संधि |संधि की परिभाषा व संधि के भेद और उदाहरण | sandhi ki paribhasha
संधि व संधि की परिभाषा | संधि के भेद और उदाहरण |
परिभाषा-
दो वर्षों का परस्पर मेल संधि कहताता है, अर्थात् प्रथम शब्द का अन्तिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण मितकर उच्चारण और लेखन में कोई परिवर्तन करते हैं, तो उसे संधि कहते हैं.जैसे-
1. स्वर संधि
* यदि किसी स्वर के बाद स्वर ही आ जाए तो, स्वर के उच्चारण और लेखन में जो विकार/परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं,
अ+ अ = आ
ध्यान + अवस्था = ध्यानावस्था
मलय + अनिल = मलयानिल
कुश + अग्र = कुशाग्र
ज्ञान + अभाव = ज्ञानाभाव
कोष + अध्यक्ष = कोषाध्यक्ष
स + सावधान = सावधान
स + अवयव = सावयव
काल + अन्तर = कालान्तर
* अ + आ = आ
एक + आकार = एकाकार
घन + आनन्द = घनानन्द
कुठार + आघात = कुठाराघात
परम +आनंद = परमानंद
विद्या +अर्थी = विद्यार्थी
आशा +अतीत = आशातीत
भाषा +अन्तर = भाषान्तर
द्राक्षा +अवलेह = द्राक्षावलेह
* आ + आ = आ
कृपा +आचार्य = कृपाचार्य
* इ+इ = ई
रवि +इन्द्र = रवीन्द्र
मुनि +इन्द्र = मुनीन्द्र
अति+ इन्द्रिय = अतीन्द्रिय
अति +इव = अतीव
हरि +इच्छा = हरीच्छा
गिरि +ईश = गिरीश
अभि +ईप्सा = अभीप्सा
* ई+इ = ई
* ऐ असमान स्वर =आय
ने + अक= नायक
गे +इका= गायिका
शै +अक= शायक
दै +अक = दायक
* ओ + असमान स्वर = अव
हो +अन =हवन
प्रसो +अ= प्रसव
श्रो +अन = श्रवण
पो +अन =पवन
गो +एषणा =गवेषणा
* औ असमान स्वर आव्
पौ+ अक= पावक
पौ+ अन=पावन
शौ +अक= शावक
धो +अक =धावक
क/च/द/त्/प्+ पंचम वर्ण = ङ. ञ, ण, न, म
यदि वर्ग के प्रथम वर्ण क/च/द/त्/प के बाद कोई पंचम वर्ण आ जाए तो काच/दृ/त्/प का अपने ही वर्ग का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है,
यदि 'म' के बाद क से लेकर भ तक का कोई वर्ण आ जाए (लेकिन पंचम वर्ण को छोड़कर) तो म' का अनुस्वार और पंचम वर्ण दोनों हो जाता है. पंचम वर्ण बनता तो म का ही है. लेकिन अगले वर्ष के वर्ग का बनता है
यदि ष के बाद त/ध वर्ण आ जाए तो त कार और ध का ठ हो जाता है.
(ii) इ/उ स/थ स काप तथाथ काठ
यदि इ/उ' के बाद 'स/थ' वर्णं आ जाए तो स' का 'ष और थ' का 'ठ' हो जाता है;
(ii) अहन् + र से भिन्न वर्ण = अहर
अहन्+ मुख = अहर्मुख
अहन+ निशा =अहर्निशा
अहन +अहन् =अहरह
त/द ज/झ =ज्
त/द ट =ट्
त/द ड = इ
त/द ल =ल
त/द श = च्छ
(i) त्/द च/छ च
* यदि त/द' के बाद 'च/छ वर्ण आ जाए तो तु/द' का 'च' हो जाता है:
(iii) तु/द + ट = द
* यदि त्/द् के बाद 'ट' वर्ण आ जाए तो तु/द' का ट्' हो जाता है,
यदि विसर्ग से पहले इ/उ हो और विसर्ग के बाद क/प/म वर्ण आ जाएँ तो विसर्ग का ए हो जाता है.
