तुलसीदास (1532-1623 ई.) || तुलसीदास - जीवन परिचय || साहित्यिक || रचनाएं || भाषा शैली व साहित्य ...।। Tulsidas
तुलसीदास (1532-1623 ई.) || तुलसीदास - जीवन परिचय || साहित्यिक || रचनाएं || भाषा शैली व साहित्य ...।। Tulsidas
तुलसीदास (1532-1623 ई.)
जन्म - 1532 ई* तुलसीदास भक्तिकाल की सगुण काव्यधारा की रामभक्ति काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि है।
◇ तुलसीदास का जन्म राजापुर गाँव (बान्दापुर, उत्तर प्रदेश) में हुआ।
◇ तुलसीदास का जन्म राजापुर गाँव (बान्दापुर, उत्तर प्रदेश) में हुआ।
* कुछ विद्वान तुलसी का जन्म सोरों नामक स्थान भी बताते हैं।
◇ तुलसीदास का बचपन का नाम रामबोला था।
◇ तुलसीदास का बचपन का नाम रामबोला था।
* इनके पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी था।
☆ अभुक्तमूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण माता-पिता ने तुलसी को त्याग दिया था। तब दासी चुनिया ने पाँच वर्ष तक लालन-पालन किया। बाद में तुलसीदास अपने गुरु नरहरिदास के पास रहने लगे।
◇ तुलसीदास के जन्म वर्ष को लेकर अलग अलग विद्वानों के मत-
> गाँसाई चरित (बेनीमाधवदास) और तुलसीचरित (रघुवरदास) रचना के अनुसार तुलसीदास का जन्म सन् 1597 ई. में हुआ।
> शिवसिंह सरोज के अनुसार तुलसीदास का जन्म सन् 1526 ई. में हुआ।
> पं. रामगुलाम द्विवेदी के अनुसार तुलसीदास का जन्म सन् 1532 ई. में हुआ।
◇ तुलसीदास की शिक्षा अयोध्या में हुई. काशी में शेष सनातन जी ने वेद वेदांग का ज्ञान कराया और सुकर क्षेत्र में नरहर्यानन्द जी राम कथा सुनाई।
* तुलसीदास जी 15 वर्ष काशी में रहने के बाद राजापुर आए।
◇ तुलसीदास जी रामानन्दी परम्परा के चौथे स्तम्भ थे और रामानन्द की शिष्य परम्परा में सातवीं पीढ़ी में आते हैं।
* चित्रकूट में तुलसी को राम की अलौकिक अनुभूति हुई।
◇ बाबा रघुवरदास का ग्रंथ तुलसीचरित के अनुसार तुलसी का जन्म 1497 ई. में हुआ और इनके पिता का नाम मुरारि मिश्र था।
◇ तुलसीदास का विवाह दीनबंधु पाठक की कन्या रत्नावली से हुआ।
# तुलसीदास का विवाह दीनबंधु पाठक की कन्या रत्नावली से हुआ
2. कृष्ण गीतावली- 1571 ई. (61 पद) - ब्रजभाषा
3. रामचरित मानस- 1574 ई. (7 काण्ड ) - अवधी भाषा
उपरोक्त रचनाओं में पाँच रचनाएँ -
> कलिकाल का वाल्मीकि - नाभादास (भक्तमाल)
> महात्मा बुद्ध के बाद दूसरा बड़ा लोकनायक - जार्ज अब्राहम गिर्यसन
> मुगलकाल का सबसे बड़ा आदमी - विसेंट स्मिथ
> आनन्द वन का वृक्ष - डॉ. मधुसूदन सरस्वती
> भक्तमाल का सुमेरु - उदयभानु सिंह (तुलसी काव्य मीमांसा)
> उत्प्रेक्षा का बादशाह - उदयभानु सिंह (तुलसी काव्य मीमांसा)
> रूपक का बादशाह - लाला भगवाना दीन
> अनुप्रास का बादशाह - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
> करुण रस के कवि - हजारी प्रसाद द्विवेदी
◇ कलिकाल से मुक्ति पाने के लिए तुलसीदास ने विनय पत्रिका की रचना की।
◇ तुलसीदास ने बरवै रामायण की रचना रहीम के आग्रह पर की।
◇ वैराग्य संदीपनी में भक्ति, नीति और राम महात्म्य संबंधी दोहे है। तुलसी ने इस रचना को अखिल ज्ञान का सार कहा है।
◇ महत्त्व की दुष्टि से कवितावली रामचरित मानस व विनय पत्रिका के बाद तीसरे स्थान पर है जबकि हनुमान बाहुक अंतिम रचना मानी जाती है। हनुमान बाहुक की रचना तुलसी ने गंभीर बीमारी से मुक्ति पाने के लिए की।
◇ रामचरित मानस के पहले टीकाकार रामचरण दास थे।
