राजस्थान में कृषि || राजस्थान में कृषि के प्रकार || राजस्थान में कृषि ऋतुएँ || RPSC, RSSMB, REET, All Competition Exam Notes
राजस्थान में कृषि
प्रिय पाठकों,........इस पोस्ट में हमने राजस्थान की कृषि के महत्वपूर्ण बिंदुओं को क्रमवार से समाहित किया गया है। यदि आपको हमारे द्वारा किया गया यह प्रयास अच्छा लगा है, तो इस पोस्ट को अपने साथियों के साथ अवश्य साझा करें। आप अपने सुझाव नीचे कमेंट बॉक्स में दर्ज कर सकते है। जिससे हम राजस्थान भूगोल के आगामी ब्लॉग को और बेहतर बनाने की कोशिश कर सकें।
राजस्थान में कृषि के प्रकार-
राजस्थान में भौतिक, भूतात्विक, जलवायु, मिट्टी व वनस्पति आदि भौगोलिक दशाओं के आधार पर निम्न प्रकार की कृषि की जाती है-
1. 'वालरा'/'झूमिंग' स्थानांतरण कृषि पद्धति
वालरा - भील जनजाति द्वारा दक्षिणी राजस्थान में की जाने वाली झुमिंग कृषि।
दजिया -भील जनजाति द्वारा दक्षिणी राजस्थान में समतल मैदान पर की जाने वाली कृषि।
चिमाता - भील जनजाति द्वारा दक्षिणी राजस्थान में पहाड़ी व ढलान पर की जाने वाली कृषि।
- यहाँ पर मक्का की फसल का प्रमुख रूप से उत्पादन किया जाता
है।
2. शुष्क कृषि (ड्राई फार्मिंग)
- राजस्थान के अरावली के पश्चिम में एवं मध्य तटस्थ क्षेत्रों में जहाँ 50 सेमी. से कम औसत वार्षिक वर्षा होती है, शुष्क कृषि पद्धति अपनाई जाती है। (इसमें नहरी क्षेत्र शामिल नहीं है) D
- इस प्रकार की कृषि में सिंचाई नहीं की जाती है बल्कि यह वर्षा पानी पर ही निर्भर है। इसमें नमी को बनाये रखने हेतु खेत में बार-बार पलेटा चलाया जाता है।
3. सिंचित कृषि
- 10 सेमी. से 50 सेमी. वर्षा वाले क्षेत्रों में जहाँ फसल की सिंचाई, नहर, कुओं, बाँधों आदि के पानी से की जाती है।
जैसे - गंगानगर, हनुमानगढ़, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, जयपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, चित्तौड़गढ़, अजमेर, पाली, भीलवाड़ा, उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमंद आदि ।
4. आर्द्र कृषि
- यह कृषि राजस्थान के दक्षिण व दक्षिण पूर्वी भाग में मुख्यतः की जाती है।
जैसे - कोटा,
बाराँ, झालावाड़, बाँसवाड़ा, बनास व साबरमती नदी के कुछ भाग।
- जिस मिट्टी में अधिक समय तक पानी रूक सकता है, उन क्षेत्रों में इस प्रकार की कृषि प्रचलित है। यहाँ 100 सेमी. से अधिक औसत वार्षिक वर्षा होती है।
- इसमें चावल, कपास, गेहूँ, उद्यान फसलें, गन्ना, मक्का, ज्वार आदि।
राजस्थान में कृषि ऋतुएँ
1. रबी (शीत ऋतु- अक्टूबर से मार्च
2. खरीफ (वर्षा ऋतु- जून से सितंबर)
3. जायद (ग्रीष्म ऋतु- अप्रैल से जून)