* मत +अनुसार = मतानुसार
* अभय +अरण्य = अभयारण्य
* राम +ईश्वर = रामेश्वर
* जगत+ जननी = जगजननी
* आशीः+ वचन = आशीर्वचन
* अभय +अरण्य = अभयारण्य
* राम +ईश्वर = रामेश्वर
* जगत+ जननी = जगजननी
* आशीः+ वचन = आशीर्वचन
संयोग-
* प्रथम शब्द का अन्तिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण मितकर उच्चारण और लेखन में कोई परिवर्तन नहीं कर पाए, तो उसे संयोग कहते हैं,
* प्रथम शब्द का अन्तिम वर्ण और दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण मितकर उच्चारण और लेखन में कोई परिवर्तन नहीं कर पाए, तो उसे संयोग कहते हैं,
जैसे-
युग + बोध = युगबोध
संधि के प्रकार - तीन प्रकार
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि
युग + बोध = युगबोध
संधि के प्रकार - तीन प्रकार
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि
* यदि किसी स्वर के बाद स्वर ही आ जाए तो, स्वर के उच्चारण और लेखन में जो विकार/परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं,
जैसे-
कीट + अणु = कीटाणु
नयन +अभिराम = नयनाभिराम
हरि + ईश = हरीश
स्वर संधि के भेद- पाँच भेद हैं-
1. दीर्घ स्वर संधि
2. गुण स्वर संधि
3. वृद्धि स्वर संधि
4. यण स्वर संधि
5. अयादि स्वर संधि
कीट + अणु = कीटाणु
नयन +अभिराम = नयनाभिराम
हरि + ईश = हरीश
स्वर संधि के भेद- पाँच भेद हैं-
1. दीर्घ स्वर संधि
2. गुण स्वर संधि
3. वृद्धि स्वर संधि
4. यण स्वर संधि
5. अयादि स्वर संधि
1. दीर्घ स्वर संधि- * अ/आ अ/आ आ
* ई / इ / ई / ई
* उ/ऊ उऊऊ
* यदि अ/आ के बाद समान स्वर अ/आ ही आ जाए तो आ हो जाता है, और यदि इ/ई के बाद समान स्वर इ/ई ही आ जाए, तो ई हो जाती है तथा उ/ऊ के बाद समान स्वर उ/ऊ ही आ जाए तो ऊर हो जाता है।
* ई / इ / ई / ई
* उ/ऊ उऊऊ
* यदि अ/आ के बाद समान स्वर अ/आ ही आ जाए तो आ हो जाता है, और यदि इ/ई के बाद समान स्वर इ/ई ही आ जाए, तो ई हो जाती है तथा उ/ऊ के बाद समान स्वर उ/ऊ ही आ जाए तो ऊर हो जाता है।
अ+ अ = आ
ध्यान + अवस्था = ध्यानावस्था
मलय + अनिल = मलयानिल
कुश + अग्र = कुशाग्र
ज्ञान + अभाव = ज्ञानाभाव
कोष + अध्यक्ष = कोषाध्यक्ष
स + सावधान = सावधान
स + अवयव = सावयव
काल + अन्तर = कालान्तर
* अ + आ = आ
एक + आकार = एकाकार
घन + आनन्द = घनानन्द
