झूठा सच उपन्यास - यशपाल - 1958 ई. और 1960 ई. || jhootha sach upanyaas - yashapaal singh
झूठा सच (यशपाल) - (1958 ई.) और (1960 ई.)
पृष्ठभूमि
* 'झूठा सच' उपन्यास विभाजन की त्रासदी का चित्रण करता है। मानवीय जीवन की त्रासदी का प्रत्यक्ष दर्शन है।* 'झूठा सच' उपन्यास सामाजिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया।
* उपन्यास में यशपाल ने सन् 1942 से 1957 ई. तक अर्थात् देश विभाजन से पहले और उसके बाद के उतार-चढ़ाव को दिखाया है।
* यह उपन्यास 2 खंडों में विभक्त है : -
(1) वतन और देश (1958 ई.) =
(2) देश का भविष्य (1960 ई.) = click here
दोस्तों 'झूठा सच' उपन्यास जो की यशपाल सिंह का है इस उपन्यास के माध्यम से हम इसकी सम्पूर्ण जानकारी के बारे मे चर्चा करेंगे और हम इसके पात्र , कथासार का सार , और इसके प्रमुख उद्धरण के बारे मे विस्तार से चर्चा करेंगे ?
(1) वतन और देश (1958 ई.)
पात्र
मुख्य पात्र :-* ताराः -
- मध्यवर्गीय किंतु प्रगतिशील सोच रखने वाली आम लड़की।
- तारा ही विभाजन की त्रासदी सबसे ज्यादा झेलती है।
* जयदेव पुरीः -
* जयदेव पुरीः -
- मध्यवर्ग का प्रतिनिधि पात्र, विभाजन के कारण परिवार से अलगाव।
- आगे चलकर प्रगति करते हुए एक पत्र का संपादक, फिर विधायक व कई कमेटियों का मेंबर बनता है।
* कनकः -
* कनकः -
- संपन्न परिवार की प्रगतिशील सोच रखने वाली लड़की।
- जयदेव से प्रेम, विवाह फिर संबंध विच्छेद।
* शीलाः - राम ज्वाया की पुत्री
* डॉ. प्राणनाथः - अर्थशास्त्र के प्रोफेसर
* सोमराजः - आवारा युवक जिसका तारा से विवाह होता है
* पंडित गिरधारीलालः - 'नया हिंद' पब्लिकेशन के मालिक कनक के पिता
* महेन्द्र नैयर: - वकील
गौण पात्र
* असद : - लाहौर के कॉमरेड युवा (कम्युनिस्ट पार्टी के युवा)* शीलाः - राम ज्वाया की पुत्री
* डॉ. प्राणनाथः - अर्थशास्त्र के प्रोफेसर
* सोमराजः - आवारा युवक जिसका तारा से विवाह होता है
* पंडित गिरधारीलालः - 'नया हिंद' पब्लिकेशन के मालिक कनक के पिता
* महेन्द्र नैयर: - वकील
* कर्मचंद कशिशः - पैरोकार पत्रिका के मुख्य संचालक
* दौलू मामाः - शरीफ भोला आदमी जो अकारण बलवे की बलि चढ़ जाता है।
* रतनः - शीलो का प्रेमी
* गौस मुहम्मद : - प्रकाशक
* महाजन :- कम्युनिस्ट कार्यकर्त्ता
* कृष्ण नारायण अवस्थी :- यू.पी. कांग्रेस के पार्लियामेंट्री बोर्ड के मंत्री
* मेहर: - दंगे में भटकी तारा की साथी
* नब्बू : - तारा से बलात्कार करने वाला
* हाफिज इनायत अली :- नब्बू के मोहल्ले के हाफिज
* विश्वनाथ सूदः - पंजाब कांग्रेस के उग्र दल के नेता व मुख्यमंत्री पद के दावेदार
* उर्मिलाः - पुरी की पूर्व शिष्या। पुरी की तरफ आकर्षण।
* बंती: - तारा को विभाजन के दौरान मिली संगिनी
* एस.पी. एडिटर / डायरेक्टर 'सरदार पत्र'
* प्रसाद: - कांग्रेस के नेता
* अगरवाल साहब: - दिल्ली का बड़ा व्यापारी, तारा को माननेवाला
* पुरुषोत्तमः - अगरवाल साहब का युवा पुत्र
* नरोत्तमः- मिस्टर अगरवाल साहब का युवा पुत्र
* मिस्टर रावतः - सचिव, गृह मंत्रालय
* पी.एस. गिलः - विभाजन का दंश झेल चुका युवा
* निरंजन चड्ढा : - मर्सी का प्रेमी
* माथुर :- पुराना दोस्त
* जयाः - पुरी और कनक की बच्ची
* सीताः - तारा के मुहल्ले की लड़की
* पूरण देई: - सीता की माँ
* डॉ. श्यामा: - डॉक्टर और कांग्रेस की बड़ी लीडर
