मैला आँचल ( उपन्यास )-(फणीश्वरनाथ 'रेणु') - 1954 ई.|| maila aanchal ( upanyaas )-(phaneeshvaranaath renu) - 1954 e.
मैला आँचल ( उपन्यास )-(फणीश्वरनाथ 'रेणु') - 1954 ई.
* दोस्तों इस उपन्यास के माध्यम से हम इसकी सम्पूर्ण जानकारी के बारे विस्तार से चर्चा करेंगे , और हम इस उपन्यास की कुछ खास बातें, पात्र, कथावस्तु , प्रमुख उद्धरण एवं इसकी प्रमुख विशेषता के बारे मे चर्चा करेंगे ?
मैला आँचल ( उपन्यास )-(फणीश्वरनाथ 'रेणु') - 1954 ई.|| maila aanchal ( upanyaas )-(phaneeshvaranaath renu) - 1954 e.
यह फणीश्वरनाथ 'रेणु' का सर्वाधिक प्रसिद्ध व महत्त्वपूर्ण उपन्यास है।
यह उपन्यास 1954 ई. में प्रकाशित हुआ था। इसमें पूर्णिया जिले के 'मेरीगंज' गाँव की विस्तृत तथा समग्र कथा इस प्रकार कही गई है कि अंचल ही नायक बन गया है। इसमें उद्देश्य अंचल की समस्याओं को प्रकाशित करने का ही रहा है, हालाँकि उद्देश्य रचना-प्रक्रिया में घुला हुआ है, ऊपर से चिपका हुआ नहीं दिखता। इसमें अंचल की सुंदरता और कुरूपता दोनों का गहरा चित्रण किया गया है। जातिवाद, अफसरशाही, अवसरवादी राजनीति, मठों और आश्रमों का पाखंड भी इसमें दिखाया गया है।
* खास बातें *
* 'मैला आँचल' से आंचलिक उपन्यास लेखन परंपरा का आरंभ माना जाता है।
* मलेरिया सेंटर की जमीन का क्षेत्रफल 1 एकड़ 10 डेसीमल
* गाँव का नाम - मेरीगंज
* भौगोलिक स्थिति- रौतहट स्टेशन से 7 कोस पूर्व कोसी नदी को पार करके।
* गाँव का नाम अंग्रेज अफसर डब्लू, जी. मार्टिन ने अपनी दुल्हन मेरी के नाम पर रखा।
* मलेरिया सेंटर मिस्टर मार्टिन की जमीन पर बना था।
* नवाबी तड़बन्ना- कोसी के किनारे-किनारे बहुत दूर तक ताड़ एवं खजूर के पेड़ों से भरा हुआ जंगल है, इसे ही नवाबी तड़बन्ना कहते हैं।
* गाँव की मुख्य पैदावार- धान पाट खेसारी
* गाँव में अलग-अलग जातियों के लोग अलग-अलग टोली बनाकर रहते हैं।
* स्वयं को श्रेष्ठ दिखाने की होड़ रहती है।
* राजपूत टोली के लोग कायस्थ टोली को 'कैथटोली' कहते हैं, गाँव की अन्य जातियों के लोग 'मालिक टोला' कहते हैं। कायस्थ टोली के लोग राजपूत टोली को सिपहिया टोली कहते हैं।
* मठ में सुबह बीजक सबद का वाचन होता है।
* चंदनपट्टी नामक गाँव में हुई सभा में बालदेव, बावनदास एवं चुन्नी गुसाईं तीन ने सुराजी में नाम लिखवाये थे। 'सुराजी' पद से आशय स्वराज्य चाहने वाले कांग्रेस के सदस्यों से है।
* जोतखी नामक चरित्र तुलसी की चौपाई का उल्लेख करता है- "नदी चलि भरि उतराई, जस थोरे धन खल बौराई।" -छुद्र
* उपन्यास दो खण्डों में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रथम खण्ड को चवालीस परिच्छेदों में एवं दूसरे खण्ड को तेईस परिच्छेदों में बाँटा गया है। नीचे महत्त्वपूर्ण परिच्छेदों की चर्चा की गयी है-
* पहले खंड के परिच्छेद 11 में सुरंगा सदाबृज की कथा का जिक्र है।
* खंड 1 के परिच्छेद 15 में लोरिक या कुंवर विज्जे मान (विजयभान) एवं बिदापत नृत्य का जिक्र है। बिदापत नृत्य में बीच में विद्यापति का गीत 'अरे अपजस होइत जगत भरि हो' गाया जाता है।
* परिच्छेद 24 में भवभूति की रचना के पात्र माधवमालती का जिक्र है।
* परिच्छेद 27 में पंत की कविता 'भारतमाता' का जिक्र "भारत माता ग्रामवासिनी खेतों में फैला है श्यामल धूल भरा मैला-सा आंचल।"
* परिच्छेद 36 में हंस कुमार तिवारी की कविता का जिक्र "दुनिया फूस बटोर चुकी है मैं दो चिनगारी दे दूंगा।"
* परिच्छेद 37 में वर्षा के देवता माने जाने वाले इंद्र को रिझाने के लिये महिलाओं द्वारा 'जाट-जट्टिन' खेल खेला जाता है। यह खेल पुरुष नहीं देख सकते।
* परिच्छेद 39 में संथाल टोली और अन्य में हुए हिंसक संघर्ष में संथाल तीर से तो अन्य भाला और गुलेल से लड़ते हैं। इसी संघर्ष में तहसीलदार हरगौरी सिंह मारा जाता है।
* राजबल्ली महतो हारमोनियम बजाता है।
* स्वराज मिलने के उत्सव में निम्न में कार्यक्रम तय होते हैं-
- बलवाही, बिदेशिया, कमला एवं महमदिया की नौटंकी कंपनी। धमदाहा-शंकरपुर का बिदापद, बँसगढ़ा की बलवाही, औराही हिंगना की भठियाली भकतै।
* दूसरे खंड के परिच्छेद 18 में गांधीजी की हत्या का जिक्र है।