कुठार + आघात = कुठाराघात
परम +आनंद = परमानंद
विद्या +अर्थी = विद्यार्थी
आशा +अतीत = आशातीत
भाषा +अन्तर = भाषान्तर
द्राक्षा +अवलेह = द्राक्षावलेह
* आ + आ = आ
कृपा +आचार्य = कृपाचार्य
कृपा+आकांक्षी = कृपाकांक्षी
तथा +आगत = तथागत
प्रेक्षा +आगार = प्रेक्षागार
वार्ता +आलाप = वार्तालाप
शिला +आसन = शिलासन
द्राक्षा +आसव = द्राक्षासव
* इ+इ = ई
रवि +इन्द्र = रवीन्द्र
मुनि +इन्द्र = मुनीन्द्र
अति+ इन्द्रिय = अतीन्द्रिय
अति +इव = अतीव
हरि +इच्छा = हरीच्छा
गिरि +ईश = गिरीश
अभि +ईप्सा = अभीप्सा
* ई+इ = ई
नारी + इच्छा = नारीच्छा
महती +इच्छा = महतीच्छा
मही + इन्द्र = महीन्द्र
* ई+ ई = ई
महती +इच्छा = महतीच्छा
मही + इन्द्र = महीन्द्र
* ई+ ई = ई
फणी + ईश्वर = फणीश्वर
सती + ईश = सतीश
नारी + ईश्वर = नारीश्वर
मही + ईश्वर = महीश्वर
* उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
लघु +उत्तर = लघूत्तर
वधू + उल्लास = वधूल्लास
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
सरयू + ऊर्मि = सरयूर्मि
भानु + उदय = भानूदय
सती + ईश = सतीश
नारी + ईश्वर = नारीश्वर
मही + ईश्वर = महीश्वर
* उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
लघु +उत्तर = लघूत्तर
वधू + उल्लास = वधूल्लास
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
सरयू + ऊर्मि = सरयूर्मि
भानु + उदय = भानूदय
2. गुण स्वर संधि- * अ/आ + इ/ई = ए
* अ/आ + उ/ऊ = ओ
* अ/आ + ऋ = अर
* यदि अ/आ के बाद असमान स्वर 'इ/ई' आ जाए तो 'ए' हो जाता है और यदि अ/आ के बाद असमान स्वर 'उ/ऊ आ जाए तो ओ हो जाता है तथा अ/आ के बाद ऋ' आ जाए तो अर् हो जाता है।
* अ/आ + इ/ई = ए
देव +इन्द्र = देवेन्द्र
भुजंग+इन्द्र = भुजंगेन्द्र
बाल+इन्दु = बालेन्दु
शुभ +इच्छा =शुभेच्छा
* अ + उ/ऊ = ओ
सर्व + उपरि = सर्वोपरि
लुप्त + उपमा = लुप्तोपमा
भाग्य +उदय= भाग्योदय
यज्ञ +उपवीत =यज्ञोपवीत
मद + उन्मत्त = मदोन्मत्त
लोक + उक्ति =लोकोक्ति
* आ + उ/ऊ = ओ
महा +उत्सव= महोत्सव
गंगा + उदक = गंगोदक
यथा +उचित= यथोचित
लम्बा +उदर= लम्बोदर
गंगा +ऊर्मि= गंगोर्मि
महा + ऊर्जा = महोर्जा
* अ/आ + ऋ = अर
सप्त +ऋषि =सप्तर्षि
देव +ऋषि =देवर्षि
महा +ऋषि =महर्षि
वर्षा+ ऋतु= वर्षर्त
कण्व +ऋषि =कण्वर्षि