* विभाजन से पूर्व मध्ययुगीन जीवन, वहाँ के जनसमाज का मानसिक गठन, राजनीतिज्ञों के दाँव-पेच, सांप्रदायिक स्वार्थों के कारण हिंदुओं-मुसलमानों के बीच बढ़ती खाई, देश का विभाजन, सांप्रदायिक दंगे, लूट-खसोट, रक्तपात, लाखों व्यक्तियों का विस्थापित होना, उनकी जिजीविषा और संघर्ष, कांग्रेस का शासन, स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद का सामाजिक जीवन, विविध क्षेत्रों में चलने वाली धांधली, उच्च वर्ग की स्वार्थपरता, मध्यवर्ग की कुण्ठा, निम्नवर्ग की निराशा, जनता की जागरूकता आदि यह सब कुछ 'झूठा सच' में साकार हो गया है।
* 'झूठा-सच' में यशपाल ने देश-विभाजन के लिये मूल रूप से अंग्रेजों को उत्तरदायी ठहराया है। उनके अनुसार अंग्रेज़ों ने ही अपनी सत्ता के लिये हिंदू-मुसलमानों में फूट डाली।'
* ' झूठा सच' में यशपाल ने 'देश-विभाजन' को आर्थिक संदर्भों में भी देखा है। लेखक की दृष्टि में यह पहलू सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। देश-विभाजन के मूल में आर्थिक कारणों की खोज करते हुए वे इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं- "संपूर्ण पंजाब में हिंदू अमीर थे, ऊँचे पद पर थे। अल्पसंख्यक होने के बावजूद भी आर्थिक, सामाजिक और कुछ सीमा तक राजनीतिक सत्ता उन्हीं के हाथों में थी।" लेखक का मंतव्य यह है कि विभाजन की त्रासदी का शिकार सामान्य लोग ही हुए, उच्च वर्ग के लोग नहीं।
* "Advertizement are the steam of the ship of Journalism." - कशिश जी
* दौलू मामाः - शरीफ भोला आदमी जो अकारण बलवे की बलि चढ़ जाता है।
* रतनः - शीलो का प्रेमी
* गौस मुहम्मद : - प्रकाशक
* महाजन :- कम्युनिस्ट कार्यकर्त्ता
* कृष्ण नारायण अवस्थी :- यू.पी. कांग्रेस के पार्लियामेंट्री बोर्ड के मंत्री
* मेहर: - दंगे में भटकी तारा की साथी
* नब्बू : - तारा से बलात्कार करने वाला
* हाफिज इनायत अली :- नब्बू के मोहल्ले के हाफिज
* विश्वनाथ सूदः - पंजाब कांग्रेस के उग्र दल के नेता व मुख्यमंत्री पद के दावेदार
* उर्मिलाः - पुरी की पूर्व शिष्या। पुरी की तरफ आकर्षण।
* बंती: - तारा को विभाजन के दौरान मिली संगिनी
* एस.पी. एडिटर / डायरेक्टर 'सरदार पत्र'
* प्रसाद: - कांग्रेस के नेता
* अगरवाल साहब: - दिल्ली का बड़ा व्यापारी, तारा को माननेवाला
* पुरुषोत्तमः - अगरवाल साहब का युवा पुत्र
* नरोत्तमः- मिस्टर अगरवाल साहब का युवा पुत्र
* मिस्टर रावतः - सचिव, गृह मंत्रालय
* पी.एस. गिलः - विभाजन का दंश झेल चुका युवा
* निरंजन चड्ढा : - मर्सी का प्रेमी
* माथुर :- पुराना दोस्त
* जयाः - पुरी और कनक की बच्ची
* सीताः - तारा के मुहल्ले की लड़की
* पूरण देई: - सीता की माँ
* डॉ. श्यामा: - डॉक्टर और कांग्रेस की बड़ी लीडर
कथासार
* झूठा सच यशपाल का महत्त्वपूर्ण उपन्यास है। अपनी प्रकृति में यह एक महाकाव्यात्मक उपन्यास है जो भारत के विभाजन की पृष्ठभूमि पर लिखा गया है। पहले खंड 'वतन और देश' में विभाजन का वास्तविक कारणों, विभाजन के समय की दर्दनाक स्थितियों तथा विस्थापितों एवं शरणार्थियों की समस्याओं को प्रस्तुत किया गया है। तारा जैसे चरित्रों के माध्यम से बताया गया है कि विभाजन के समय महिलाओं की दुर्दशा का आलम क्या था? दूसरे खंड 'देश का भविष्य' में आजादी के बाद की स्थितियाँ हैं जिसमें एक ओर कुछ बुद्धिजीवियों व नेताओं की प्रगतिशील भूमिका का चित्रण है तो दूसरी ओर सूद और सोमराज जैसे उन तत्त्वों की भी चर्चा है जो राजनीति और पत्रकारिता को शुद्ध व्यवसाय बनाकर भ्रष्टाचार व बेईमानी के माध्यम से समाज को लूटने में लगे हैं। इनकी तुलना में 'तारा', 'डॉ. नाथ', 'श्यामा', पत्रकार 'कनक' तथा इंजीनियर 'नरोत्तम' जैसे चरित्र भी हैं जो देश की आजादी का सम्मान करते हुए अपने दायित्वों के निर्वहन में ईमानदारी से जुड़े हैं।