* परिच्छेद 20 में नागर नदी के भारत-पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के बीच सीमा रेखा होने का जिक्र है।
* कमली और डॉक्टर प्रशांत के पुत्र का नाम ममता 'कुमार निलोत्पल' (नीलू) रखती है।
पात्र
# मुख्य पात्र :-* डॉ. प्रशांतः -
* उपन्यास का केंद्रीय पात्र,
* असल माता-पिता अज्ञात हैं।
* उपाध्याय परिवार को एक हांडी के भीतर कोसी नदी में तैरते हुए मिला था।
* स्नेहमयी नाम की बंगाली डाक्टरनी पालन पोषण करती है।
* बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से I.S.C. पास करने के बाद पटना मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया।
* विदेश जाने की स्कॉलरशिप ठुकरा कर पूर्णिया के पूर्वी अंचल में मलेरिया एवं काला आजार पर शोध करता है। कमली का प्रेमी है।
* कमली को प्रेम से राजकमल कहता है।
* बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से I.S.C. पास करने के बाद पटना मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया।
* विदेश जाने की स्कॉलरशिप ठुकरा कर पूर्णिया के पूर्वी अंचल में मलेरिया एवं काला आजार पर शोध करता है। कमली का प्रेमी है।
* कमली को प्रेम से राजकमल कहता है।
* विश्वनाथ प्रसाद :-
- कायस्थ टोली का मुखिया
* राजा पारबंगा का मीनापुर सर्किल का तहसीलदार है। 1000 बीघा ज़मीन का काश्तकार है।
◆ बाद' में तहसीलदारी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो जाता है।
* राजा पारबंगा का मीनापुर सर्किल का तहसीलदार है। 1000 बीघा ज़मीन का काश्तकार है।
◆ बाद' में तहसीलदारी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो जाता है।
* बालदेव: -
- कांग्रेस का कार्यकर्ता है।
* सुराजी (स्वराज्य का समर्थक) है।
* चंदनपट्टी नामक गाँव का रहने वाला है।
* 2 साल जेल में रहा है।
* खादी पहनता है और मिलने पर जय हिंद का उच्चारण करता है।
* सुराजी (स्वराज्य का समर्थक) है।
* चंदनपट्टी नामक गाँव का रहने वाला है।
* 2 साल जेल में रहा है।
* खादी पहनता है और मिलने पर जय हिंद का उच्चारण करता है।
* बावनदास : -
- कांग्रेस का कार्यकर्ता है।
* सुराजी (स्वराज्य का समर्थक) है।
* बौने कद का व्यक्ति है।
* घोर नैतिकतावादी - एक बार चंदे के पैसे से जलेबियाँ खा लेने के बाद 2 दिन तक उपवास करके प्रायश्चित किया था।
* कपड़े, चीनी एवं सीमेंट को अवैध रूप से पाकिस्तान ले जाने का विरोध करते हुए इन सामानों से लदी बैल गाड़ियों के नीचे कुचल कर मर जाता है।
* कालीचरण: -
* सुराजी (स्वराज्य का समर्थक) है।
* बौने कद का व्यक्ति है।
* घोर नैतिकतावादी - एक बार चंदे के पैसे से जलेबियाँ खा लेने के बाद 2 दिन तक उपवास करके प्रायश्चित किया था।
* कपड़े, चीनी एवं सीमेंट को अवैध रूप से पाकिस्तान ले जाने का विरोध करते हुए इन सामानों से लदी बैल गाड़ियों के नीचे कुचल कर मर जाता है।
* कालीचरण: -
- सोशलिस्ट पार्टी का कार्यकर्ता है।
* युवा वर्ग का प्रतिनिधि, साहसी, शोषण का विरोध करने वाला।
* युवा वर्ग का प्रतिनिधि, साहसी, शोषण का विरोध करने वाला।
* डकैती के झूठे आरोप में जेल में बंद कर दिया जाता है लेकिन वहाँ से फरार हो जाता है।
* कमली: -
* कमली: -
- तहसीलदार विश्वनाथ प्रसाद की पुत्री और प्रशांत की प्रेमिका
* रोज शिवपूजन करती है।
* किसी अज्ञात बीमारी से ग्रस्त है जिसका इलाज कराने में ही डॉक्टर से परिचय होता है।
* रोज शिवपूजन करती है।
* किसी अज्ञात बीमारी से ग्रस्त है जिसका इलाज कराने में ही डॉक्टर से परिचय होता है।
* लछमी: -
- मठ में दासी
* मठ के महंत द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से शोषित
* बाद में बालदेव के साथ रहने लगती है।
* मठ के महंत द्वारा शारीरिक और मानसिक रूप से शोषित
* बाद में बालदेव के साथ रहने लगती है।
* महंत सेवादासः -
- मेरीगंज के मठ का महंत
* पहले बहुत ज्ञानी साधु समझा जाता था पर लछमी दासिन को लाने के बाद से लोग बुरा-भला कहने लगे।
* प्यारू: -
* पहले बहुत ज्ञानी साधु समझा जाता था पर लछमी दासिन को लाने के बाद से लोग बुरा-भला कहने लगे।
* प्यारू: -
- डॉ. प्रशांत का सहायक है।
