

तिलहनी फसलें वे फसलें होती है जिनके बीज से तेल निकाला जाता है। तिलहनी फसलें खरीफ और रबी दोनों मौसम में उत्पादित की जाती है।

                                                   सरसों (Mustard)

* सरसों के उत्पादन व क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का प्रथम स्थान है।
- देश के कुल सरसों उत्पादन का 43.69% राजस्थान में होने के कारण राजस्थान 'सरसों का प्रदेश' कहलाता है।
- मिट्टी - दोमट, तापमान 20-25°C वर्षा 50-100 सेमी.
* पोली क्रांति का सम्बन्ध सरसों उत्पादन से है।
- राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र - सेवर (भरतपुर)
(2009 से इसका नाम सरसों अनुसंधान निदेशालय कर दिया गया है।)
* सरसों मंडी - सुमेरपुर (पाली)
* सर्वाधिक सरसों उत्पादकता वाला जिला - धौलपुर
* राजस्थान में सरसों की खल पर आधारित प्रथम बिजलीघर - खेड़ली (अलवर)
* अलवर, भरतपुर, टोंक, गंगानगर प्रमुख सरसों उत्पादक जिले है।
* रोग - चेपा, सफेद रोली व सफेद कीट, तना गलन, आल्टनेरिया झूलसा।
* किस्मे - रूणा, दुर्गामणी, पूसा कल्याणी, RH-819, रोहिणी, रजत, पूरना बोल्ड, राधिका, बृजराज, वरदान, बायो 902

                                                           मूंगफली    

* प्रोटीन की अच्छी मात्रा होने के कारण मूंगफली को गरीब का बादाम कहा जाता है। यह खरीफ की फसल है लेकिन दक्षिणी भारत में यह रबी की ऋतु में बोयी जाती है।
* राजस्थान का राजकोट - लूणकरणसर, बीकानेर (सर्वाधिक मूंगफली उत्पादन के कारण)
* राज्य में मूंगफली की सर्वाधिक उत्पादकता वाला जिला - जोधपुर
* रोग- टिक्का रोग, सफेद लट, कालरा, भृंग
* प्रमुख उत्पादक जिले - बीकानेर, जोधपुर, चूरू व जयपुर
* मूंगफली उत्पादन में राजस्थान का स्थान - द्वितीय

                                                तिल (Sesamum)

* तिल को गरीब का घी व तिलहनी फसलों की रानी कहा जाता है।
* प्रमुख उत्पादक जिले पाली, सवाईमाधोपुर, जोधपुर व करौली।

                                         सोयाबीन (Soyabean) 

* इसमें दलहन व तिलहन दोनों के गुण होते हैं, इसलिए इसे 'चमत्कारी फसल' कहा जाता है।
* सोयाबीन दुनिया का सबसे सस्ता, सबसे आसान तथा सबसे अच्छी प्रोटीन देने वाला स्रोत है।
* उपयोग खाद्य तेल व औद्योगिक उत्पाद
* सोयाबीन की फसल का प्रमुख कीट 'गर्डल बीटल' है।
* राजस्थान में सोयाबीन का सम्पूर्ण उत्पादन हाड़ौती क्षेत्र (कोटा, झालावाड़, बारां, बूंदी) में केन्द्रित है।
* सोयाबीन का सर्वाधिक उत्पादन व क्षेत्रफल- झालावाड़।

                                               अलसी (Lin Seed)   

* अलसी के बीजों से तेल व पौधों से रेशे प्राप्त होते हैं।
* प्रमुख उत्पादक जिले :- प्रतापगढ़, झालावाड़, कोटा, बारां व बूंदी।

                                             तारामीरा (Arugula)   

* इसके तेल का उपयोग साबून निर्माण में होता है। इसे अनुपजाऊ व अनुपयोगी भूमि पर भी बोया जा सकता है।

                                        अरण्डी (Castor Seed)

* इसके तेल का उपयोग पेंट बनाने व दवाईयां बनाने में होता है।
* प्रमुख उत्पादक जिले :- जालौर, सिरोही, बाड़मेर व जोधपुर

                                                    ग्वार   

* यह कपड़ा उद्योग, खाद्य पदार्थ, श्रृंगार प्रसाधन, दवाईयों व विस्फोटक पदार्थ बनाने में प्रयोग होता है।
* ग्वार की अंतराष्ट्रीय मंडी - जोधपुर।
* ग्वार गम जाँच लैब - जोधपुर ।
* प्रमुख उत्पादक जिले:-  हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर व गंगानगर
* किस्मै :- दुर्गाबहार, दुर्गापूरा सफेद, दूर्गा जय

                                             कपास (Cotton) 

