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प्रेमचंद का जीवन परिचय || रचनाए, कहानी, उपन्यास, नाटक, जीवनी, आत्मकथा, प्रसिद्ध कहानियों का पत्रिकाओं में प्रकाशन || हिन्दी

                         प्रेमचंद 

लेखक परिचय :- 

जन्म  - 31 जुलाई 1880 को लमही (बनारस, उत्तरप्रदेश) में हुआ।

निधन - 1936

उपनाम :- हिन्दी साहित्य के शिखर पुरुष 

मूल नाम: - धनपत राय

प्रमुख रचनाएँ: - सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, कायाकल्प, गबन, कर्मभूमि, गोदान

(उपन्यास); - सोज़े वतन, मानसरोवर-आठ खंड में, गुप्त धन 

(कहानी संग्रह); - कर्बला, संग्राम, प्रेम की देवी 

(नाटक); - कुछ विचार, विविध प्रसंग :- (निबंध-संग्रह)

  • प्रेमचंद हिंदी कथा-साहित्य के शिखर पुरुष माने जाते हैं। 
  • कथा-साहित्य के इस शिखर पुरुष का बचपन अभावों में बीता। 
  • स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद पारिवारिक समस्याओं के कारण जैसे-तैसे बी. ए. तक की पढ़ाई की। 

* अंग्रेज़ी में एम.ए. करना चाहते थे लेकिन जीवनयापन के लिए नौकरी करनी पड़ी। सरकारी नौकरी मिली भी लेकिन महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय होने के कारण त्यागपत्र देना पड़ा। राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ने के बावजूद लेखन कार्य सुचारु रूप से चलता रहा। पत्नी शिवरानी देवी के साथ अंग्रेज़ों के खिलाफ़ आंदोलनों में हिस्सा लेते रहे। उनके जीवन का राजनीतिक संघर्ष उनकी रचनाओं में सामाजिक संघर्ष बनकर सामने आया जिसमें जीवन का यथार्थ और आदर्श दोनों था।

प्रेमचंद की प्रमुख रचनाएँ :- -

> कहानी - कमल किशोर गोयनका के अनुसार प्रेमचंद के जीवनकाल में कुल नौ कहानी संग्रह प्रकाशित हुए थे-

(1) सप्त सरोज 1917 ई.

(2) नवनिधि 1917 ई.

(3) प्रेम पूर्णिमा 1919 ई.

(4) प्रेम पच्चीसी 1923 ई.

(5) प्रेम प्रतिमा 1926 ई.

(6) प्रेम द्वादशी 1928 ई.

(7) समर यात्रा

(8) गुप्तधन दो भागों में (1932 ई.)

(9) कफन 1936 ई.

प्रेमचंद की मृत्यु के बाद उनकी समस्त कहानियों का मानसरोवर नाम से आठ भागों में प्रकाशन हुआ-

(1) मानसरोवर भाग : -1 (प्रकाशन 1936 ई. कुल 27 कहानियाँ)

प्रसिद्ध कहानियाँ - 

1. शिकार 1910 ई. 

2. अलगोझा 1928 ई. 

3. पूस की रात 1930 ई. 

4. ठाकुर का कुओं- 1932 ई. 

5. बेटों वाली विधवा 1932 ई. 

6. गुल्ली डंडा 1933 ई. 

7. ईदगाह 1933 ई. 

8. नगर 1934 ई. 

9. बड़े भाई साहब 1934 ई.

(2) मानसरोवर भाग-2  (प्रकाशन 1936 ई. कुल 26 कहानियाँ)

प्रसिद्ध कहानी :-- दो बैलों की कथा 1931 ई.

(3) मानसरोवर भाग-3  (प्रकाशन 1938 ई. कुल 32 कहानियाँ)

* प्रसिद्ध कहानी- शतरंज के खिलाड़ी 1924 ई.

(4) मानसरोवर भाग-4  (प्रकाशन 1939 ई. कुल 20 कहानियाँ)

 प्रसिद्ध कहानी :- सवा सेर गेहूँ- 1925 ई.

(5) मानसरोवर भाग- 5 (प्रकाशन 1946 ई. कुल 24 कहानियाँ)

प्रसिद्ध कहानियाँ - 

1. ममता- 1912 ई. 

2. कलाकी 1926 ई. 

3. सुजान भगत- 1927 ई.

(6) मानसरोवर भाग- 6 (प्रकाशन 1947 ई. कुल 20 कहानियाँ) 

प्रसिद्ध कहानी- यह मेरी मातृभूमि है 1908 ई.

मानसरोवर भाग- 7 (प्रकाशन 1947 ई. कुल 23 कहानियाँ)

※ प्रसिद्ध कहानियाँ- 

1. बड़े घर की बेटी- 1910 ई. 

2. पंच परमेश्वर- 1916 ई.

( 8) मानसरोवर भाग- 8 (प्रकाशन 1950 ई. कुल 31 कहानियाँ)

प्रसिद्ध कहानियाँ - 

1. नमक का दारोगा 1914 ई.

2. सौत- 1915 ई. 

3. बूढ़ी काकी 1920 ई. 

4. हार की जीत- 1922 ई. 

5. बौड़म 1923 ई.