* पहले रौतहट स्टेशन में एक होम्योपैथिक डॉक्टर के यहाँ 5 साल नौकरी कर चुका है।
* रौदी बूढ़ा (थर्ड जेंडर): -
* पहले रौतहट स्टेशन में एक होम्योपैथिक डॉक्टर के यहाँ 5 साल नौकरी कर चुका है।
* रौदी बूढ़ा (थर्ड जेंडर): -
- दही बेचने का काम करता है।
* चाल चलन और बोलने का तरीका औरतों की तरह है।
* लरसिंघदासः -
* चाल चलन और बोलने का तरीका औरतों की तरह है।
* लरसिंघदासः -
- मठ में आचारजगुरु के आने का संदेश लेकर आता है परंतु लोभ में आकर महंती पाने की कोशिश करने लगता है।
* सुमरितदासः -
* सुमरितदासः -
- 'बेतार की खबर' उपनाम से जाना जाता है।
* तहसीलदार विश्वनाथ का रोटिया गवाह (गवाही की रोटी खाने वाला) है।
* पार्वती की माँः -
- अधेड़ उम्र की स्त्री जिसको गाँव वाले डायन मानते हैं।
* हीरू नामक चरित्र द्वारा इसी शक में उसकी हत्या कर दी जाती है।
* चलित्तर कर्मकार: -
* हीरू नामक चरित्र द्वारा इसी शक में उसकी हत्या कर दी जाती है।
* चलित्तर कर्मकार: -
- क्रांतिकारी है, सोशलिस्ट पार्टी का सदस्य भी है।
* बम, पिस्तौल और बंदूक चलाने में माहिर है।
* चुन्नी गोसाईं: -
* बम, पिस्तौल और बंदूक चलाने में माहिर है।
* चुन्नी गोसाईं: -
- बालदेव और बावनदास के साथ सुराजी बना था, बाद में सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गया।
गौण पात्र
रामदास, ठाकुर रामकृपाल सिंह,
खेलावन यादव,
ज्योतिषी काका,
मंगला,
आभारानी फुलिया,
रामपियरिया,
वासुदेव,
तहसीलदार हरगौरी,
डब्ल्यू.जी.मार्टिन,
सोमा जट,
खलासी,
रामकिशन बाबू,
नीलोत्पल,
रामनारायण ऊधोजी भगत,
रामबरन केथरी,
सतकौड़ी,
उचितदास,
गंगा प्रसाद यादव, सनियां मरमूं, राजो लक्ष्मीदास, नारददास, कलस महतो, गाँधीजी, पंडित नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, देवनाथ मलिक, सोनाई यादव, मंजू महतो, ज़ालिम सिंह, हरखू तेली, नागाबाबा, भोलाबाबू आदि।
कथावस्तु
* मेरीगंज और उसके आस पास के क्षेत्र में घट रही घटनाओं के साथ-साथ रेणु उस समय के भारत में घट रही घटनाओं और उन घटनाओं पर ग्रामवासियों की प्रतिक्रिया भी दर्ज करते हैं। गाँव जाति के आधार पर कई टोलों में बंटा हुआ है जिनमें आपस में प्रतिस्पर्धा और वैमनस्य व्याप्त है। राजनीतिक रूप से भी सक्रिय पात्र उपन्यास में हैं। बालदेव जहाँ कांग्रेस का कार्यकर्ता है वहीं कालीचरन सोशलिस्ट पार्टी का। देश की राजनीति के अतिरिक्त गाँव की अपनी राजनीति भी चलती है।
* अंग्रेज अफसर मार्टिन ने अपनी पत्नी मेरी के नाम पर इस गाँव का नाम मेरीगंज कर दिया था लेकिन यहां आते ही उसकी पत्नी की मलेरिया से मौत हो गई। मार्टिन की दी हुई जमीन पर मलेरिया और काला-आजार के निदान हेतु रिसर्च सेंटर बनता है और उसमें डॉक्टर के रूप में आते हैं डॉक्टर प्रशांत। रिसर्च करते हुए प्रशांत का संपर्क तहसीलदार विश्वनाथ प्रसाद की बेटी कमली से होता है और दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हो जाता है। गाँव में एक कबीरपंथी मठ भी है। जिसका मुख्य महंत सेवादास है। पचास वर्ष की उम्र में सेवादास, दासी बनाकर लछमी को मठ पर रख लेता है।
* महंत लछमी के साथ जबरन यौन संबंध भी बनाता है और वह भी तब से जब कि वह पंद्रह साल की बच्ची थी। इस तरह रेणु धर्म के नाम पर होने वाले कुकर्मों की पोल पट्टी भी खोलते हैं। बालदेव और बावनदास कांग्रेस के कार्यकर्ता और स्वराज्य के इच्छुक हैं। दोनों महात्मा गांधी के अनुयायी भी हैं। गांधी तत्कालीन समय में देश में होने वाली घटनाओं में सक्रिय रूप से उपस्थित थे। उपन्यास में गांधी का ज़िक्र बार-बार किया गया है। गांधी हत्या का जिक्र भी उपन्यास में है। रेडियो में हत्या की खबर सुनकर कमली सबको बताती है और ये सुनकर सभी पात्रों की रुलाई फूट पड़ती है। गांधीवाद से प्रभावित बावनदास स्वतंत्रता के पश्चात चोरी छिपे सीमेंट और चीनी से लदी पाकिस्तान जाती बैलगाड़ियों के सामने लेटकर प्राण उत्सर्ग कर देता है। उपन्यास में यह भी दिखाया गया है कि किस तरह आजादी से पहले अनैतिक और अवैध काम करने वाले आजादी के बाद नेता का छद्म रूप धर कर बड़े-बड़े पदों पर बैठ जाते हैं। इस तरह यह संपूर्ण उपन्यास छोटी-छोटी घटनाओं से मिलकर बना है। कुल मिलाकर अंचल की समस्याओं का परिचय देते हुए गाँववालों में परस्पर रागद्वेष, छोटे-छोटे षड्यंत्र, जातिवाद, अफसरशाही और अवसरवादी राजनीति के दोहरे चरित्र को दिखाते हुए 'मैला आंचल' हमारे सामने आता है।