* विभाजन से पूर्व मध्ययुगीन जीवन, वहाँ के जनसमाज का मानसिक गठन, राजनीतिज्ञों के दाँव-पेच, सांप्रदायिक स्वार्थों के कारण हिंदुओं-मुसलमानों के बीच बढ़ती खाई, देश का विभाजन, सांप्रदायिक दंगे, लूट-खसोट, रक्तपात, लाखों व्यक्तियों का विस्थापित होना, उनकी जिजीविषा और संघर्ष, कांग्रेस का शासन, स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद का सामाजिक जीवन, विविध क्षेत्रों में चलने वाली धांधली, उच्च वर्ग की स्वार्थपरता, मध्यवर्ग की कुण्ठा, निम्नवर्ग की निराशा, जनता की जागरूकता आदि यह सब कुछ 'झूठा सच' में साकार हो गया है।
* 'झूठा-सच' में यशपाल ने देश-विभाजन के लिये मूल रूप से अंग्रेजों को उत्तरदायी ठहराया है। उनके अनुसार अंग्रेज़ों ने ही अपनी सत्ता के लिये हिंदू-मुसलमानों में फूट डाली।'
* ' झूठा सच' में यशपाल ने 'देश-विभाजन' को आर्थिक संदर्भों में भी देखा है। लेखक की दृष्टि में यह पहलू सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। देश-विभाजन के मूल में आर्थिक कारणों की खोज करते हुए वे इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं- "संपूर्ण पंजाब में हिंदू अमीर थे, ऊँचे पद पर थे। अल्पसंख्यक होने के बावजूद भी आर्थिक, सामाजिक और कुछ सीमा तक राजनीतिक सत्ता उन्हीं के हाथों में थी।" लेखक का मंतव्य यह है कि विभाजन की त्रासदी का शिकार सामान्य लोग ही हुए, उच्च वर्ग के लोग नहीं।
प्रमुख उद्धरण
* "जर्नलिज़्म सियासत का जहाज है। वह चाहे तो स्टेट को बचा ले चाहे तो डूबो दे।" - कशिश जी, संपादक, पैरोकर* "Advertizement are the steam of the ship of Journalism." - कशिश जी
* "पत्रकार के काम की विशेषता यह है कि वह अपने व्यक्तित्व को परोक्ष में रखकर मालिकों की इच्छानुसार घटनाओं के वर्णन को रंग देता है।" - लेखक
* "सहायक संपादक, प्रेस के लिये मसाला तैयार करने की मशीनें होती हैं।" - लेखक
* "पत्र की जनप्रियता बहुत बड़ी चीज है। परंतु राजनैतिक पत्र का काम जनता की भावनाओं में बह जाना नहीं बल्कि उन भावनाओं को दिशा दिखाना है।" - कशिश जी, संपादक
* "पुरुष की तुलना में स्त्री की हीनता स्वाभाविक तो नहीं परंतु आवश्यक बना दी गयी है।" - लेखक
* “स्त्री अपनी शोभा अपने से बढ़कर पुरुष को पाने में ही समझ लेती है।" - लेखक
* "सफेदपोश निम्न मध्यवर्गी के लिये अपनी गरीबी से अधिक संकोच और रहस्य की दूसरी बात क्या हो सकती है।" - लेखक
* "स्त्रियों के जीवन से लज्जा का उतार-चढ़ाव दिन के पहरों में ताप की भाँति होता है। बचपन में लाज की अनुभूति नहीं रहती। जीवन के दूसरे पहर में जब वे अपने शरीर में नारीत्व को पहचानने लगती हैं और जान जाती हैं कि उनके जीवन की परिणति उनकी आकर्षण शक्ति में है तो वे आकर्षण के प्रबल माध्यम लाज को बढ़ाने लगती हैं।" - लेखक
* "पंजाब तो सदा हिंदू-सिक्खों का रहा है। इन मरे मुसलमानों का राज दिल्ली, लखनऊ आगरा में रहा होगा। पंजाब तो हमारा है?"
