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ऊतक ( Tissue ) ओर ऊतक के प्रकार ओर कार्य | utak kya hai in hindi | utak in hindi pdf download

     ऊतक ( Tissue ) ओर ऊतक के प्रकार ओर कार्य 

"जीवों में एक समान कार्य करने वाली तथा समान संरचना वाली कोशिकाओं का समूह ऊतक (Tissue) कहलाता है। "

#कोशिकाओं के बीच पाया जाने वाला तरत पदार्थ उत्तक द्रव्य (Tissue Fluid) कहलाता है इस ऊतक द्रव्य से कोशिकाएँ पोषक पदार्थ (Nutrents) ग्रहण करती हैं तथा उत्सर्जी पदार्थों को इस ऊतक द्रव्य में त्याग देती है।

ऊतक ( Tissue ) ओर ऊतक के प्रकार


ऊतकों का अध्ययन (Study of Tissues) :- ओतिकी (Histology)  ओतिकी को सूक्ष्म शरीर रचना विज्ञान (Microscopic Anatomy) भी कहते है।
ऊतक शब्द : विशेट ने 
हिस्टोलॉजी शब्द : मेयर ने दिया।
हिस्टोलॉजी की स्थापना मार्सेली  ने की।

       ऊतक (Tissue) दो प्रकार के होते हैं


1. पादप ऊत्तक
2. जन्तु ऊतक

                       1. पादप ऊतक

पादप शरीर में कोशिकाओं के समूह को पादप ऊतक कहा जाता है।

पादप ऊतक को दो भागों में बाँटा जाता है




A विभाज्योतक ऊतक
B स्थायी ऊतक

A विभज्योतक ऊतक (meristem)

कोशिकाओं का यह समूह जिसमें निरंतर विभाजन हो उसे विभज्योतक ऊतक  कहा  जाता है। पादप ऊतक संवर्द्धन (plant tissue culture ) में विषाणु मुक्त पादप प्राप्त करने के लिए विभज्योतक ऊतक का उपयोग किया जाता है।

विभज्योतक (meristem) ऊतक को तीन भागों में बाँटा जाता है |

       (1) शीर्षस्थ विभज्योतक ऊतक (apical meristem tissue) -

पौधों की मूल तथा तने के शीर्ष भाग में लगातार विभाजन करने वाली कोशिकाओं के समूह को शीर्षस्थ विभज्योतक ऊतक कहा जाता है।
पोधे की लम्बाई शीर्षस्थ विभज्योतक ऊतकों के कारण बढ़ती है।

       (2) पार्श्वीय विभज्योतक ऊतक

पोधों के पार्श्व भाग में लगातार विभाजन दर्शाने वाली कोशिकाओं के समूह को पार्श्वीय विभज्योतक ऊतक कहा जाता है

पौधों की चौड़ाई अथार्त द्वितीयक वृद्धि पार्श्वीय विभज्योतक ऊतकों के कारण होती है।


         (3) अन्तर्वेशी विभज्योतक ऊतक

स्थायी ऊतकों के मध्य लगातार विभाजन दर्शाने वाली कोशिकाओं का समूह अन्तर्वेशी विभज्योतक ऊतक कहलाता है। उदाहरण पोएसी कुल  (घास )।
पशुओं के घास खाने के पश्चात घास का पुनः बढ़ जाने का कारण अन्तर्वेशी विभज्योतक ऊतक है।

b. स्थायी ऊतक

जब विभज्योतक ऊतकों में विभाजन की क्षमता समाप्त हो जाती है तो उसे स्थायी ऊतक कहा जाता है।

स्थायी ऊतक को दो भागों में बाँटा जाता है |

(1) सरल स्थायी ऊतक
सरत स्थायी ऊतक एक ही प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित होते हैं। उदाहरण पेरेनकाइमा कोलेनकाइमा तथा स्कलरेनकाइमा।