* "लेकिन गाँव की पंचायत क्या है, पुरैनिया कचहरी के रामू मोदी की दुकान है। सभी अपनी बात पहले कहना चाहते हैं। सब एक ही साथ बोलना चाहते हैं। बातें बढ़ती जाती हैं और असल सवाल बातों के बवंडर में दबा जा रहा है।"
* "यह इसपिताल ? अभी तो नहीं मालूम होगा। जब कुएँ में दवा डालकर गाँव में हैजा फैलाएगा तो समझना। शिव हो! शिव हो!"
* "महतमा जी खुद मैला साफ करते थे। जहाँ सफाई रहती है वहाँ का आदमी भी साफ रहता है। मन साफ रहता है। साहेब लोगों को देखिए, उनके देस का गाछ-बिरिछ भी साफ रहता है।" - बालदेव
* "अन्धा आदमी जब पकड़ता है तो मानो उसके हाथों में मगरमच्छ का बल आ जाता है। अंधे की पकड़। लाख जतन करो, मुट्ठी टस-से-मस नहीं होगी! .... हाथ है या लोहार की 'सँडसी'!"
* "रुपैया को बजाकर देखा जाता है और आदमी को एक ही बोली से पहचाना जाता है।"
* "जाति बहुत बड़ी चीज़ है। जात-पात नहीं माननेवालों की भी जाति होती है।"
"भावुकता का दौरा भी एक खतरनाक रोग है।"
* "गाँव के लोग बड़े सीधे दीखते हैं; सीधे का अर्थ यदि अपढ़ अज्ञानी और अंधविश्वासी हो तो वास्तव में सीधे हैं वे। जहाँ तक सांसारिक बुद्धि का सवाल है, वे हमारे और तुम्हारे जैसे लोगों को दिन में पाँच बार ठग लेंगे। और तारीफ यह है कि तुम ठगी जाकर भी उनकी सरलता पर मुग्ध होने के लिये मजबूर हो जाओगी।" - डॉक्टर प्रशांत
* अंग्रेज अफसर मार्टिन ने अपनी पत्नी मेरी के नाम पर इस गाँव का नाम मेरीगंज कर दिया था लेकिन यहां आते ही उसकी पत्नी की मलेरिया से मौत हो गई। मार्टिन की दी हुई जमीन पर मलेरिया और काला-आजार के निदान हेतु रिसर्च सेंटर बनता है और उसमें डॉक्टर के रूप में आते हैं डॉक्टर प्रशांत। रिसर्च करते हुए प्रशांत का संपर्क तहसीलदार विश्वनाथ प्रसाद की बेटी कमली से होता है और दोनों को एक-दूसरे से प्रेम हो जाता है। गाँव में एक कबीरपंथी मठ भी है। जिसका मुख्य महंत सेवादास है। पचास वर्ष की उम्र में सेवादास, दासी बनाकर लछमी को मठ पर रख लेता है।
* महंत लछमी के साथ जबरन यौन संबंध भी बनाता है और वह भी तब से जब कि वह पंद्रह साल की बच्ची थी। इस तरह रेणु धर्म के नाम पर होने वाले कुकर्मों की पोल पट्टी भी खोलते हैं। बालदेव और बावनदास कांग्रेस के कार्यकर्ता और स्वराज्य के इच्छुक हैं। दोनों महात्मा गांधी के अनुयायी भी हैं। गांधी तत्कालीन समय में देश में होने वाली घटनाओं में सक्रिय रूप से उपस्थित थे। उपन्यास में गांधी का ज़िक्र बार-बार किया गया है। गांधी हत्या का जिक्र भी उपन्यास में है। रेडियो में हत्या की खबर सुनकर कमली सबको बताती है और ये सुनकर सभी पात्रों की रुलाई फूट पड़ती है। गांधीवाद से प्रभावित बावनदास स्वतंत्रता के पश्चात चोरी छिपे सीमेंट और चीनी से लदी पाकिस्तान जाती बैलगाड़ियों के सामने लेटकर प्राण उत्सर्ग कर देता है। उपन्यास में यह भी दिखाया गया है कि किस तरह आजादी से पहले अनैतिक और अवैध काम करने वाले आजादी के बाद नेता का छद्म रूप धर कर बड़े-बड़े पदों पर बैठ जाते हैं। इस तरह यह संपूर्ण उपन्यास छोटी-छोटी घटनाओं से मिलकर बना है। कुल मिलाकर अंचल की समस्याओं का परिचय देते हुए गाँववालों में परस्पर रागद्वेष, छोटे-छोटे षड्यंत्र, जातिवाद, अफसरशाही और अवसरवादी राजनीति के दोहरे चरित्र को दिखाते हुए 'मैला आंचल' हमारे सामने आता है।
प्रमुख उद्धरण
* "इसमें फूल भी हैं शूल भी; धूल भी है, गुलाब भी; कीचड़ भी है, चन्दन भी; सुंदरता भी है, कुरूपता भी मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया।" - लेखक* "लेकिन गाँव की पंचायत क्या है, पुरैनिया कचहरी के रामू मोदी की दुकान है। सभी अपनी बात पहले कहना चाहते हैं। सब एक ही साथ बोलना चाहते हैं। बातें बढ़ती जाती हैं और असल सवाल बातों के बवंडर में दबा जा रहा है।"
* "यह इसपिताल ? अभी तो नहीं मालूम होगा। जब कुएँ में दवा डालकर गाँव में हैजा फैलाएगा तो समझना। शिव हो! शिव हो!"