◇ तुलसी ने वृन्दावन यात्रा के दौरान सूरदास के आग्रह पर कृष्ण गीतावली रचना की।
◇ तुलसी ने रामाज्ञा प्रश्नावली की रचना गंगाराम के कहने से की थी।
◇ हजारीप्रसाद द्विवेदी ने रामचरित मानस को भारत का बाइबिल कहा था।
> "केशव कहि न जाई, का कहि!" (विनय पत्रिका)
* "हिन्दी काव्य की सब प्रकार की रचना शैली के ऊपर गोस्वामी जी ने अपना ऊँचा आसन स्थापित किया है। यह उच्चता और किसी को प्राप्त नहीं।"- (आ. शुक्ल)
* "रामचरित मानस में तुलसी की करुणा समाजोन्मुख है, विनयपत्रिका में वह आत्मोन्मुख है।" (रामविलास शर्मा)
"रामभक्ति काव्य में तुलसी के बाहर जो कुछ भी है, वह निस्तेज है, निष्प्रभ है।" - (डॉ. बच्चनसिंह)
☆ अभुक्तमूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण माता-पिता ने तुलसी को त्याग दिया था। तब दासी चुनिया ने पाँच वर्ष तक लालन-पालन किया। बाद में तुलसीदास अपने गुरु नरहरिदास के पास रहने लगे।
◇ तुलसीदास के जन्म वर्ष को लेकर अलग अलग विद्वानों के मत-
> गाँसाई चरित (बेनीमाधवदास) और तुलसीचरित (रघुवरदास) रचना के अनुसार तुलसीदास का जन्म सन् 1597 ई. में हुआ।
> शिवसिंह सरोज के अनुसार तुलसीदास का जन्म सन् 1526 ई. में हुआ।
> पं. रामगुलाम द्विवेदी के अनुसार तुलसीदास का जन्म सन् 1532 ई. में हुआ।
◇ तुलसीदास की शिक्षा अयोध्या में हुई. काशी में शेष सनातन जी ने वेद वेदांग का ज्ञान कराया और सुकर क्षेत्र में नरहर्यानन्द जी राम कथा सुनाई।
* तुलसीदास जी 15 वर्ष काशी में रहने के बाद राजापुर आए।
◇ तुलसीदास जी रामानन्दी परम्परा के चौथे स्तम्भ थे और रामानन्द की शिष्य परम्परा में सातवीं पीढ़ी में आते हैं।
* चित्रकूट में तुलसी को राम की अलौकिक अनुभूति हुई।
◇ बाबा रघुवरदास का ग्रंथ तुलसीचरित के अनुसार तुलसी का जन्म 1497 ई. में हुआ और इनके पिता का नाम मुरारि मिश्र था।
◇ तुलसीदास का विवाह दीनबंधु पाठक की कन्या रत्नावली से हुआ।
# तुलसीदास का विवाह दीनबंधु पाठक की कन्या रत्नावली से हुआ
# पं. रामगुलाम द्विवेदी और आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने तुलसीदास के12 ग्रंथ प्रामाणिक माने हैं-
1. राम गीतावली - 1571 ई. (328 पद) - ब्रजभाषा2. कृष्ण गीतावली- 1571 ई. (61 पद) - ब्रजभाषा
3. रामचरित मानस- 1574 ई. (7 काण्ड ) - अवधी भाषा
4. विनय पत्रिका - 1582 ई. (279 पद) - ब्रजभाषा
5. रामलला नहछु - 1582 ई. (20 छंद) - अवधी भाषा
6. पार्वती मंगल 1582 ई. (164 छंद) - अवधी भाषा
7. जानकी मंगल 1582 ई. (216 छंद) - अवधी भाषा
8. दोहावली 1583 ई. (573 दोहे) – ब्रजभाषा
9. रामाज्ञा प्रश्नावली 1612 ई. (343 छंद) अवधी भाषा
10. वैराग्य संदीपनी - 1612 ई. (62 छंद) - ब्रजभाषा
11. बरवै रामायण 1612 ई. (69 छंद) - अवधी भाषा
12. कवितावली 1612 ई. (325 छंद, कवित्त सवैया शैली) - ब्रजभाषा
5. रामलला नहछु - 1582 ई. (20 छंद) - अवधी भाषा
6. पार्वती मंगल 1582 ई. (164 छंद) - अवधी भाषा
7. जानकी मंगल 1582 ई. (216 छंद) - अवधी भाषा
8. दोहावली 1583 ई. (573 दोहे) – ब्रजभाषा
9. रामाज्ञा प्रश्नावली 1612 ई. (343 छंद) अवधी भाषा
10. वैराग्य संदीपनी - 1612 ई. (62 छंद) - ब्रजभाषा
11. बरवै रामायण 1612 ई. (69 छंद) - अवधी भाषा
12. कवितावली 1612 ई. (325 छंद, कवित्त सवैया शैली) - ब्रजभाषा
उपरोक्त रचनाओं में पाँच रचनाएँ -
रामचरित मानस,
राम गीतावली,
विनय पत्रिका,
दोहावली
कवितावली बड़ी रचनाएँ मानी जाती है।