* खरीफ फसलें - बाजरा, ज्वार, मक्का, चावल, कपास, मूंग, मोठ, चवला, ग्वार, तिल, मूंगफली, सोयाबीन, गन्ना आदि।
* रबी फसलें - गेहूँ, चना, तोरई, सरसों, जौ।
* जायद फसलें - वनस्पति, सब्जियाँ, फल, तरबूज, खरबूजा, चारा फसलें ।
खाद्यान्न फसलें - जिन फसलों का उत्पादन भोजन के लिए उपयोग हेतु किया जाता है खाद्यान्न फसलें कहलाती है।
जैसे - गेहूँ, जौ, ज्वार, मक्का, चावल, दालें आदि।
गेहूँ
गेहूँ हेतु आवश्यक दशाएँ :-
वार्षिक वर्षा – 50-100 सेमी
तापमान
औसत तापमान - 10°-15° सेण्टीग्रेड
बोते समय - 8°-10° सेण्टीग्रेड
काटते समय - 15°-20° सेण्टीग्रेड
मिट्टी - नाइट्रोजनयुक्त हल्की दोमट, बलुई, काली
जलवायु - समशीतोष्ण
राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन - श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़
अन्य उत्पादन क्षेत्र - दक्षिणी पूर्वी राजस्थान (हाड़ौती
क्षेत्र, सवाईमाधोपुर, करौली, चित्तौड़गढ़,
उदयपुर, भीलवाड़ा, टोंक, पाली),
पूर्वी राजस्थान (अलवर, भरतपुर, जयपुर, धौलपुर,
दौसा)
* गेहूँ उत्पादन में राजस्थान भारत का पाँचवाँ राज्य है तथा राज्य की कुल कृषिगत भूमि के 9.5 प्रतिशत भाग में बोया जाता है।
क्षेत्रीय उपज - लाल, काठा, बाज्या, सफेद, फार्मी आदि।
प्रमुख किस्में - कल्याण सोना, सोनालिका, मंगला, गंगा सुनहरी, लाल बहादुर, शरबती, मैक्सिकन कोहिनूर, दुर्गापुरा- 65, राज.-3070, राज.-3077, राज.-821, राज.-1482, राज.-1114, राज.-376, राज.-911, डब्ल्यू एच. 1147
बाजरा
- पश्चिमी राजस्थान की शुष्क जलवायु व रेतीली मृदा बाजरे के लिए उपयुक्त है क्योंकि यह कम वर्षा व उच्च तापमान में होने वाली फसल है।
- राजस्थान भारत के कुल बाजरे का 41.71 प्रतिशत उत्पादन करता है तथा उत्पादन की दृष्टि से प्रथम स्थान पर है।
- मुख्य बाजरा उत्पादक जिले पश्चिमी राजस्थान के सभी जिले एवं जयपुर, अलवर, सीकर, नागौर, जोधपुर, दौसा, भरतपुर, करौली, सवाईमाधोपुर आदि ।
- राजस्थान का पहला बाजरा अनुसंधान केन्द्र बाड़मेर में व बाजरा उत्कृष्टता केन्द्र जोधपुर में स्थापित किया जा रहा है।
बाजरा उत्पादन की दशाएँ-
वर्षा - 50 सेमी. से कम,
तापमान बोते समय - 35°C से 40°C A
काटते समय - 25°C से 30°C
औसत तापमान - 25°C से 35°C
प्रमुख किस्में - नंदी - 70, 72, पायोनियर, बायर, RHB- 30, RCB-911, 2, राज-171, राज. बाजरा चरी बाजरे का 80% क्षेत्र राज्य के 12 मरुस्थलीय जिलों में पाया जाता है।
* अलवर, जयपुर, दौसा, भरतपुर, करौली, सवाईमाधोपुर जिलों में राज्य का 55% बाजरा पैदा होता है।
मोटा अनाज
- मोटा अनाज में बाजरा,
ज्वार, सांवा, कांगनी, कोदो कुटकी आदि का उत्पादन राजस्थान में किया जाता है।