* "महतमा जी खुद मैला साफ करते थे। जहाँ सफाई रहती है वहाँ का आदमी भी साफ रहता है। मन साफ रहता है। साहेब लोगों को देखिए, उनके देस का गाछ-बिरिछ भी साफ रहता है।" - बालदेव
* "अन्धा आदमी जब पकड़ता है तो मानो उसके हाथों में मगरमच्छ का बल आ जाता है। अंधे की पकड़। लाख जतन करो, मुट्ठी टस-से-मस नहीं होगी! .... हाथ है या लोहार की 'सँडसी'!"
* "रुपैया को बजाकर देखा जाता है और आदमी को एक ही बोली से पहचाना जाता है।"
* "जाति बहुत बड़ी चीज़ है। जात-पात नहीं माननेवालों की भी जाति होती है।"
"भावुकता का दौरा भी एक खतरनाक रोग है।"
* "गाँव के लोग बड़े सीधे दीखते हैं; सीधे का अर्थ यदि अपढ़ अज्ञानी और अंधविश्वासी हो तो वास्तव में सीधे हैं वे। जहाँ तक सांसारिक बुद्धि का सवाल है, वे हमारे और तुम्हारे जैसे लोगों को दिन में पाँच बार ठग लेंगे। और तारीफ यह है कि तुम ठगी जाकर भी उनकी सरलता पर मुग्ध होने के लिये मजबूर हो जाओगी।" - डॉक्टर प्रशांत
* “तुम्हारे विद्यापति के गान हमारी टूटी झोंपड़ियों में ज़िन्दगी के मधुरस बरसा रहे हैं। - ओ कवि ! तुम्हारी कविता ने मचलकर एक दिन कहा था- चलो कवि, बनफूलों की ओर!"
* “जवानी की सुंदरता आग लगाती है, और बुढ़ापे की सुंदरता स्नेह बरसाती है।"
* “महँगी पड़े या अकाल हो, पर्व-त्योहार तो मनाना ही होगा। और होली? फागुन महीने की हवा ही बावरी होती है। आसिन-कातिक के मैलेरिया और कालाआजार से टूटे हुए शरीर में फागुन की हवा संजीवनी फूंक देती है।"
* “सरकारी उर्दी को रंग देने से जेल की सजा होती है। डाक्टर सरकारी आदमी है, बाहरी आदमी है। वह गाँव के समाज का नहीं।"
* "वैसे ही राज आज कांग्रेस का है।
लीडर बने हैं सभी कल के गीदड़ ... जोगी जी सर... र र...."
* "चर्खा कातो, खध्धड़ पहनो, रहे हाथ में झोली दिन दहाड़े करो डकैती बोल सुराजी बोली...,
* "गावत गांधी राग मनोहर
लीडर बने हैं सभी कल के गीदड़ ... जोगी जी सर... र र...."
* "चर्खा कातो, खध्धड़ पहनो, रहे हाथ में झोली दिन दहाड़े करो डकैती बोल सुराजी बोली...,
* "गावत गांधी राग मनोहर
चरखा चलावे बाबू राजेन्दर
गूँजल भारत अमहाई रे! होरिया आई फिर से !
वीर जमाहिर शान हमारो,
जयप्रकाश जैसो भाई रे!
होरिया आई फिर से!"