* कपास को स्थानीय भाषा में 'बणिया' कहा जाता है। यह मुख्यतः खरीफ की फसल है।
* इसे सफेद सोना (White Gold) भी कहा जाता है।
•बिनौला (कपास का बीज) पशुआहार के रूप में काम आता है।
* कपास से सूती वस्त्र उद्योगों को कच्चा माल प्राप्त होता है।
* कपास के रोग बालविबल कीड़ा, अंगमारी/ब्लेक आर्म रोग।
* तापमान 20-30°c, वर्षा 75-100 सेमी., मिट्टी काली
अमेरिकन कपास किस्म के रेशे सबसे लम्बे होते है।
* कपास का उत्पादन गांठों में गिना जाता है प्रत्येक गांठ का वजन 170 किलो होता है।
* अमेरिकन कपास का सर्वाधिक उत्पादन गंगानगर, हनुमानगढ़
* देशी कपास का सर्वाधिक उत्पादन-  नागौर व बाँसवाड़ा चित्तौड़गढ़, जोधपुर, झुंझुनू,
* मालवी कपास का सर्वाधिक उत्पादन - कोटा, बूंदी, झालावाड़।
* कपास की राजस्थान में विकसित संकर किस्म मरु विकास है।
* राज्य में सर्वाधिक कपास की उत्पादकता वाला जिला बांसवाड़ा
* सघन कपास विकास कार्यक्रम (केन्द्र सरकार द्वारा) 16 जिलों में संचालित है।
* किस्मे :- नरमा, बीकानेरी, गंगानगर, अगेवी, वराह लक्ष्मी, वीरनार, विकास, विक्रम, विजय, नर्बदा, दिग्ग्वजय, आरएस-875 ( अमेरिकन कपास की किस्म), आरएसटी-9, आरएचएच-16

                                           गन्ना (Sugar Cane)

* यह मुख्यतः उष्ण कटिबंधीय आर्द्र जलवायु की फसल है।
* तापमान 20-35°c, वर्षा 120-170 सेमी., मिट्टी जलोढ़
* रोग पाइरला, कण्डुआ रोग, जड़ छेदक, तना छेदक, सफेद मक्खी, लाल सड़न (Red rot)
* प्रमुख गन्ना - उत्पादक जिले गंगानगर, चित्तौड़गढ़, उदयपुर व बूंदी है।
* गन्ने की सर्वाधिक उत्पादकता वाला जिला बूंदी है।

                                             तम्बाकू   

* इसकी पत्तियों से मादक पदार्थ बनते हैं।
* प्रमुख तम्बाकू उत्पादक जिले:-  अलवर, जालौर, दौसा, झुंझुनूं
* तम्बाकू का रोग मोजेक (Mosaic)
* प्रमुख उतदक जिले- जालौर, अलवर, सवाईमाधोपुर व झुंझुनूं
* तम्बाकू निषेध दिवस 31 मई

                                            ईसबगोल    

◆ ईसबगोल (Psyllium) गोड़वाड़ क्षेत्र में इसे घोड़ा जीरा भी कहते हैं, (कैलोरी फ्री फाइबर फूड)
* उपयोग औषधी बनाने में, इसके बीजों से भूसी प्राप्त होती है।
* रोग- डाउनी गिल्ड्यू
* विश्व का 40% ईसबगोल उत्पादन अकेले राजस्थान से होता है।
* सहकारिता पर आधारित ईसबगोल का कारखाना आबू रोड़ (सिरोही)
* ईसबगोल की मंडी भीनमाल (जालौर)
* ईसबगोल अनुसंधान केन्द्र - जोधपुर
* प्रमुख उत्पाक जिले- बाड़मेर, नागौर, जालौर व जैसलमेर

                                 जोजोबा/होहोबा (Jojoba)

* यह पीला सोना/डेजर्ट गोल्ड कहलाता है।
* राजस्थान में जोजोबा का पौधा सर्वप्रथम 1965 में काजरी (जोधपुर) के वैज्ञानिकों द्वारा इजरायल से लाया गया था।
* यह एक उद्यानिकी फसल है, इसका पौधा झाड़ीनुमा होता है जिसके 2-3 वर्ष बाद फल लगने लगते हैं।
* उपयोग - उच्च तापक्रम व अधिक दाब वाली मशीनों के गियर्स, प्रसाधन सामग्री, हवाई जहाज के ईधन में, रंग रोगन, मोम, लुब्रीकेन्ट में काम में लिया जाता है।
* सरकारी जोजोबा फार्म ढंड (जयपुर) व फतेहपुर (सीकर) में है। यहाँ इजरायल के सहयोग से एजोर्प प्राजेक्ट के तहत खेती की जा रही है।
* राजस्थान में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी जोजोबा प्लांटेशन परियोजना झज्जर, बीकानेर में है।

                                  अफीम (Opium) 