प्रसिद्ध कहानियों का पत्रिकाओं में प्रकाशन -

(1) बड़े घर की बेटी- 1910 ई. जमाना पत्रिका में

(2) परीक्षा - 1914 ई. प्रताप पत्रिका में

(3) सौत - 1915 ई. सरस्वती पत्रिका में

(4) पंच परमेश्वर - 1916 ई. सरस्वती पत्रिका में

(5) बुढ़ी काकी - 1920 ई. कहकशां पत्रिका में

(6) बौड़म - 1923 ई. प्रभा पत्रिका में

(7) शतरंज के खिलाड़ी - 1924 ई. माधुरी पत्रिका में

(8) सवा सेर गेहूँ - 1924 ई. चाँद पत्रिका में

(9) कजाकी - 1926 ई. माधुरी पत्रिका में

(10) पूस की रात - 1930 ई. माधुरी पत्रिका में

(11) दो बैलों की कथा - 1931 ई. हंस पत्रिका में

(12) ठाकुर का कुआँ - 1932 ई. जागरण पत्रिका में

(13) बेटों वाली विधवा - 1933 ई. चाँद पत्रिका में

(14) ईदगाह - 1933 ई. चाँद पत्रिका में

(15) नशा - 1934 ई. रहनुमा ए तालिम पत्रिका में

(16) बड़े भाई साहब - 1934 ई. हंस पत्रिका में

(17) कफन - 1935 ई. जामिया पत्रिका में

उपन्यास  : -

प्रेमचंद के कुल नौ उपन्यास माने जाते हैं-

(1) सेवासदन (1918 ई.) :- यह उपन्यास पहले बाजार-ए-हुस्न के नाम से उर्दू में लिखा गया था। इस उपन्यास में विवाह से जुड़ी समस्याओं का चित्रण है। स्वयं प्रेमचंद ने इसे हिन्दी का बेहतरीन नॉवेल कहा है। यह हिन्दी का प्रथम युगांतकारी उपन्यास माना जाता है।

( 2) प्रेमाश्रम  (1922 ई.) :- यह उपन्यास पहले गोश ए आफियात के नाम से उर्दू में लिखा गया था। इसे हिन्दी का पहला राजनैतिक उपन्यास माना जाता है। इस उपन्यास में कृषक जीवन से जुड़ी समस्याओं का चित्रण किया गया है।

(3) रंगभूमि (1925 ई.) :- यह उपन्यास पहले चौगान ए हस्ती के नाम से उर्दू में लिखा गया था। इसी उपन्यास में सबसे पहले प्रेमचंद द्वारा दलित वर्ग के किसी व्यक्ति (पात्र सूरदास) का उपन्यास का नायक बनाया था। इस उपन्यास में शासक व अधिकारी वर्ग द्वारा आम जनता पर किए जाने वाले अत्याचारों का चित्रण हुआ है।

(4) कायाकल्प (1926 ई.) :-  यह प्रेमचंद का हिन्दी में लिखा गया पहला उपन्यास है। इस उपन्यास में ढोंगी बाबाओं के कुकृत्यों का चित्रण है।

(5) निर्मला (1927 ई.) :- इस उपन्यास में दहेज प्रथा व अनमेल विवाह से जुड़ी समस्याओं का चित्रण है।

(6) गबन (1931 ई.) :- इस उपन्यास में मध्यम वर्ग परिवारों की आर्थिक विषमता और आभूषण लालसा का चित्रण है।

(7) कर्मभूमि (1932 ई.) :- इस उपन्यास में हिन्दू समाज में हरिजनों की स्थिति का चित्रण है

(8) गोदान (1935 ई.) :- इस उपन्यास ने भारतीय किसान मजदूर वर्ग की समस्याओं का है। इसकायक होरी है। इस उपन्यास को डॉ. नगेन्द्र ने ग्रामीण जीवन व कृषि संस्कृति का महाकाष्ण कहा है।

(9) मंगलसूत्र (1848 ई.) :- यह उपन्यास प्रेमचंद जी अधुरा छोड़ गए थे, बाद में इस उपन्यास को अमृतराव ने पूरा किया। प्रेमचंद के इन नौ उपन्यासों के अलावा जलवा ए निसार नाम का उपन्यास भी प्रेमचंद का माना जाता है। इस उपन्यास का हिन्दी रूपांतरण सन् 1921 में किया गया। इसी प्रकार अन्य एक और उपन्यास मनोरमा भी प्रेमचंद का माना जाता है।

नाटक :- 

(1) संग्राम 1923 ई.

(2) कर्बला 1924 ई.

(3) प्रेम की वेदी- 1933 ई.

जीवनी-

(1) महात्मा शेखसादी

(2) रामचर्चा

(3) दुर्गादास

आत्मकथा-

(1) जीवन सार 1933 ई. (हंस पत्रिका में प्रकाशित)

प्रसिद्ध कथन -

  • साहित्य वह जादू की लकड़ी है जो पशुओं में, ईंट-पत्थरों में, पेड़-पौधों में भी विश्व की आत्मा का दर्शन करा देती है - (जीवन में साहित्य का स्थान निबंध से) 
  • यथार्थवाद हमको निराशावादी बना देता है, मानव-चरित्र पर से हमारा विश्वास उठ जाता है, हमको चारों तरफ बुराई ही बुराई नजर आने लगती है।  - (उपन्यास नामक निबंध से)

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