- मोटा अनाज उत्पादन में राजस्थान 28.6% हिस्सेदारी के साथ देश में प्रथम स्थान पर है व मोटा अनाज में क्षेत्रफल की दृष्टि से भी राजस्थान 36% हिस्सेदारी के साथ प्रथम स्थान पर है।
- बाजरा उत्पादन में प्रथम व ज्वार उत्पादन में तृतीय स्थान पर राजस्थान है।
- राज्य सरकार ने मोटा अनाज को प्रोत्साहन देने हेतु वर्ष 2022- 23 में "राजस्थान मिलेट प्रोत्साहन मिशन" प्रारम्भ किया है।
- भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है।
- मोटा अनाज को "सुपर फूड" / "पौष्टिक धान्य" का दर्जा दिया गया है।
जौ
वर्षा - 50 cm से 80 cm
तापमान बोते समय - 10°C
काटते समय - 20°C से 22°C
औसत तापमान - 15°C से 18°C
* मिट्टी - शुष्क व बालू मिश्रित कांप मिट्टी ।
- जलवायु - शुष्क व अर्द्धशुष्क
* उन्नत किस्में - राज किरण, R.D. 2503, 2035, 2052, 103, 258, 57, 31, R.D.B.-1, R.S.-6, B.L.-2
- उत्पादन क्षेत्र- राज्य के कुल कृषि क्षेत्रफल का लगभग 2% E भाग पर जौ का उत्पादन किया जाता है।
गंगानगर,
जयपुर, अलवर, भरतपुर, सवाईमाधोपुर,
दौसा, करौली, टोंक, राजसमंद,
उदयपुर, अजमेर, सीकर, झुंझुनू,
नागौर, पाली, जोधपुर, भीलवाड़ा आदि जिलों में जौ 90% क्षेत्रफल है।
चावल
तापमान :- बोते समय - 30°C से 33°C
काटते समय - 20°C
औसत तापमान - 20°C से 26°C
* वर्षा - 125 cm से 200 cm
- जलवायु - उष्ण व उपोष्ण
* मिट्टी -
काँप, दोमट, चिकनी मिट्टी।
उन्नत किस्में - माही सुगंधा, पूसा सुगंधा, पूसा R.H.-10, बासमती, परमल, चम्बल, शुष्क सम्राट, B.Κ. - 190, 79, 843, R.R.U-5, 665, 664, I.T. 7720, सूखा प्रतिरोधी वागड़ धान, गरड़ा बासमती ।
स्थानीय किस्में - साल, सूतर, डागर, जलजीरा, कमौद, काली कमोद, सफेदा लकड़ा।
* उत्पादन क्षेत्र- कोटा, बाराँ, बूँदी, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर।
ज्वार
तापमान - औसत तापमान - 22°C से 32°C
वर्षा - 40 cm से 130 cm
जलवायु - शुष्क व अर्द्धशुष्क जलवायु
* मिट्टी - दोमट, काली गहरी व मध्यम गहरी मृदा।
* उन्नत किस्में - C.S.V.-10, S.V.P.-245, S.P.-96, SPV- 96, राज. चरी-1, 2, C.S.V. 15, 245, C.S.H.-5,9,6,14
उत्पादन क्षेत्र- 88% ज्वार
उत्पादक क्षेत्र कोटा, बाराँ, बूँदी, झालावाड़,
चित्तौड़गढ़, अलवर, भरतपुर, करौली,
सवाईमाधोपुर, व टोंक में
है।
मक्का
- इसके लिए लाल-काली मिट्टी व दोमट मृदा उपयुक्त रहती है।
वर्षा :- 50-80 सेमी.
* औसत तापमान - 21°C से 27°C
* मक्का की प्रमुख किस्में - माही कंचन, माही धवल, नवजोत, सविता, किरण, पूसा विवेक, पूसा H.M.-8, पूसा H.M.-9
राजस्थान में शीर्ष मक्का उत्पादक जिले-
1. भीलवाड़ा
2. चित्तौड़गढ़
3. उदयपुर
4. राजसमंद
5. बाँसवाड़ा
6. डूंगरपुर
सरसों
सरसों उत्पादन की दशाएँ-
वर्षा - 75-100 सेमी.