मृदुतक (पेरेनकाइमा):-
# इनकी कोशिकाओं के मध्य अन्तराकोशिकीय अवकाश पाए जाते हैं।
इनकी भिति सेलुलोज की बनी होती है।
- इनकी कोशिकाएँ समव्यासिक (आइसीडाईमेट्रिक) होती है।
- इनकी कोशिकाएँ गोल अण्डाकार अथवा सँकरी  होती है।


पेरेनकाइमा के निम्न कार्य है
*1 प्रकाश संश्लेषण
2. संचय
3. सत्रावन 

स्थूलकोण ऊतक  (कॉलेन्काइमा ):-
-यह द्विबीजपत्री पादपों की बाह्य त्वचा के नीचे पाए जाते हैं।
-इनकी कोशिकाएँ गोल, अण्डाकार तथा बहुकोणीय होती है।
-इसकी भित्ति पतली  होती है परन्तु कोनों  पर सेलुलोज पेक्टीन तथा हेमीसेलूलोस पाया जाता है।


- कोलेनकाइमा के कार्य-

1. यह स्वांगीकरण का कार्य करती है।
2. यह प्रारम्भिक अवस्था में पादप को यांत्रिक सामर्थ्य प्रदान करती है।

दृढ़ोतक (स्केलेरेनकाइमा):-

इसकी कोशिकाएँ गोल, अण्डाकार तथा बेलनाकार होती है।
इसकी भित्ति लीगनीन  की बनी होती है।
इसकी कोशिकाओं के मध्य गर्त पाए जाते हैं।
इसमें मृत प्रोटोप्लाज्म पाया जाता है।
गुदेदार पादप की फल भित्ति स्केलेरेनकाइमा की बनी होती है।

उदाहरण- अमरूद, नाशपती, चीकू।


लेग्युमिनेसी कुल के बीजों का आवरण स्केलेरेनकाइमा से निर्मित होता है।
चाय की पत्तियाँ स्केलेरेनकाइमा से निर्मित होती है।
यह पादप को प्रारम्भिक अवस्था में सहारा प्रदान करती है।

(i) जटिल स्थायी ऊतक:-

जटिल स्थायी ऊतक एक से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित होते है।

              यह दो प्रकार के होते है-

1 जाइलम
2. फ्लोएम


#जाइलम तथा फ्लोएम संवहन ऊतक है।



जाइलम :-
जाइलम जल तथा खनिज लवणों के परिवहन का कार्य करते हैं।
जाइलम धनात्मक प्रकाशानुवर्तन एवं ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्तन दर्शाते है।

जाइलम चार प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित होते हैं-


1. वाहिनिकाएँ
2. वाहिकाएँ
3 जाइलम तन्तु,
4. जाइलम पेरेनकाइमा


जो जाइलम  सबसे पहले बनता है वह प्रोटोजाइलम कहलाता है तथा प्रोटोजाइलम बनने के बाद जाइलम को मेटा जाइलम कहा जाता है।

-तने में जाइलम मध्य आदिदारुक (प्रोटोजाइलम केन्द्र की ओर तथा मेटा जाइलम परिधि की ओर होता है।
-मूल में जाइलम, बाह्य आदिदारुक। प्रोटोजाइलम परिधि की तरफ तथा मेटा जाइलम केन्द्र की तरफ होता है।

फ्लोएम:

फ्लोएम पौधे के विभिन्न भागों में भोज्य पदार्थों के परिवहन का कार्य करता है।
यह धनात्मक गुरुत्वानुवर्तन एवं ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन होता है।

फ्लोएम चार प्रकार की कोशिकाओं से निर्मित होता है

1 सहचर कोशिका
2 चालनी नलिका
फ्लोएम तंतु
फ्लोएम परेनकाइमा

चालनी नलिका में केन्द्रक नहीं पाया जाता।

                2. जन्तु ऊत्तक


जन्तु औतिकी (Animal Histology) के जनक बिचेट हैं।
जंतुओं में ऊतक चार प्रकार के होते हैं जिनका निर्माण विभिन्न जनन स्तरों (Germinal Layers) एक्टोडर्म (बाहर), मीसोडर्म (मध्य) तथा एण्डोडर्म (अंदर) से होता है।