* “मियाँ बीबी की लड़ाई और कार्तिक का बादल कितने पल ठहरता है।" - लेखक
* "ब्रिटेन में बैठे अंग्रेज अपनी स्थिति के कारण अपने आपको भारत का बोझ उठा सकने में असमर्थ समझने लगे हैं, परंतु हिंदुस्तान में मौजूद अंग्रेज ब्यूरोक्रेसी अंतर्राष्ट्रीय स्थिति और ब्रिटेन की वर्तमान आर्थिक स्थिति जानती नहीं। वे हिंदुस्तान के शासन का मोह नहीं छोड़ना चाहते।" - लेखक
* "संपत्ति के आधार पर संभ्रांत बनी श्रेणी की स्त्रियों का प्रयोग सेक्स के अतिरिक्त और है भी क्या?" - डॉ. प्राणनाथ
* “यह स्त्रियाँ यह सोच भी नहीं सकती कि मैं तुम्हें सेक्स के बिना भी लाइक कर सकता हूँ।" - प्राणनाथ तारा से
* "बल्कि सेक्स के लिये भी इस श्रेणी के पुरुष जो चाहे सो कर सकते हैं। ये पत्नियाँ तो केवल सम्पत्ति के निविर्वाद अधिकारी पैदा करने के लिये हैं। ये स्त्री की एक ही योग्यता को जानती है। हाथ आ गए पुरुष को हाथ से निकलने न देना। इन्हें तुम्हारी किसी अन्य योग्यता से ईर्ष्या नहीं। तुम्हारे नारीत्व के आकर्षण से ईर्ष्या है।" - प्राणनाथ तारा से
* "एटली के 16 फरवरी के बयान में कहा गया है कि जून 1948 में हिंदुस्तान के जिस भाग का जो राजनैतिक दल अधिक सशक्त होगा, ब्रिटिश सरकार उसी को शासन सौंप वेगी।" - लेखक
* "कौन युवती कुमारी साली जीजा के साथ अपने को सुरक्षित समझकर प्रणय और आकर्षण के अखाड़े के पैंतरों का परिचय पाने का यत्न नहीं करती?" - लेखक
* "सहायक संपादक, प्रेस के लिये मसाला तैयार करने की मशीनें होती हैं।" - लेखक
* "पत्र की जनप्रियता बहुत बड़ी चीज है। परंतु राजनैतिक पत्र का काम जनता की भावनाओं में बह जाना नहीं बल्कि उन भावनाओं को दिशा दिखाना है।" - कशिश जी, संपादक
* "पुरुष की तुलना में स्त्री की हीनता स्वाभाविक तो नहीं परंतु आवश्यक बना दी गयी है।" - लेखक
* “स्त्री अपनी शोभा अपने से बढ़कर पुरुष को पाने में ही समझ लेती है।" - लेखक
* "सफेदपोश निम्न मध्यवर्गी के लिये अपनी गरीबी से अधिक संकोच और रहस्य की दूसरी बात क्या हो सकती है।" - लेखक
* "स्त्रियों के जीवन से लज्जा का उतार-चढ़ाव दिन के पहरों में ताप की भाँति होता है। बचपन में लाज की अनुभूति नहीं रहती। जीवन के दूसरे पहर में जब वे अपने शरीर में नारीत्व को पहचानने लगती हैं और जान जाती हैं कि उनके जीवन की परिणति उनकी आकर्षण शक्ति में है तो वे आकर्षण के प्रबल माध्यम लाज को बढ़ाने लगती हैं।" - लेखक
* "पंजाब तो सदा हिंदू-सिक्खों का रहा है। इन मरे मुसलमानों का राज दिल्ली, लखनऊ आगरा में रहा होगा। पंजाब तो हमारा है?"