तापमान - 15° C से 20° C
मिट्टी - हल्की चिकनी, दोमट मृदा।
मुख्य सरसों उत्पादक जिले :- भरतपुर, अलवर, सवाईमाधोपुर,
करौली, टोंक, धौलपुर, श्रीगंगानगर,
हनुमानगढ़ आदि।
* प्रमुख किस्में- पूसा बोल्दड, पीताम्बरी, P.R.-45, 15, R.H.- 30, R.H.-819, R.L.-1359, बायो-902 (सूरत जय किसान), P.C.R.-7 (रजत), R.N. - 356, 393, पूसा कल्याण, रोहणी, टी-59, वरुण/आरएल-18, वरदान, रजत/आरएलएम-1354 क्रांति, पूसा जय किसान
- सरसों उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान (44.57 प्रतिशत) है।
- पिछले दो दशकों में राज्य में खाद्यान्न फसलों का क्षेत्रफल घट गया जबकि तिलहन का क्षेत्रफल बढ़ गया है। व्यावसायिक कारणों से वर्तमान में सोयाबीन की खेती भी बढ़ रही है।
- तिलहन के कुल उत्पादन का 20 प्रतिशत भाग राजस्थान से आता है।
* प्रमुख तिलहन फसलें :- राई, सरसों, तोरियाँ, तारामीरा, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, अलसी, अरंडी, मूंगफली।
तिलहन फसलें - उत्पादक क्षेत्र
अलसी - कोटा, बूँदी, झालावाड़, सवाईमाधोपुर
तिल - उत्तर पश्चिमी राजस्थान, नागौर, कोटा, पाली, जोधपुर
अरण्डी - जालौर,
पाली, सिरोही, बाँसवाड़ा
चना
- चने के लिए हल्की रेतीली मिट्टी उपयुक्त रहती है।
वर्षा - 60-90 सेमी.
तापमान - 20° C से 25° C
मिट्टी - हल्की रेतीली/बलुई।
* चने के प्रमुख उत्पादक जिले :- अजमेर, गंगानगर, हनुमानगढ़ व चूरू हैं।
- चना एक रबी की फसल है जिसके अन्य उत्पादक क्षेत्र बीकानेर, जैसलमेर, अलवर, भरतपुर, दौसा, करौली, सवाईमाधोपुर, शेखावाटी, जयपुर, पाली हैं।
- राजस्थान का देश में चना उत्पादन में तृतीय स्थान है।
* प्रमुख
किस्में - दोहद-येलो, सी-235, आरएस-10, 11, जीएच- 208, जीएनजी-16, 146, आरएसजी-2 (किरण), 44, भारत, पंतजी-114, बीजी-209 (पूसा-209), जीएनजी-16, 146, 158, जीएनजी-663 (वरदान), जीनएनजी-469 (सम्राट)।
* उड़द को हाड़ौती, मेवाड़ व दक्षिणी राजस्थान में बोया जाता है।
- मसूर रबी की फसल है इसे अलवर, भरतपुर व धौलपुर में बोया जाता है।
ईसबगोल
- ईसबगोल के अधिकतम उत्पादक जिले (मीट्रिक टन)- बाड़मेर, नागौर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर, जालौर ।
- ईसबगोल के अधिकतम क्षेत्रफल वाले जिले- बाड़मेर, नागौर, जालौर, जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर।
- इसकी प्रमुख मण्डी भीनमाल (जालौर) में है।
- ईसबगोल एक औषधीय फसल है। इसे स्थानीय भाषा में 'घोड़ा जीरा' कहते हैं।
व्यापारिक/व्यावसायिक फसल :-
* जिन फसलों का उत्पादन केवल व्यवसाय/आर्थिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है, व्यावसायिक फसलें कहलाती है। जैसे- कपास, गन्ना, तम्बाकू, तिलहन आदि ।
कपास
कपास उत्पादन हेतु आवश्यक दशाएँ-
वार्षिक वर्षा - 50 से 100 सेमी
तापमान - 20°-30° सेंटीग्रेड
मिट्टी - काली/रेगुर
पाला रहित दिनों की संख्या - 2104