(ब्रजभाषा में रचित कृतियों को याद करने की ट्रीक - कृष्ण कवि ने विनय को गीता का दोहा सुनाया।)
◇ पं. रामगुलाम द्विवेदी के अनुसार हनुमान बाहुक तुलसीदास की अंतिम रचना है, जो कवितावली का ही एक भाग है।
◇ पं. रामगुलाम द्विवेदी के अनुसार हनुमान बाहुक तुलसीदास की अंतिम रचना है, जो कवितावली का ही एक भाग है।
◇ तुलसीदास जी के उपनाम *
> महात्मा बुद्ध के बाद दूसरा बड़ा लोकनायक - जार्ज अब्राहम गिर्यसन
> मुगलकाल का सबसे बड़ा आदमी - विसेंट स्मिथ
> आनन्द वन का वृक्ष - डॉ. मधुसूदन सरस्वती
> भक्तमाल का सुमेरु - उदयभानु सिंह (तुलसी काव्य मीमांसा)
> उत्प्रेक्षा का बादशाह - उदयभानु सिंह (तुलसी काव्य मीमांसा)
> रूपक का बादशाह - लाला भगवाना दीन
> अनुप्रास का बादशाह - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
> करुण रस के कवि - हजारी प्रसाद द्विवेदी
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रामचरित मानस,
राम गीतावली,
बैरवे रामायण व कवितावली में 7-7 कांड है।
◇ रामचरित मानस में सात काण्ड है-
1 बालकाण्ड,
2 अयोध्या काण्ड,
3 अरण्यकाण्ड,
4 किष्किंधा काण्ड,
5 सुन्दर काण्ड,
6 लंका काण्ड
7 उत्तर काण्ड।
* विशेषता -
◇ रामचरित मानस में सबसे बड़ा काण्ड बालकाण्ड और सबसे छोटा काण्ड किष्किंधा काण्ड है।◇ कलिकाल से मुक्ति पाने के लिए तुलसीदास ने विनय पत्रिका की रचना की।
◇ तुलसीदास ने बरवै रामायण की रचना रहीम के आग्रह पर की।
◇ वैराग्य संदीपनी में भक्ति, नीति और राम महात्म्य संबंधी दोहे है। तुलसी ने इस रचना को अखिल ज्ञान का सार कहा है।
◇ महत्त्व की दुष्टि से कवितावली रामचरित मानस व विनय पत्रिका के बाद तीसरे स्थान पर है जबकि हनुमान बाहुक अंतिम रचना मानी जाती है। हनुमान बाहुक की रचना तुलसी ने गंभीर बीमारी से मुक्ति पाने के लिए की।
◇ रामचरित मानस के पहले टीकाकार रामचरण दास थे।
◇ तुलसी ने वृन्दावन यात्रा के दौरान सूरदास के आग्रह पर कृष्ण गीतावली रचना की।
◇ तुलसी ने रामाज्ञा प्रश्नावली की रचना गंगाराम के कहने से की थी।
◇ हजारीप्रसाद द्विवेदी ने रामचरित मानस को भारत का बाइबिल कहा था।
* प्रसिद्ध पंक्तियाँ *
> "गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग।" -(कवितावली)
"अवधेश के बालक चारि सदा तुलसी मन मंदिर में बिहरै।"- (कवितावली)
> "जाके प्रिय न राम वैदेही,
तजिए कोटि बैरी सम, यद्यपि परम सनेही" (विनय पत्रिका)
"अवधेश के बालक चारि सदा तुलसी मन मंदिर में बिहरै।"- (कवितावली)
> "जाके प्रिय न राम वैदेही,
तजिए कोटि बैरी सम, यद्यपि परम सनेही" (विनय पत्रिका)
> "हरि तुम बहुत अनुग्रह किनौ।"
# "राम को रूप निहारत, जानकी कंगन के नग परछाई।" (कवितावली)
> "कवित्त विवेक एक नहिं मौरे।"
> "सगुनहिं अगुनहिं कछु नहीं भेदा।"
> "मैं सुकुमारी नाथ बन जोगु, तुमहि उचित तप मो भोगु।" (रामचरितमानस)
# "राम को रूप निहारत, जानकी कंगन के नग परछाई।" (कवितावली)
> "कवित्त विवेक एक नहिं मौरे।"
> "सगुनहिं अगुनहिं कछु नहीं भेदा।"
> "मैं सुकुमारी नाथ बन जोगु, तुमहि उचित तप मो भोगु।" (रामचरितमानस)
* प्रसिद्ध कथन *
* "रामचरित मानस में तुलसी की करुणा समाजोन्मुख है, विनयपत्रिका में वह आत्मोन्मुख है।" (रामविलास शर्मा)
"रामभक्ति काव्य में तुलसी के बाहर जो कुछ भी है, वह निस्तेज है, निष्प्रभ है।" - (डॉ. बच्चनसिंह)
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