(1) उपकला ऊतक (Epithelial Tissue)

-ये ऐसा ऊतक है जो किसी अन्य ऊतक पर पाया जाता है।
जैसे त्वया उपकला ऊतक से निर्मित तथा ये संयोजी ऊतक (Connective Tissue) पर पाई जाती है।
-इस ऊतक में कोशिकाओं के बीच ऊतक द्रव्य  (Tissue Fluid) बहुत कम मात्रा में पाया जाता है।
-इस ऊतक की कोशिकाओं के बीच रक्त नलिकाएँ नहीं पाई जाती हैं. व आधारी झिल्ली से होकर विसरण (Diffusion) द्वारा विभिन्न पोषक पदार्थ तथा ऑक्सीजन इन कोशिकाओं तक पहुँचते हैं।
-उपकता ऊतक मुख्य रूप से आवरण (Covering) के रूप में पाया जाता है।
उदाहरण त्वचा ग्रंथियों की नलिकाएँ, कॉर्निया मूत्रमार्ग (Urethra) मूत्राशय (Urinary Bladder) मूत्रवाहिनी (Ureteri)

उपकला के कार्य -

सुरक्षा अवशोषण (Absorption)
पोषण (Nutrition)
उत्सर्जन (Excretion) पसीने के साथ तवण का उत्सर्जन
श्वसन(Respiration)
स्राव(Secretion) - ग्रंथियों से विभित्र सवण
पुनरुद्भवन (Regenerationi)
संवेदना ग्रहण में सहायक
वर्णक (Pigment)

(1) पेशी ऊतक (Muscular Tissue)
पे ऊतक गति से संबंधित है।
इसका निर्माण मीसोडर्म से लेकिन अपवाद स्वरूप नेत्र के आईरिस से जुड़ी पेशियों स्वेद ग्रंथियों (Sweat Glands) एवं स्तन ग्रंथियों (Mammary Glands) से जुड़ी पेशियाँ एक्टोडर्म से उत्पन्न।

हमारे शरीर में तीन प्रकार की पेशियों पाई जाती हैं.
(a) 
 ऐच्छिक पेशियाँ (Voluntary)
(b) अनैच्छिक पेशियों (Involuntary)
(c) हृदय पेशियों (Cardiac)

(a) ऐच्छिक पेशी

रेखित पेशियाँ (Striated Muscles)
अस्थियों से जुड़ी होने के कारण कंकाली पेशियाँ (Skeletal Muscies) भी कहलाती  है।
-गति हमारी इच्छा से
-हाथ-पैर व गर्दन की पेशियों

(b) अनैच्छिक पेशी
-अरेखित पेशियों (non-Striated)
-आंतरोगी पेशियाँ (Visceral Muscles)
-अनैच्छिक प्रवृत्ति
- आहारनाल , ग्रंथियों से जुड़ी पेशियों

(c) हृदय पेशी
इनकी संरचना रेखित पेशियों जैसी होती है जबकि वे अनैच्छिक प्रवृत्ति की होती हैं।
हृदय की दीवारों में।

महत्त्वपूर्ण बिन्दु  -

मानव शरीर में कुल 639 पेशियाँ होती है।
सबसे बड़ी पेशी : ग्लूटियस  मैक्सिमस
सबसे लंबी पेशी : साटीरियस
सबसे छोटी पेशी :  स्टेपीडियस
सबसे मजबूत पेशी- मेस्सेटर
मानव शरीर की सबसे मजबूत पेशी मेस्सेटर है, जो जबड़े में उपस्थित होती है।
-ऐच्छिक पेशियों में लगातार संकुचन-प्रसारण गतियों होने से इनमें लैक्टिक अम्ल का निर्माण होने लगता है, -जिससे हमें थकान का अनुभव होता है।
-जब कुछ देर विश्राम (Rest) करते हैं तो लैक्टिक अम्त कार्बनडाइऑक्साइड व जल  (CO₂+H₂O) में टूट जाता है।
मृत्यु के कुछ समय बाद शरीर का अकड़ना पेशी तंतुओं में कठोरता आने से होता है तथा 15-20 घंटे जब पेशियाँ अपघटित होती हैं तो शरीर पुनः सामान्य हो जाता है।