* "अब वह यह मानने को तैयार है कि आदमी का दिल होता है, शरीर को चीर-फाड़कर जिसे हम नहीं पा सकते हैं। वह 'हार्ट' नहीं वह अगम अगोचर जैसी चीज है, जिसमें दर्द होता है, लेकिन जिसकी दवा 'ऐड्रिलिन' नहीं। उस दर्द को मिटा दो, आदमी जानवर हो जाएगा। दिल वह मंदिर है जिसमें आदमी के अन्दर का देवता बास करता है।"
* "प्रत्येक इतिहास पर गौरव करने वाले युग में पले हुए हर व्यक्ति को अपने खानदान की ऐसी कहानी चाहिये जिसके उजाले से वह दुनिया में चकाचौंध पैदा कर दे।"
"धरती माता अभी स्वर्णांचला है। गेहूँ की सुनहली बालियों से भरे हुए खेतों में पुरवैया हवा लहरें पैदा करती है। सारे गाँव के लोग खेतों में हैं। मानो सोने की नदी में, कमर-भर सुनहले पानी में सारे गाँव के लोग क्रीड़ा कर रहे हैं। सुनहली लहरें। ताड़ के पेड़ों की पंक्तियाँ झरबेरी का जंगल, कोठी का बाग, कमल के पत्तों से भरे हुए कमला नदी के गड्ढे!"
* "लड़की की जात बिना दवा दारू के ही आराम हो जाती है।"
* "मौसी ने जब जुगलजोड़ी देखी तो उसके हाथ स्वयं ही आँचल के खूँट पर चले गए।"
* "मैं आप लोगों को मीठी बातों में भुलाना नहीं चाहता। वह काँगरेसी का काम है। मैं आग लगाना चाहता हूँ।"- कालीचरन
* "रोज डिस्पेंसरी खोलकर शिव जी की मूर्ति पर बेलपत्र चढ़ाने के बाद, संक्रामक और भयानक रोगों के फैलने की आशा में कुर्सी पर बैठे रहना अथवा अपने बँगले पर सैकड़ों रोगियों की भीड़ जमा करके रोग की परीक्षा करने के पहले नोटों और रुपयों की परीक्षा करना, मेडिकल कालेज के विद्यार्थियों पर पांडित्य की वर्षा करके अपने कर्त्तव्य की इतिश्री समझना और अस्पताल में कराहते हुए गरीब रोगियों के रुदन को जिन्दगी का एक संगीत समझकर उपभोग करना ही डॉक्टर का कर्त्तव्य नहीं!"
* “एक असहाय औरत देवता के संरक्षण में भी सुख-चैन से नहीं सो सकती।"
* "अरे जिन्दगी है किरान्ती से, किरान्ती में बिताए जा। दुनिया के पूँजीवाद को दुनिया से मिटाए जा।"
* "जात क्या है! जात दो ही हैं, एक गरीब और दूसरी अमीर।"
* "डाक्टर यहाँ की गरीबी और बेबसी को देखकर आश्चर्यचकित होता है। वह संतोष कितना महान है जिसके सहारे यह वर्ग जी रहा है? आखिर वह कौन-सा कठोर विधान है, जिसने हज़ारों-हजार क्षुधितों को अनुशासन में बाँध रखा है?"
* "कानून बनने के पहले ही कानून को बेकार करने के तरीके गढ़ लिये जाते हैं।"
* "क्या करेगा वह संजीवनी बूटी खोजकर? उसे नहीं चाहिये संजीवनी। भूख और बेबसी से छटपटाकर मरने से अच्छा है मैलेग्नेण्ट मैलेरिया से बेहोश होकर मर जाना। तिल-तिलकर घुल-घुलकर मरने के लिये उन्हें जिलाना बहुत बड़ी क्रूरता होगी... सुनते हैं, महात्मा गांधी ने कष्ट से तड़पते हुए बछड़े को गोली से मारने की सलाह दी थी। वह नए संसार के लिये इंसान को स्वच्छ और सुंदर बनाना चाहता था। यहाँ इंसान हैं कहाँ?... अभी पहला काम है, जानवर को इंसान बनाना !"
* "डाक्टर का रिसर्च पूरा हो गया; एकदम कम्पलीट। वह बड़ा डॉक्टर हो गया। डॉक्टर ने रोग की जड़ पकड़ ली है...।"
* "गरीबी और जहालत इस रोग के दो कीटाणु हैं।"
* "यहाँ का आदमी जीकर करेगा क्या? ऐसी जिन्दगी ? पशु से भी सीधे हैं ये इंसान। पशु से भी ज्यादा खूंखार हैं ये।... पेट। यही इनकी बड़ी कमजोरी है। मौजूदा सामाजिक न्याय विधान ने इन्हें अपने सैकड़ों बाजुओं में जकड़कर ऐसा लाचार कर रखा है कि ये चूँ तक नहीं कर सकते।... फिर भी ये जीना चाहते हैं।"
* "यह डाकडर तो सुनते हैं कि... जरमनवाला का आदमी है। जोतखी जी ठीक ही कहते थे... जरमनवाला का सी आई डी है यह डाकडर। यहाँ के लोगों को सूई भोंककर कमजोर करने का काम करता था। कुआँ में दवा डालकर सचमुच में हैजा फैलाया है। जरमनवाला का एक पाटी है यहाँ, कमसीन कौम नीस पाटी सुनते हैं, उसी पाटी का आदमी है।"
* "नागर को एक बहुत बड़ा गवाह बनाया है, दोनों देसवालों ने। नागर नदी ही सीमा-रेखा है।... एक किनारा हिंदुस्तान, दूसरा किनारा पाकिस्तान!"