* राजस्थान में सर्वाधिक उत्पादन - हनुमानगढ़
- राजस्थान में कपास का उत्पादन-गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, कोटा, बूंदी व झालावाड़, बाँसवाड़ा में किया जाता है।
* नरमा - अमेरिकन कपास को देश के उत्तरी पश्चिमी भाग (गंगानगर, हनुमानगढ़) में नरमा कहते हैं जो लम्बे रेशे वाली कपास की फसल होती है।
* बी.टी. कॉटन - कपास पर लगने वाले बाल वर्म (डोडा कीट) को मारने में सक्षम विष उत्पादक जीवाणु बेसिलिस थुरेजिएसिस (B.T.) के जीन को कपास में प्रत्यारोपित करके यह जेनेटिक मोडिफाइड फसल (जी.एम. फसल) तैयार की गई है।
* कपास की किस्में - वीरनार, वराह लक्ष्मी, गंगानगर अगेती, R.S.T. -9, R.S.-875, राज. एच. एच.-16, बीकानेरी नरमा, P.S.T.-9, संकर-14, G.R.J.-8, R.G.-8, मालवी कपास (हाड़ौती क्षेत्र में)
- कपास को "सफेद सोना" व बनियां (स्थानीय भाषा में) भी कहते हैं।
* उत्पादन क्षेत्र -
(i) उत्तरी क्षेत्र - श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, नागौर, जोधपुर।
- इस क्षेत्र में मुख्यतः नरमा/बीकानेरी नरमा किस्म बोयी जाती है।
(ii) मेवाड़ क्षेत्र - उदयपुर, सिरोही, चित्तौड़गढ़।
- इस क्षेत्र में देशी कपास का मुख्यतः उत्पादन किया जाता है।
(iii) हाड़ौती क्षेत्र - कोटा, बूँदी, झालावाड़ में मालवी कपास व बाँसवाड़ा में अमेरिकन कपास मुख्यतः बोई जाती है।
- कपास उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु अखिल भारतीय कपास सुधार परियोजना का केंद्र " श्रीगंगानगर" व उपकेंद्र "बाँसवाड़ा" में स्थापित किया गया है।
- कपास उत्पादन में राजस्थान का देश में चौथा स्थान है तथा औसत उत्पादकता में राजस्थान प्रथम स्थान पर है।
गन्ना
गन्ना उत्पादन हेतु आवश्यक दशाएँ-
वार्षिक वर्षा - 100 से 200 सेमी - 15-250
तापमान - 15°-25° सेंटीग्रेड
मिट्टी - नाइट्रोजन व जीवांश युक्त दोमट, गहरी चिकनी व लावायुक्त काली/काँपीय मृदा।
प्रमुख किस्में - को.419, को. 449, को.997, को.527, को.1007, को.1111, को.66.17, को.1253, को. एस 767
* गन्ना उष्ण कटिबंधीय फसल है जिसकी जन्मस्थली भारत है।
* विश्व के गन्ना उत्पादन क्षेत्र का 35 प्रतिशत क्षेत्र भारत में पाया जाता है।
उत्पादन क्षेत्र- श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, बूँदी आदि जिलों में राज्य का 75% गन्ना उत्पादन होता है।
* मौसम की प्रतिकूलता या अनुकूलता के अनुसार गन्ने का उत्पादन घटता-बढ़ता रहता है।
तम्बाकू
- यह एक उष्णकटिबंधीय पौधा है जो व्यावसायिक फसल में शामिल है। इसका उपयोग धुम्रपान में किया जाता है।
* तापमान - 16°C से 40°C
* मिट्टी - बलुई, दोमट, ढालू व पठारी भूमि।
- प्रमुख उत्पादक क्षेत्र - अलवर, झुंझुनू, नागौर, सवाईमाधोपुर, करौली, चित्तौड़गढ़, जयपुर, उदयपुर।
जीरा, धनिया
* राजस्थान में प्रमुख जीरा उत्पादक जिले - जोधपुर, बाड़मेर, जालौर।
* राजस्थान में प्रमुख धनिया उत्पादक जिले- झालावाड़, बाराँ, कोटा।