(ii) संयोजी ऊतक (Connective Tissue)

ये शरीर में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाने वाला ऊतक जो शरीर  परिवहन (Transportation), आलंबन  (Support), पोषण (Nutrition) भोजन संग्रहण (Food Storage) में सहायक होता है।
-इसकी उत्पत्ति मीसोडर्म से हुई है।


संयोजी ऊतक में तीन प्रमुख संरचनाएँ हैं-

(a) अधात्री (Matrix) - ये सामान्यतया प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट से बनी होती है, इसमें जल भी होता है।
(b) कोशिकाएँ (Cells)- संयोजी ऊतक में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ इस प्रकार हैं-
(c )फाइब्रोब्लास्ट - ये संयोजी ऊतक में रेशे (Fibers) का निर्माण करती है।

मास्ट कोशिकाएँ - हिपेरिन, हिस्टामिन एवं सिरेटॉमिन का स्राव करती है।
एडीपोज़ कोशिकाएँ- यह वसा संग्रहण (Fat Storage) का कार्य करती है।

प्लाज्मा कोशिकाएँ - एंटीबॉडीज का निर्माण करती है।

(c) रेशे (Fibers)

कॉलेजन तंतु _ स्वेत तंतु (White Fibers)
टेंडन / कंडारा का निर्माण, अस्थि (Bone) व पेशी (Muscle) को आपस में जोड़ते हैं।

इलास्टिन तंतु - पीले तंतु (Yellow Fibers)
-लिगमेंट (Ligament)/खायु अस्थि को अस्थि से जोड़ते हैं।
-रक्त एक तरल संयोजी ऊतक (Liquid Connective Tissue) है।
-अस्थियों  (Bones) एवं उपास्थियाँ (Cartäages) ठोस संयोजी ऊतक है।
त्वचा के नीचे वसा  का जमाव (Storage) एडिपोज ऊतक में होता है।

कार्य-

-विभिन्न संरचनाओं को जोड़ना।

-परिवहन (Transportation)

पोषण (Nutrition)

भोजन संग्रहण (Food Storage)

सुरक्षा (एंटीबॉडी उत्पादन)

-अगों को निश्चित आकृति प्रदान करना।

(iv) तंत्रिका ऊतक-

-शरीर  के विभिन्न अंग बाहरी उत्तेजना के अनुकूल प्रतिक्रिया करते हैं।
-इन अंगों को प्रतिक्रिया करने के दिए तंत्रिका ऊतक की कोशिकाएँ उत्तेजित करती है।
-तंत्रिका ऊतक की कोशिकाएँ स्वयं उत्तेजित होकर अपने द्वारा उत्तेजना को शरीर  के विभिन्न भागों में पहुँचाती है।
-तंत्रिका तंत्र तंत्रिका ऊतक से बना होता है।

Q.1 जंतु ऊतक का चित्र ? 
Q.2 जंतु ऊतक किसे कहते हैं इसका एक उदाहरण दीजिए ? 
Q.3 एपिथीलियम ऊतक किसे कहते हैं? 
Q.4 संयोजी ऊतक किसे कहते हैं
Q.5 तरल संयोजी ऊतक किसे कहते हैं in English
Q.6 ऊतक को परिभाषित करें
Q.7 ऊतक की परिभाषा लिखिए एवं एक उदाहरण दीजिए 

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