* "बावन ने दो आजाद देशों की, हिंदुस्तान और पाकिस्तान की ईमानदारी को, इंसानियत को, बस दो डेग में ही नाप लिया।"
* "नागर नदी के बीच में पहुँचकर पाकिस्तान के पुलिस अफसरसाहब ने कहा- "नदी में ही डाल दो। इसकी झोलवी को उस पार दरख्त से लटका दो। जल्दी।"
* "नागर की धारा हठात् कलकला उठी। सिपाही खैजड़ी को पानी में फेंकते हुए कहता है-
* "अब वह यह मानने को तैयार है कि आदमी का दिल होता है, शरीर को चीर-फाड़कर जिसे हम नहीं पा सकते हैं। वह 'हार्ट' नहीं वह अगम अगोचर जैसी चीज है, जिसमें दर्द होता है, लेकिन जिसकी दवा 'ऐड्रिलिन' नहीं। उस दर्द को मिटा दो, आदमी जानवर हो जाएगा। दिल वह मंदिर है जिसमें आदमी के अन्दर का देवता बास करता है।"
* "प्रत्येक इतिहास पर गौरव करने वाले युग में पले हुए हर व्यक्ति को अपने खानदान की ऐसी कहानी चाहिये जिसके उजाले से वह दुनिया में चकाचौंध पैदा कर दे।"
"धरती माता अभी स्वर्णांचला है। गेहूँ की सुनहली बालियों से भरे हुए खेतों में पुरवैया हवा लहरें पैदा करती है। सारे गाँव के लोग खेतों में हैं। मानो सोने की नदी में, कमर-भर सुनहले पानी में सारे गाँव के लोग क्रीड़ा कर रहे हैं। सुनहली लहरें। ताड़ के पेड़ों की पंक्तियाँ झरबेरी का जंगल, कोठी का बाग, कमल के पत्तों से भरे हुए कमला नदी के गड्ढे!"
* "लड़की की जात बिना दवा दारू के ही आराम हो जाती है।"
* "मौसी ने जब जुगलजोड़ी देखी तो उसके हाथ स्वयं ही आँचल के खूँट पर चले गए।"
* "मैं आप लोगों को मीठी बातों में भुलाना नहीं चाहता। वह काँगरेसी का काम है। मैं आग लगाना चाहता हूँ।"- कालीचरन
* "रोज डिस्पेंसरी खोलकर शिव जी की मूर्ति पर बेलपत्र चढ़ाने के बाद, संक्रामक और भयानक रोगों के फैलने की आशा में कुर्सी पर बैठे रहना अथवा अपने बँगले पर सैकड़ों रोगियों की भीड़ जमा करके रोग की परीक्षा करने के पहले नोटों और रुपयों की परीक्षा करना, मेडिकल कालेज के विद्यार्थियों पर पांडित्य की वर्षा करके अपने कर्त्तव्य की इतिश्री समझना और अस्पताल में कराहते हुए गरीब रोगियों के रुदन को जिन्दगी का एक संगीत समझकर उपभोग करना ही डॉक्टर का कर्त्तव्य नहीं!"
* “एक असहाय औरत देवता के संरक्षण में भी सुख-चैन से नहीं सो सकती।"
* "अरे जिन्दगी है किरान्ती से, किरान्ती में बिताए जा। दुनिया के पूँजीवाद को दुनिया से मिटाए जा।"
* "जात क्या है! जात दो ही हैं, एक गरीब और दूसरी अमीर।"
* "डाक्टर यहाँ की गरीबी और बेबसी को देखकर आश्चर्यचकित होता है। वह संतोष कितना महान है जिसके सहारे यह वर्ग जी रहा है? आखिर वह कौन-सा कठोर विधान है, जिसने हज़ारों-हजार क्षुधितों को अनुशासन में बाँध रखा है?"
* "कानून बनने के पहले ही कानून को बेकार करने के तरीके गढ़ लिये जाते हैं।"
* "क्या करेगा वह संजीवनी बूटी खोजकर? उसे नहीं चाहिये संजीवनी। भूख और बेबसी से छटपटाकर मरने से अच्छा है मैलेग्नेण्ट मैलेरिया से बेहोश होकर मर जाना। तिल-तिलकर घुल-घुलकर मरने के लिये उन्हें जिलाना बहुत बड़ी क्रूरता होगी... सुनते हैं, महात्मा गांधी ने कष्ट से तड़पते हुए बछड़े को गोली से मारने की सलाह दी थी। वह नए संसार के लिये इंसान को स्वच्छ और सुंदर बनाना चाहता था। यहाँ इंसान हैं कहाँ?... अभी पहला काम है, जानवर को इंसान बनाना !"
* "डाक्टर का रिसर्च पूरा हो गया; एकदम कम्पलीट। वह बड़ा डॉक्टर हो गया। डॉक्टर ने रोग की जड़ पकड़ ली है...।"
* "गरीबी और जहालत इस रोग के दो कीटाणु हैं।"
* "यहाँ का आदमी जीकर करेगा क्या? ऐसी जिन्दगी ? पशु से भी सीधे हैं ये इंसान। पशु से भी ज्यादा खूंखार हैं ये।... पेट। यही इनकी बड़ी कमजोरी है। मौजूदा सामाजिक न्याय विधान ने इन्हें अपने सैकड़ों बाजुओं में जकड़कर ऐसा लाचार कर रखा है कि ये चूँ तक नहीं कर सकते।... फिर भी ये जीना चाहते हैं।"
* "यह डाकडर तो सुनते हैं कि... जरमनवाला का आदमी है। जोतखी जी ठीक ही कहते थे... जरमनवाला का सी आई डी है यह डाकडर। यहाँ के लोगों को सूई भोंककर कमजोर करने का काम करता था। कुआँ में दवा डालकर सचमुच में हैजा फैलाया है। जरमनवाला का एक पाटी है यहाँ, कमसीन कौम नीस पाटी सुनते हैं, उसी पाटी का आदमी है।"
* "नागर को एक बहुत बड़ा गवाह बनाया है, दोनों देसवालों ने। नागर नदी ही सीमा-रेखा है।... एक किनारा हिंदुस्तान, दूसरा किनारा पाकिस्तान!"