सोयाबीन
* राजस्थान में प्रमुख सोयाबीन उत्पादक जिले - कोटा, बूँदी, बाराँ, झालावाड़ तथा सवाईमाधोपुर का कुछ भाग ।
अरण्डी, मुंगफली
* अरंडी के बीजों में अधिकतम तेल पाया जाता है इनमें 40% से 60% तक तेल की मात्रा होती है।
* मूँगफली खरीफ की तिलहनी व वाणिज्यिक फसल है।
* प्रदेश के बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, चित्तौड़गढ़, सवाईमाधोपुर जिलों में इसका उत्पादन किया जाता है।
* मूंगफली उत्पादन में भारत में राजस्थान का द्वितीय स्थान है।
अफीम
* राजस्थान में अफीम उत्पादन में चित्तौड़गढ़ जिला अग्रणी है। इसके अलावा झालावाड़, बाराँ, भीलवाड़ा, उदयपुर, कोटा, प्रतापगढ़ में भी इसकी खेती होती है।
राजस्थान में कृषि के पिछड़ेपन के कारण : -
(i) प्राकृतिक
कारण :- सूखा पड़ना, बंजर व ऊसर
भूमि, मृदा अपरदन
(ii) आर्थिक कारण - किसानों की निर्धनता, उपज का कम मूल्य, पुरानी तकनीकों से कृषि करना, सिंचाई के साधनों की कमी
(iii) संगठनात्मक कारण :- भू स्वामित्व समस्या, नीतिगत समस्याएँ
* आर्थिक समीक्षा 2022-23 के अनुसार राजस्थान के सकल राज्य मूल्य वर्धन (GSVA) में कृषि एवं संबंधित क्षेत्र का योगदान-
* राजस्थान की अर्थव्यवस्था में (GSVA) कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र का योगदान 2011-12 में (प्रचलित मूल्यों पर) 28.56% था जो 2022-23 में 28.95% हो गया। जिसमें से विभिन्न क्षेत्रों का योगदान निम्न है-
फसल क्षेत्र - 13.31 प्रतिशत (46.00%)
पशुधन क्षेत्र- 13.43 प्रतिशत (46.41%)
वानिकी - 2.08 प्रतिशत (7.20%)
मत्स्य - 0.10 प्रतिशत (0.39%)
योग - 28.95 प्रतिशत
भू उपयोग सांख्यिकी 2020-21
(आर्थिक समीक्षा - 2022-23 के अनुसार)
भूमि उपयोग प्रकार प्रतिशत
शुद्ध बोया गया क्षेत्र - 52.34%
वानिकी - 08.08%
गैर-कृषि कार्यों में / कृषि के अतिरिक्त
अन्य उपयोग - 05.86%
स्थायी चारागाह एवं अन्य गोचर भूमि - - 04.86%
बंजर भूमि - 10.87%
ऊसर एवं कृषि अयोग्य भूमि - 06.91%
चालू पड़त भूमि - 04.89%
अन्य पड़त भूमि (चालू पड़त के अतिरिक्त) - 06.10%
ऊसर व कृषि अयोग्य भूमि - 06.91%
विविध वृक्षों के झुण्ड व बाग - 00.09%
10वीं कृषि
गणना (2015-16)- कृषि गणना
प्रत्येक 5 वर्ष बाद
कृषि व सहकारिता विभाग द्वारा की जाती है। पहली कृषि गणना 1970-71 में की गयी।
प्रमुख फसलों के उत्पादन में राजस्थान का स्थान : -
फसल स्थान देश के कुल उत्पादन में राजस्थान का योगदान
1. बाजरा प्रथम 41.71 प्रतिशत
2. सरसों प्रथम 44.57 प्रतिशत
3. पोषक अनाज प्रथम 16.30 प्रतिशत
4. तिलहन प्रथम 22.00 प्रतिशत
5. ग्वार प्रथम 84.60 प्रतिशत
6. दलहन द्वितीय 16.75 प्रतिशत
7. मूँगफली द्वितीय 18.91 प्रतिशत
8. सोयाबीन तृतीय 08.49 प्रतिशत
9. ज्वार तृतीय 12.35 प्रतिशत
10. चना तृतीय 19.37 प्रतिशत
कृषि सांख्यिकी रिपोर्ट 2019-20 के अनुसार उत्पादन-
* गेहूँ - (13895) मिट्रिक टन