ग्रीष्म+ ऋतु =ग्रीष्मर्तु
3. वृद्धि संधि- अ/आ + ए/ऐ = ऐ
* अ/आ + ऋ = अर
* यदि अ/आ के बाद असमान स्वर 'इ/ई' आ जाए तो 'ए' हो जाता है और यदि अ/आ के बाद असमान स्वर 'उ/ऊ आ जाए तो ओ हो जाता है तथा अ/आ के बाद ऋ' आ जाए तो अर् हो जाता है।
* अ/आ + इ/ई = ए
देव +इन्द्र = देवेन्द्र
भुजंग+इन्द्र = भुजंगेन्द्र
बाल+इन्दु = बालेन्दु
शुभ +इच्छा =शुभेच्छा
* अ + उ/ऊ = ओ
सर्व + उपरि = सर्वोपरि
लुप्त + उपमा = लुप्तोपमा
भाग्य +उदय= भाग्योदय
यज्ञ +उपवीत =यज्ञोपवीत
मद + उन्मत्त = मदोन्मत्त
लोक + उक्ति =लोकोक्ति
* आ + उ/ऊ = ओ
महा +उत्सव= महोत्सव
गंगा + उदक = गंगोदक
यथा +उचित= यथोचित
लम्बा +उदर= लम्बोदर
गंगा +ऊर्मि= गंगोर्मि
महा + ऊर्जा = महोर्जा
* अ/आ + ऋ = अर
सप्त +ऋषि =सप्तर्षि
देव +ऋषि =देवर्षि
महा +ऋषि =महर्षि
वर्षा+ ऋतु= वर्षर्त
कण्व +ऋषि =कण्वर्षि
ग्रीष्म+ ऋतु =ग्रीष्मर्तु
3. वृद्धि संधि- अ/आ + ए/ऐ = ऐ
अ/आ ओ/औ = औ
* यदि अ/आ के बाद असमान स्वर 'ए/ऐ आ जाए तो ऐ हो जाता है और यदि अ/आ के बाद असमान स्वर ओ/ओ आ जाए तो ओ हो जाता है।
* अ/आ + ए/ऐ = ऐ
एक +एक = एकैक
मत +ऐक्य = मतैक्य
सदा+ एव = सदैव
गंगा +ऐश्वर्य = गंगेश्वर्य
अधुना+ एवं =अधुनेव
वसुधा +एवं =वसुधैव
* अ/आ + ओ/औ = औ
परम +औषधि =परमौषधि
परम +ओजस्वी =परमौजस्वी
गंगा +ओघ= गंगौध
महा ओज =महौज
प्र +औद्योगिकी =प्रौद्योगिकी
* यदि अ/आ के बाद असमान स्वर 'ए/ऐ आ जाए तो ऐ हो जाता है और यदि अ/आ के बाद असमान स्वर ओ/ओ आ जाए तो ओ हो जाता है।
* अ/आ + ए/ऐ = ऐ
एक +एक = एकैक
मत +ऐक्य = मतैक्य
सदा+ एव = सदैव
गंगा +ऐश्वर्य = गंगेश्वर्य
अधुना+ एवं =अधुनेव
वसुधा +एवं =वसुधैव
* अ/आ + ओ/औ = औ
परम +औषधि =परमौषधि
परम +ओजस्वी =परमौजस्वी
गंगा +ओघ= गंगौध
महा ओज =महौज
प्र +औद्योगिकी =प्रौद्योगिकी
4. यण स्वर संधि- * इ/ई/3/ऊ/ऋ + असमान स्वर = य. व. र
यदि शुई/उ/ऊ और ऋ के बाद कोई असमान स्वर आ जाए तो इ/ई का यू. उ/ऊ का व् और ऋ का ? हो जाता है;
जैसे-* इ/ई+ असमान स्वर प
अति+ अंत =अत्यंत
परि+अवसान= पर्यवसान
ध्वनि +आतोक =ध्वन्यातोक
अति +आवश्यक =अत्यावश्यक
अति +उत्तम =अत्युत्तम
नारी +आदेश =नारीदेस
* उ/ऊ+ असमान स्वर = व्
अनु +अय =अन्वय
मधु +अरि = मध्वरि
गुरु+औदार्य = गुर्वोदार्य
ऋतु +अन्त =ऋत्वन्त
मधु +आलय =मध्वालय