* "बावन ने दो आजाद देशों की, हिंदुस्तान और पाकिस्तान की ईमानदारी को, इंसानियत को, बस दो डेग में ही नाप लिया।"
* "नागर नदी के बीच में पहुँचकर पाकिस्तान के पुलिस अफसरसाहब ने कहा- "नदी में ही डाल दो। इसकी झोलवी को उस पार दरख्त से लटका दो। जल्दी।"
* "नागर की धारा हठात् कलकला उठी। सिपाही खैजड़ी को पानी में फेंकते हुए कहता है-
- "डमरू बजाके रघुपति राघव गाते रहो!"
* "तुम्हारी किताबों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। मुझे कितना बड़ा सहारा मिला है तुम्हारी किताबों से! लेकिन अब एक नई किताब चाहिये जिसके पृष्ठ-पृष्ठ में लिखा हुआ हो-कमला! विश्वास करो ! डरो मत! जो होगा, मंगलमय होगा...।"
* "लेबोरेटरी!... विशाल प्रयोगशाला। ऊँची चहारदीवारी में बन्द प्रयोगशाला।... साम्राज्य-लोभी शासकों की संगीनों के साये में वैज्ञानिकों के दल खोज कर रहे हैं, प्रयोग कर रहे हैं।... गंजी खोपड़ियों पर लाल-हरी रोशनी पड़ रही है।... मारात्मक, विध्वंसक और सर्वनाशा शक्तियों के सम्मिश्रण से एक ऐसे बम की रचना हो रही है जो सारी पृथ्वी को हवा के रूप में परिणत कर देगा... ऐटम ब्रेक. कर रहा है मकड़ी के... जाल की तरह! चारों ओर एक महा-अंधकार! सब वाष्प ! प्रकृति-पुरुष... अंड-पिंड! मिट्टी और मनुष्य के शुभचिन्तकों की छोटी-सी टोली अँधेरे में टटोल रही है। अँधेरे में वे आपस में टकराते हैं।... वेदान्त... भौतिकवाद... सापेक्षवाद... मानवतावाद!... हिंसा से जर्जर प्रकृति रो रही है। विधाता की सृष्टि में मानव ही सबसे बढ़कर शक्तिशाली है। उसको पराजित करना असंभव है, प्रचंड शक्तिशाली बमों में भी नहीं... पागलो! आदमी आदमी है, गिनीपिग नहीं।... सबारि ऊपर मानुस सत्य!"- प्रशांत का चिंतन
* "तुम्हारी किताबों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। मुझे कितना बड़ा सहारा मिला है तुम्हारी किताबों से! लेकिन अब एक नई किताब चाहिये जिसके पृष्ठ-पृष्ठ में लिखा हुआ हो-कमला! विश्वास करो ! डरो मत! जो होगा, मंगलमय होगा...।"
* "लेबोरेटरी!... विशाल प्रयोगशाला। ऊँची चहारदीवारी में बन्द प्रयोगशाला।... साम्राज्य-लोभी शासकों की संगीनों के साये में वैज्ञानिकों के दल खोज कर रहे हैं, प्रयोग कर रहे हैं।... गंजी खोपड़ियों पर लाल-हरी रोशनी पड़ रही है।... मारात्मक, विध्वंसक और सर्वनाशा शक्तियों के सम्मिश्रण से एक ऐसे बम की रचना हो रही है जो सारी पृथ्वी को हवा के रूप में परिणत कर देगा... ऐटम ब्रेक. कर रहा है मकड़ी के... जाल की तरह! चारों ओर एक महा-अंधकार! सब वाष्प ! प्रकृति-पुरुष... अंड-पिंड! मिट्टी और मनुष्य के शुभचिन्तकों की छोटी-सी टोली अँधेरे में टटोल रही है। अँधेरे में वे आपस में टकराते हैं।... वेदान्त... भौतिकवाद... सापेक्षवाद... मानवतावाद!... हिंसा से जर्जर प्रकृति रो रही है। विधाता की सृष्टि में मानव ही सबसे बढ़कर शक्तिशाली है। उसको पराजित करना असंभव है, प्रचंड शक्तिशाली बमों में भी नहीं... पागलो! आदमी आदमी है, गिनीपिग नहीं।... सबारि ऊपर मानुस सत्य!"- प्रशांत का चिंतन
* • "कलीमुद्दीन घाट पर चेथरिया पीर में किसी ने मानत करके एक चीथड़ा और लटका दिया।"
मैला आँचल ( उपन्यास )-(फणीश्वरनाथ 'रेणु') - 1954 ई.|| maila aanchal ( upanyaas )-(phaneeshvaranaath renu) - 1954 e.
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