* बाजरा - (5086)
मिट्रिक टन
* मक्का - (1115) मिट्रिक टन
* जौ - (1062) मिट्रिक टन
* चावल - (480) मिट्रिक टन
* ज्वार - (456) मिट्रिक टन
* भारत में कृषि गणना का कार्य प्रत्येक 5 वर्ष में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा की जाती है।
* प्रथम कृषि गणना 1970-71 में हुई।
* 11वीं कृषि गणना (2021-22) ऐसी प्रथम कृषि गणना होगी जिसमें डेटा संग्रह का कार्य स्मार्टफोन व टेबलेट के द्वारा किया जायेगा।
* गंगानगर में राज्य का सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पन्न होने के कारण राजस्थान का 'अन्न का भण्डार' कहलाता है।
* सूरतगढ़ (श्री गंगानगर) में एशिया का सबसे बड़ा आधुनिक
मशीनीकृत कृषि फार्म स्थापित किया गया है।
बागवानी फसलें एवं उत्पादन क्षेत्र-
1. आम - उदयपुर, चित्तौड़गढ़
2. संतरा - झालावाड़
3. अमरूद - सवाई माधोपुर
4. केला - सिरोही, चित्तौड़गढ़
5. अंगूर - श्रीगंगानगर
6. अनार - चित्तौड़गढ़, जालौर
7. खरबूजा - पाली
8. मौसमी - श्रीगंगानगर
9. माल्टा - श्रीगंगानगर
10. किन्नू - श्रीगंगानगर
11. नींबू - भरतपुर
12. नासपती - झालावाड
13. सीताफल - राजसमंद
* राजस्थान में कृषि से संबंधित अनुसंधान केन्द्र व संसाधन-
1. केन्द्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र - दुर्गापुरा (जयपुर)
2. केन्द्रीय कृषि फॉर्म - सूरतगढ़
3. केन्द्रीय
कृषि फॉर्म- जैतसर (गंगानगर)
4. राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र- सेवर (भरतपुर)
5. राष्ट्रीय बीजीय मसाला केन्द्र- तबीजी (अजमेर)
6. खजूर अनुसंधान संस्थान - बीकानेर
7. केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान- बीछवाल (बीकानेर)
8. मक्का अनुसंधान केन्द्र- बांसवाड़ा
9. चावल अनुसंधान केन्द्र - बांसवाड़ा
10. केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI)- जोधपुर
11. शुष्क वन
अनुसंधान संस्थान (AFRI)- जोधपुर
* कृषि क्षेत्र की प्रमुख क्रान्तियाँ:-
* पीली क्रांति - तिलहन (सरसों, मूँगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी) से संबंधित
* नीली क्रांति- मछली व समुद्री उत्पादन से संबंधित
* धूसर ग्रे क्रांति - उर्वरक से संबंधित
* भूरी/ब्राउन क्रांति- खाद्य प्रसंस्करण/गैर परम्परागत ऊर्जा
* बादामी क्रांति - मसाला उत्पादन
* लाल क्रांति - माँस/टमाटर
* गुलाबी क्रांति- झींगा मछली/औषधि/प्याज
* रजत क्रांति - कुक्कुट
* कृष्ण क्रांति - बायोडिजल
* दूस री हरित क्रांति-जैविक खेती, जैविक खाद पर बल
* सुनहरी क्रांति - फल उत्पादन
* अमृत क्रांति - नदियों को जोड़ने से संबंधित
* सदाबहार क्रांति - कृषि व जैव तकनीक
* गोल क्रांति - आलु उत्पादन
* इन्द्रधनुष क्रांति - सम्पूर्ण कृषि उत्पाद
राजस्थान संघ :- 27 मार्च 1976 को गठित राज्य स्तरीय शीर्ष सहकारी समिति संस्था |
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