* “मियाँ बीबी की लड़ाई और कार्तिक का बादल कितने पल ठहरता है।" - लेखक
* "ब्रिटेन में बैठे अंग्रेज अपनी स्थिति के कारण अपने आपको भारत का बोझ उठा सकने में असमर्थ समझने लगे हैं, परंतु हिंदुस्तान में मौजूद अंग्रेज ब्यूरोक्रेसी अंतर्राष्ट्रीय स्थिति और ब्रिटेन की वर्तमान आर्थिक स्थिति जानती नहीं। वे हिंदुस्तान के शासन का मोह नहीं छोड़ना चाहते।" - लेखक
* "संपत्ति के आधार पर संभ्रांत बनी श्रेणी की स्त्रियों का प्रयोग सेक्स के अतिरिक्त और है भी क्या?" - डॉ. प्राणनाथ
* “यह स्त्रियाँ यह सोच भी नहीं सकती कि मैं तुम्हें सेक्स के बिना भी लाइक कर सकता हूँ।" - प्राणनाथ तारा से
* "बल्कि सेक्स के लिये भी इस श्रेणी के पुरुष जो चाहे सो कर सकते हैं। ये पत्नियाँ तो केवल सम्पत्ति के निविर्वाद अधिकारी पैदा करने के लिये हैं। ये स्त्री की एक ही योग्यता को जानती है। हाथ आ गए पुरुष को हाथ से निकलने न देना। इन्हें तुम्हारी किसी अन्य योग्यता से ईर्ष्या नहीं। तुम्हारे नारीत्व के आकर्षण से ईर्ष्या है।" - प्राणनाथ तारा से
* "एटली के 16 फरवरी के बयान में कहा गया है कि जून 1948 में हिंदुस्तान के जिस भाग का जो राजनैतिक दल अधिक सशक्त होगा, ब्रिटिश सरकार उसी को शासन सौंप वेगी।" - लेखक
* "कौन युवती कुमारी साली जीजा के साथ अपने को सुरक्षित समझकर प्रणय और आकर्षण के अखाड़े के पैंतरों का परिचय पाने का यत्न नहीं करती?" - लेखक
* "सभी पत्रों की अपनी-अपनी राजनीतिक और सांम्प्रदायिक नीति थी, परंतु पत्रकारों को अनुशासन में रखने की नीति के विषय में उनमें कोई भेद नहीं था।" -लेखक, पुरी के 'पैरोकार' से निष्कासन पर -पुरी
* "साधन हीन होकर भी सम्मान चाहता हूँ।"
* "साधन होने पर तो सम्मान खिंचा चला आता है।" - लेखक
* "कलाकार या लेखक का यश पोला ढोल होता है जिसकी गूँज दूर तक जाती है, परंतु भीतर पोल रहती है।"
* "अब वह सोचता अन्य सब सम्मान शिष्टाचार मात्र है पैसे का बल ही वास्तविक सम्मान है।" - पुरी के संदर्भ में लेखक
* "सन् 42 के स्वतंत्रता आंदोलन के समय तलवार बंदूक, पिस्तौल का नाम सुनकर लोगों को पसीना आ जाता था। अब पुरी सुनता कि लोग निधड़क तलवारें, बछें और बंदूकें जमा कर रहे थे। कुछ लोग पानी के नल कटवाकर कड़ाबीने (तोड़ेदार बंदूकें) भी बनवा रहे थे। अफवाह गरम थी कि लाला माधोशाह और सुखलाल के यहाँ से हिंदुओं की रक्षा और पाकिस्तान के विरोध के लिये दो सवा दो सौ में चाहे जितने बन्दूक पिस्तौल मिल सकते हैं।" -लेखक
* "गली में मुसलमानी आक्रमण होने की वजह से (जो रतन आदि की करतूत की प्रतिक्रिया ही थी) पुरी जैसा लिब्रल भी हर हर महादेव कह लड़ पड़ता है।"
* "मुहब्बत का धर्म अपनी जगह, घर बार का धर्म ब्याह अपनी जगह।
* मुहब्बत की तो रीति ही ऐसी चली आई है। बड़ों ने भी वही किया है। कृष्ण महाराज का गोपियों से प्रेम था तो क्या उनके लिये रूक्मिणी जी को छोड़ दिया था?"- शीलो, तारा से (रतन की नाराजगी पर)
* "मैं बाबूजी और माँ सबकी बातें जानती हूँ। लोग खेल खिलाकर छोड़ देते हैं। जो छोड़ दे, दिल्लगी और पाप है।"-शीलो, तारा से
* "साधारण स्वतंत्रता के अभाव में चतुरता की ऐसी मजबूरी ही नारी का 'चलित्तर' कहलाती है।" - लेखक