सु +अच्छ =स्वच्छ
वधू +आगमन =वाध्वागमन
* ऋ + असमान स्वर = र
पितृ+ अनुमति = पित्रनुमति
मातृ +आदेश = मात्रादेश
पितु +आज्ञा =पित्राज्ञा
मातु +इच्छा = मात्रिच्छा
पितृ +उपदेश = पित्रुपदेश
5. अयादि स्वर संधि- ए/ऐ/ओ/औ + असमान स्वर अयु, आय्, अव्, आव
परि+अवसान= पर्यवसान
ध्वनि +आतोक =ध्वन्यातोक
अति +आवश्यक =अत्यावश्यक
अति +उत्तम =अत्युत्तम
नारी +आदेश =नारीदेस
* उ/ऊ+ असमान स्वर = व्
अनु +अय =अन्वय
मधु +अरि = मध्वरि
गुरु+औदार्य = गुर्वोदार्य
ऋतु +अन्त =ऋत्वन्त
मधु +आलय =मध्वालय
सु +अच्छ =स्वच्छ
वधू +आगमन =वाध्वागमन
* ऋ + असमान स्वर = र
पितृ+ अनुमति = पित्रनुमति
मातृ +आदेश = मात्रादेश
पितु +आज्ञा =पित्राज्ञा
मातु +इच्छा = मात्रिच्छा
पितृ +उपदेश = पित्रुपदेश
5. अयादि स्वर संधि- ए/ऐ/ओ/औ + असमान स्वर अयु, आय्, अव्, आव
यदि ए/ऐ ओ और औ के बाद कोई असमान स्वर आ जाए तो ए का अयु, ऐ का आय, ओ का अव और औ का आव हो जाता है।
* ए + असमान स्वर = अय
ने +अन =नयन
चे +अन =चयन
शे+ अन= शवन
* ए + असमान स्वर = अय
ने +अन =नयन
चे +अन =चयन
शे+ अन= शवन
* ऐ असमान स्वर =आय
ने + अक= नायक
गे +इका= गायिका
शै +अक= शायक
दै +अक = दायक
* ओ + असमान स्वर = अव
हो +अन =हवन
प्रसो +अ= प्रसव
श्रो +अन = श्रवण
पो +अन =पवन
गो +एषणा =गवेषणा
* औ असमान स्वर आव्
पौ+ अक= पावक
पौ+ अन=पावन
शौ +अक= शावक
धो +अक =धावक
॥ व्यंजन संधि-
स्वर +व्यंजन,
व्यंजन+ स्वर,
व्यंजन +व्यंजन
* यदि किसी स्वर के बाद व्यंजन आ जाए या व्यंजन के बाद स्वर आ जाए अथवा व्यंजन के बाद व्यंजन ही आ जाए तो, व्यंजन के उच्चारण और लेखन में जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं,
जैसे-
तरु +छाया =तरुच्छाया
वाक्+ ईश =वागीश
उत् +घोष = उद्घोष
यदि वर्ग के प्रथम वर्ण काच/द/त्/प के बाद कोई घोष वर्ण आ जाए (लेकिन पंचम वर्ण को छोड़कर) तो क/च/द/त/प का अपने ही वर्ग का तीसरा अर्थात् ग/ज/ड/द/ब हो जाता है.
तरु +छाया =तरुच्छाया
वाक्+ ईश =वागीश
उत् +घोष = उद्घोष
1. जशत्व व्यंजन संधि-
क/च/द/त्/प + घोष वर्ण (पंचम वर्ण को छोड़कर) = ग/ज/इाद/वयदि वर्ग के प्रथम वर्ण काच/द/त्/प के बाद कोई घोष वर्ण आ जाए (लेकिन पंचम वर्ण को छोड़कर) तो क/च/द/त/प का अपने ही वर्ग का तीसरा अर्थात् ग/ज/ड/द/ब हो जाता है.