* अफीम को 'काला सोना' भी कहा जाता है, सरकार से अनुमति प्राप्त कर ही इसकी खेती की जा सकती है। क्योंकि यह एक मादक पौधा है।
* राजस्थान में अफीम की खेती वाले जिले- चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़,
भीलवाड़ा, बारां झालावाड़।
* चित्तौड़गढ़ अफीम का सर्वाधिक उत्पादन एवं उत्पादकता वाला जिला है।
उपयोग - दवा निर्माण, नशीले पदार्थ बनाने में
* मध्यकाल में प्रतापगढ़ रियासत अफीम की खेती के लिए प्रसिद्ध थी।

                                      मसाला      

मसाला उत्पादन में अग्रणी जिला - बारां
मसाला पार्क - मथानिया (जोधपुर ग्रामीण) व रामगंज (कोटा)

                                       प्याज (Onion)   

* प्याज उत्पादन में राजस्थान का स्थान- पाँचवा

                                            जेतून (Olive)           

* देश में सबसे पहले राजस्थान ने जेतून को प्लान्टेशन क्रॉप अधिसूचित किया है वर्तमान में राजस्थान के 7 फार्मों में इजराइल के सहयोग से जेतून की खेती की जा रही है।
• देश की पहली जेतुन तेल रिफायनरी लूणकरणसर (बीकानेर) में स्थापित की गयी है। इसका तेल 'राज ऑलिव' ब्रान्ड के नाम से बेचा जा रहा है।
जेतून तेल का उत्पादन करने वाला देश का पहला राज्य राजस्थान है।
* जेतून की पत्ती से ओलिव ग्रीन टी बनाने की फैक्ट्री- बस्सी (जयपुर ग्रामीण)
जेतून के तेल का उपयोग खाने के साथ, सौन्दर्य प्रसाधन व दवाईयों के निर्माण में हो रहा है।

                                        चैती (दमश्क) गुलाब   

◆ खमनोर (राजसमंद) व नाथद्वारा का चैती गुलाब प्रसिद्ध है। यह सर्वश्रेष्ठ किस्म का गुलाब है चैत्र माह में अधिक होने के कारण चैती गुलाब कहा जाता है।
- राजस्थान में सर्वाधिक गुलाब उत्पादन वाला जिला - अजमेर
* राज्य की पहली पुष्प मंडी - पुष्कर (अजमेर)
* गुलाब नगरी- पुष्क
* पुष्प पार्क - खुशखेड़ा, अलवर (रिको द्वारा)
* राजस्थान की सबसे बड़ी फूल मंडी का लोकार्पण- मुहाना मण्डी (जयपुर)

                                                     मेहंदी    

* सर्वाधिक उत्पादन सोजत (पाली) में।
* सोजत (पाली) व गिलूण्ड (राजसमंद) की मेहन्दी प्रसिद्ध है।
* मेहन्दी मंडी- सोजत (पाली)
* सरकार मेहन्दी की खेती पर अनुदान भी देती है।

                                                       मैथी    

* ताउसर गाँव (नागौर) की खुशबूदार पान मैथी प्रसिद्ध है।
* मैथी उत्पादन में राजस्थान का स्थान- प्रथम

                                                   लाल मिर्च 

* लाल सुर्ख मिर्च के लिए प्रसिद्ध स्थान- मथानिया (जोधपुर)
* लाल मिर्च मंडी - टोंक

                                                         खजूर

* पश्चिमी राजस्थान में खजूर की खेती के अनुकूल जलवायु को देखते हुये संयुक्त राज्य अमीरात (UAE) से टिश्यू कल्चर तकनीक से उत्पादित पौधों को आयात कर सरकारी क्षेत्रों में मॉडल फार्म विकसित किये जा रहे हैं।
- खजूर की खेती की सर्वाधिक संभावनाओं वाला संभाग- बीकानेर
- रोग-  ग्रेफियोला
* खजूर अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर
* देश की सबसे बड़ी खजूर पौध प्रयोगशाला (खजूर टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला) - चौपासनी, जोधपुर

                                                           सन    

* इससे रेशा प्राप्त होता है। राजस्थान में सन की खेती बाँसवाड़ा, धौलपुर व चित्तौड़गढ़ में होती है।
* सर्वाधिक उत्पादन वाला जिला - धौलपुर

                                                   रतनजोत (जेट्रोपा)   

* राजस्थान में बायो फ्यूल प्राधिकरण द्वारा मानवतों का गुड़ा (राजसमंद) में 157 हैक्टेयर में रतनजोत की खेती करवायी गयी है। रतनजोत के बीज में 41 प्रतिशत ऑयल की मात्रा होती है।
* इसका एक पौधा 40 साल तक चलता है।
* इसका वानस्पतिक नाम जेट्रोफा करकास ।
* राजस्थान में कुल 5 बायो फ्यूल संयंत्र (निजी कम्पनियों द्वारा) स्थापित किये गये है। (जयपुर, भीलवाड़ा व सिरोही में)
* बायो फ्युल उत्कृष्टता केन्द्र - गोगुंदा (उदयपुर)

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