* "प्रत्येक माँ का ख्याल था कि उसी का बेटा सबसे असहाय और असुरक्षित है।" - लेखक
* "पाकिस्तान का मतलब मुस्लिम लीग की मिनिस्ट्री ही तो है।" - पुरी, गली के लोगों से
* "नेहरू पटेल का क्या है वे तो वेदरकाक हैं। सन् 45 में वे अहमदगढ़ की जेल में 42 की क्रांति को कांग्रेस की पॉलिसी के खिलाफ बता रहे थे। सन् 46 में सरकार बन गई तो 42 की क्रांति का सब सिला (श्रेय) खुद ले लिया।" -पुरी, गली के लोगों से
* "पंजाब में गवर्नर चर्चिल की कंजरवेटिव पार्टी का है। वह अपनी पॉलिसी चला रहा है। उसका ख्याल है कि एटली और माउंटबेटन बाकी हिंदुस्तान कांग्रेस और लीग को दे भी दे तो पंजाब खासकर पश्चिम बंगाल को बचा ले। जानता है तू इंटरनेशनल स्ट्रेटजी में पंजाब की बड़ी इम्पोर्टस है। ये रूस के सिर कायम रहना चाहते हैं यार मेरे।" -पुरी, काली से
* "ब्रिटिश व्यूरोक्रैट एटली और माउंटबेटेन की स्कीम से खुश नहीं हैं। वे दिखा रहे हैं कि हिंदुस्तान को सेल्फ गवर्नमेंट देना मूर्खता है। अंग्रेज खूब जानते हैं पार्टीशन से दोनों भाग लंगड़े हो जाएंगे। अब तक तो देश का विकास ईकाई के तौर पर हुआ है। अब पाकिस्तान इण्डस्ट्रियल गुड्स के लिये तरसेगा और शेष भाग कच्चे माल के लिये। पश्चिम पंजाब की रूई, दूसरी पैदावार और पूर्वी बंगाल का जूट कहाँ जाएँगे, ब्रिटेन में न। इससे इनके मरते उद्योग जरा जिंदा हो सकेंगे।" - महाजन
* "साधन हीन होकर भी सम्मान चाहता हूँ।"
* "साधन होने पर तो सम्मान खिंचा चला आता है।" - लेखक
* "कलाकार या लेखक का यश पोला ढोल होता है जिसकी गूँज दूर तक जाती है, परंतु भीतर पोल रहती है।"
* "अब वह सोचता अन्य सब सम्मान शिष्टाचार मात्र है पैसे का बल ही वास्तविक सम्मान है।" - पुरी के संदर्भ में लेखक
* "सन् 42 के स्वतंत्रता आंदोलन के समय तलवार बंदूक, पिस्तौल का नाम सुनकर लोगों को पसीना आ जाता था। अब पुरी सुनता कि लोग निधड़क तलवारें, बछें और बंदूकें जमा कर रहे थे। कुछ लोग पानी के नल कटवाकर कड़ाबीने (तोड़ेदार बंदूकें) भी बनवा रहे थे। अफवाह गरम थी कि लाला माधोशाह और सुखलाल के यहाँ से हिंदुओं की रक्षा और पाकिस्तान के विरोध के लिये दो सवा दो सौ में चाहे जितने बन्दूक पिस्तौल मिल सकते हैं।" -लेखक
* "गली में मुसलमानी आक्रमण होने की वजह से (जो रतन आदि की करतूत की प्रतिक्रिया ही थी) पुरी जैसा लिब्रल भी हर हर महादेव कह लड़ पड़ता है।"
* "मुहब्बत का धर्म अपनी जगह, घर बार का धर्म ब्याह अपनी जगह।
* मुहब्बत की तो रीति ही ऐसी चली आई है। बड़ों ने भी वही किया है। कृष्ण महाराज का गोपियों से प्रेम था तो क्या उनके लिये रूक्मिणी जी को छोड़ दिया था?"- शीलो, तारा से (रतन की नाराजगी पर)
* "मैं बाबूजी और माँ सबकी बातें जानती हूँ। लोग खेल खिलाकर छोड़ देते हैं। जो छोड़ दे, दिल्लगी और पाप है।"-शीलो, तारा से
* "साधारण स्वतंत्रता के अभाव में चतुरता की ऐसी मजबूरी ही नारी का 'चलित्तर' कहलाती है।" - लेखक
* "प्रत्येक माँ का ख्याल था कि उसी का बेटा सबसे असहाय और असुरक्षित है।" - लेखक
* "पाकिस्तान का मतलब मुस्लिम लीग की मिनिस्ट्री ही तो है।" - पुरी, गली के लोगों से
* "नेहरू पटेल का क्या है वे तो वेदरकाक हैं। सन् 45 में वे अहमदगढ़ की जेल में 42 की क्रांति को कांग्रेस की पॉलिसी के खिलाफ बता रहे थे। सन् 46 में सरकार बन गई तो 42 की क्रांति का सब सिला (श्रेय) खुद ले लिया।" -पुरी, गली के लोगों से