जैसे-
वाक +यंत्र =वाम्यंत्र
वाक +देवी = वाग्देवी
ऋक् +वेद =ऋग्वेद
वाक +हरि= वाग्घरि
दिक्+ भ्रम =दिग्भ्रम
वाक +यंत्र =वाम्यंत्र
वाक +देवी = वाग्देवी
ऋक् +वेद =ऋग्वेद
वाक +हरि= वाग्घरि
दिक्+ भ्रम =दिग्भ्रम
क/च/द/त्/प्+ पंचम वर्ण = ङ. ञ, ण, न, म
यदि वर्ग के प्रथम वर्ण क/च/द/त्/प के बाद कोई पंचम वर्ण आ जाए तो काच/दृ/त्/प का अपने ही वर्ग का पाँचवाँ वर्ण हो जाता है,
जैसे-
वाक् + मय = वाङ्गय
दिक+ नाग =दिङ्नाग
वाक् + मंत्र = वाङ्घत्र
दिक +मंडल = दिङ्गंडल
षट् + मास = षण्मास
यदि द्' के बाद 'क, ख, त,थ,प, फ और स' वर्ण आ जाए तो दृ का 'तु हो जाता है;
वाक् + मय = वाङ्गय
दिक+ नाग =दिङ्नाग
वाक् + मंत्र = वाङ्घत्र
दिक +मंडल = दिङ्गंडल
षट् + मास = षण्मास
2. च की व्यंजन संधि-
* द् + क/ख/त/थ/प/फ/स = त्यदि द्' के बाद 'क, ख, त,थ,प, फ और स' वर्ण आ जाए तो दृ का 'तु हो जाता है;
जैसे-
उद् +कर्ष = उत्कर्ष
शरद +काल =शरत्काल
विपद् +काल = विपत्काल
उद् +कोच =उत्कोच
उद् +खनन = उत्खनन
उद् +कर्ष = उत्कर्ष
शरद +काल =शरत्काल
विपद् +काल = विपत्काल
उद् +कोच =उत्कोच
उद् +खनन = उत्खनन
3. अनुनासिक व्यंजन संधि-
(i) म् क से भ तक (पंचम वर्ण को छोड़कर) पंचम वर्णयदि 'म' के बाद क से लेकर भ तक का कोई वर्ण आ जाए (लेकिन पंचम वर्ण को छोड़कर) तो म' का अनुस्वार और पंचम वर्ण दोनों हो जाता है. पंचम वर्ण बनता तो म का ही है. लेकिन अगले वर्ष के वर्ग का बनता है
जैसे-
अलम +कार = अलंकार/अलङ्कार
भयम्+ कर= भयंकर/भयङ्कर
अहम् +कार =अहंकार/अहङ्कार
अलम +कार = अलंकार/अलङ्कार
भयम्+ कर= भयंकर/भयङ्कर
अहम् +कार =अहंकार/अहङ्कार
4 मूर्द्धन्य व्यंजन संधि-
(1) प तथ तका ट तथा थका ठयदि ष के बाद त/ध वर्ण आ जाए तो त कार और ध का ठ हो जाता है.
जैसे-
दृष +ति =दृष्टि
सृष+ ति= सृष्टि
वृष +ति =वृष्टि
उत्कृष+ त =उत्कृष्ट
आकृष+ त =आकृष्ट
दृष +ति =दृष्टि
सृष+ ति= सृष्टि
वृष +ति =वृष्टि
उत्कृष+ त =उत्कृष्ट
आकृष+ त =आकृष्ट
(ii) इ/उ स/थ स काप तथाथ काठ
यदि इ/उ' के बाद 'स/थ' वर्णं आ जाए तो स' का 'ष और थ' का 'ठ' हो जाता है;
जैसे-
वि+ सम= विषम
वि +साद= विषाद
नि +संग= निषंग
नि +सिद्ध =निषिद्ध
अभि+ सेक =अभिषेक
5. च आगम संधि-
* स्वर छ च का आगम
* पदि किसी स्वर के बाद छ वर्षों आ जाए तो स्वर और 'छ के बीच च का आगम हो जाता है.
वि+ सम= विषम
वि +साद= विषाद
नि +संग= निषंग
नि +सिद्ध =निषिद्ध
अभि+ सेक =अभिषेक
5. च आगम संधि-
* स्वर छ च का आगम
* पदि किसी स्वर के बाद छ वर्षों आ जाए तो स्वर और 'छ के बीच च का आगम हो जाता है.