* "पंजाब में गवर्नर चर्चिल की कंजरवेटिव पार्टी का है। वह अपनी पॉलिसी चला रहा है। उसका ख्याल है कि एटली और माउंटबेटन बाकी हिंदुस्तान कांग्रेस और लीग को दे भी दे तो पंजाब खासकर पश्चिम बंगाल को बचा ले। जानता है तू इंटरनेशनल स्ट्रेटजी में पंजाब की बड़ी इम्पोर्टस है। ये रूस के सिर कायम रहना चाहते हैं यार मेरे।" -पुरी, काली से
* "ब्रिटिश व्यूरोक्रैट एटली और माउंटबेटेन की स्कीम से खुश नहीं हैं। वे दिखा रहे हैं कि हिंदुस्तान को सेल्फ गवर्नमेंट देना मूर्खता है। अंग्रेज खूब जानते हैं पार्टीशन से दोनों भाग लंगड़े हो जाएंगे। अब तक तो देश का विकास ईकाई के तौर पर हुआ है। अब पाकिस्तान इण्डस्ट्रियल गुड्स के लिये तरसेगा और शेष भाग कच्चे माल के लिये। पश्चिम पंजाब की रूई, दूसरी पैदावार और पूर्वी बंगाल का जूट कहाँ जाएँगे, ब्रिटेन में न। इससे इनके मरते उद्योग जरा जिंदा हो सकेंगे।" - महाजन
* "मैं मानता हूँ वह बहुत अच्छे लेखक हैं।... हो सकता वह किसी दिन बहुत बड़ा लेखक बन जाए, परंतु विवाह के लिये व्यक्ति के ऐसे गुणों की अपेक्षा उसके सामर्थ्य और व्यक्तित्व का हो अधिक महत्त्व होता है।.... गुण का आदर करो परंतु विवाह को जीवन को सफल बना सकने की दृष्टि से देखो। समझीं। तुम्हें तो मालूम होगा कि तॉलस्टॉय के व्यवहारों के कारण उसकी पत्नी कितनी बार आत्महत्या के लिये उतारू हो गई थी। साहित्य और कला तालस्ताँय में भी कम नहीं थी। जरा सोचो मनुष्यत्व एक चीज है और कला दूसरी।" - नैयर, कनक को समझाते हुए
* "वैसे तो लड़के-लड़कियों के मिलने-जुलने से, अस्वाभाविक रुकावटें डालने से मन और मस्तिष्क के विकास पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन एक आयु में, जब भावुकता प्रधान रहती है, तो जरा गंभीरता से और संयम से चलना चाहिये।" - पंडित गिरधारी लाल, बेटी कनक से
* "वैसे तो लड़के-लड़कियों के मिलने-जुलने से, अस्वाभाविक रुकावटें डालने से मन और मस्तिष्क के विकास पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन एक आयु में, जब भावुकता प्रधान रहती है, तो जरा गंभीरता से और संयम से चलना चाहिये।" - पंडित गिरधारी लाल, बेटी कनक से
* "स्वाभाविक पर भी नियंत्रण जरूरी होता है। संयम ही संस्कृति है। व्यवहार रूढ़ि बनकर संस्कृति कहलाता है" - नैयर
* "खुदाबंद ने तो मर्द पर फर्ज आयद किया है कि औरत पर रहम करें और उसकी हिफाजत करें क्योंकि औरत मर्द को अपने जिस्म से पैदा करती है और पालती है। खाक रहम और हिफाजत करते हैं... बेहया जहाँ से निकलते हैं, उसी की बेइज्जती करते हैं। मर्द मुहब्बत करे तो, गुस्सा करे तो उसका सब ओर वहीं पर उतरता है।" - तारा से सहानुभूति में स्त्रियों की बातचीत
* "खुदाबंद ने तो मर्द पर फर्ज आयद किया है कि औरत पर रहम करें और उसकी हिफाजत करें क्योंकि औरत मर्द को अपने जिस्म से पैदा करती है और पालती है। खाक रहम और हिफाजत करते हैं... बेहया जहाँ से निकलते हैं, उसी की बेइज्जती करते हैं। मर्द मुहब्बत करे तो, गुस्सा करे तो उसका सब ओर वहीं पर उतरता है।" - तारा से सहानुभूति में स्त्रियों की बातचीत
* "किसी मुसलमान औरत की तरफ तो आँख नहीं उठाई मैंने। हिंदू औरत है। वे लोग नहीं हमारी औरतों को खराब कर रहे हैं। मौलवियों को खराब कर रहे हैं। मौलवियों ने जिहाद का फतवा दिया है।" - नब्बू (तारा से बलात्कार करने वाला)
* "हिंदुत्व कोई मजहब नहीं। वह एक समाज और संस्कृति है। उसमें विश्वासों के बंधन है। आप भगवान में विश्वास करें तो भी हिंदू, न करें तो भी अपने आपको हिंदू कह सकते हैं। आप चाहे जैसे भगवान में साकार में, निराकार में, एक ही में या अनेक भगवानों में विश्वास कर सकते हैं। ब्रह्म, जीव और माया एक मानिए या पृथक-पृथक। पुनर्जन्म को भी मानने न मानने की स्वतंत्रता है, व्यवहार की नहीं। इस्लाम ऐसी स्वतंत्रता सहन नहीं कर सकता है। इस्लाम चिंतन का नहीं विश्वास का मार्ग है। आप खुदा से मुनकिर नहीं हो सकते हैं। आप खुदा से मुनकिर हैं, तो आप काफिर हैं। खुदा पर भी आप मनचाहे ढंग से विश्वास नहीं कर सकते। सिर्फ एक ही खुदा - वाहिद मुतलिक लाउलशरीफ खुदा पर एतकाद करना होगा। यहीं तक हद नहीं है, उस खुदा का एक रसूल भी मानना होगा और वह रसूल केवल मुहम्मद साहब को मानना होगा। आप आज के विज्ञान और साइंस से खुदा के संबंध में तर्क नहीं कर सकते क्योंकि जिस वक्त मुहम्मद साहब पर इस्लाम का इलहाम नाजल हुआ था, यह विज्ञान मौजूद नहीं था।" - कॉमरेड असद - तारा, नरेंद्र जुबेदा सुरेन्द्र हमीद आदि से
* "स्त्री के चाहने पर ही तो पुरुष उसके लिये सब कुछ, अपना प्राण भी न्योछावर करता है। यही वो प्रेम है। पुरुष पर ही निर्भर करता है कि अपने प्रेम को कैसे चरितार्थ करेगा। स्त्री पुरुषों की दया पर निर्भर है। इसके अतिरिक्त प्रेम क्या है? असभ्य समझा जाने वाला पुरुष स्त्री के न चाहने पर उसे दबोचकर, झपटकर ले लेता है। और सभ्य समझा जाने वाला स्त्री के सम्मुख प्रेम की याचना करता है।" - पुरी के विचार, स्वगत
* “जान पड़ता था कि भगवान ने तो उन्हें (प्रताड़ित औरतों को) भुला दिया था, परंतु ये लोग भगवान नहीं भुला सकती थी। भगवान मनुष्य की जितनी अधिक चिंता करता है उससे कहीं अधिक मनुष्य भगवान की चिंता करता है।" - तारा का विचार, स्वगत
* "हिंदू-सिक्ख लाए हैं बक्से, सन्दूक, नकदी, जेवर और बांड। यह लोग (मुसलमान लोग) मिट्टी के हुक्के, टूटी चारपाइयाँ, चूल्हें, चक्की, मुर्गियाँ लिये चल रहे हैं। यह इनकी गृहस्थी थी। जिसके पास जो कुछ होगा उसी से ममता करेगा; वही तो उठाकर ले जाएगा।" - तारा आदि को कैम्प ले जाने वाले शरणार्थी साथी गाड़ी का सिक्ख ड्राईवर
* "बहिन जी सच है, मुसलमानों ने हिंदुओं को लूटा है पर हिंदू सैकड़ों वर्षों से इन लोगों को लूटते निचोड़ते चले आ रहे हैं; नहीं तो एक ही जमीन पर रहने वालों में अमीरी गरीबी का इतना फरक (फर्क) क्यों होता है? पंजाब की सब जयदाद हिंदुओं के ही हाथों क्यों चली जाती।" - वही सिक्ख ड्राइवर
* "बहिन जी सच है, मुसलमानों ने हिंदुओं को लूटा है पर हिंदू सैकड़ों वर्षों से इन लोगों को लूटते निचोड़ते चले आ रहे हैं; नहीं तो एक ही जमीन पर रहने वालों में अमीरी गरीबी का इतना फरक (फर्क) क्यों होता है? पंजाब की सब जयदाद हिंदुओं के ही हाथों क्यों चली जाती।" - वही सिक्ख ड्राइवर
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