जैसे-
आ+छादन = आच्छादन
वि +छेद =विच्छेद
प्रति +छाया= प्रतिच्छाया
मातृ +छाया =मातृब्छाया
पितु +छाया = पितृछाया
6. अहन की संधि-
(1) अहन र अहो
(ii) अहन र से भित्र वर्ण = अहर
* यदि अहन के बाद र वर्ण आ जाए तो अहन का अहो हो जाता है और यदि अहन के बाद र से भिन्न वर्ष आ जाए तो अहन का अहर हो जाता है।
(1) अहन +अहन = अहो
आ+छादन = आच्छादन
वि +छेद =विच्छेद
प्रति +छाया= प्रतिच्छाया
मातृ +छाया =मातृब्छाया
पितु +छाया = पितृछाया
6. अहन की संधि-
(1) अहन र अहो
(ii) अहन र से भित्र वर्ण = अहर
* यदि अहन के बाद र वर्ण आ जाए तो अहन का अहो हो जाता है और यदि अहन के बाद र से भिन्न वर्ष आ जाए तो अहन का अहर हो जाता है।
(1) अहन +अहन = अहो
अहन +रूप = अहोरूप
अहन+ रश्मि अहोररिम
अहन+ रश्मि अहोररिम
(ii) अहन् + र से भिन्न वर्ण = अहर
अहन्+ मुख = अहर्मुख
अहन+ निशा =अहर्निशा
अहन +अहन् =अहरह
7. 'ण' की संधि-
* क्र/र/प न ण* यदि ऋ/र/ष के बाद कहीं भी न वर्ण आ जाए तो न का ण हो जाता ह
जैसे-
कृष +ना =कृष्णा
तृष+ना= तृष्णा
प्र +मान =प्रमाण
प्र +नाम= प्रणाम
परि +मान =परिमाण
परि +नाम =परिणाम
राम +अयन =रामायण
* विशेष- रामायण' शब्द में तीन संधि होती है।
(1) . दीर्घ स्वर संधि - राम अयन रामायण (अ अ = आ)
कृष +ना =कृष्णा
तृष+ना= तृष्णा
प्र +मान =प्रमाण
प्र +नाम= प्रणाम
परि +मान =परिमाण
परि +नाम =परिणाम
राम +अयन =रामायण
* विशेष- रामायण' शब्द में तीन संधि होती है।
(1) . दीर्घ स्वर संधि - राम अयन रामायण (अ अ = आ)
(II) व्यंजन संधि राम अयन रामायण (न का ण)
(iii) अयादि स्वर संधि - रामै अन रामायण (ऐ का आय)
(iii) अयादि स्वर संधि - रामै अन रामायण (ऐ का आय)
8. त/द की संधि-
त/द च/छ= च्त/द ज/झ =ज्
त/द ट =ट्
त/द ड = इ
त/द ल =ल
त/द श = च्छ
(i) त्/द च/छ च
* यदि त/द' के बाद 'च/छ वर्ण आ जाए तो तु/द' का 'च' हो जाता है:
जैसे-
उत् +चाटन = उच्चाटन
उत् +चारण = उच्चारण
शरत् +चन्द्र =शरच्चन्द्र
उत्+ छिन्न = उच्छिन्न
(ii) त/द + ज/झ = ज
* यदि तु/द के बाद 'ज/झ' वर्ण आ जाए तो त/द् का 'ज' हो जाता है,
उत् +चाटन = उच्चाटन
उत् +चारण = उच्चारण
शरत् +चन्द्र =शरच्चन्द्र
उत्+ छिन्न = उच्छिन्न
(ii) त/द + ज/झ = ज
* यदि तु/द के बाद 'ज/झ' वर्ण आ जाए तो त/द् का 'ज' हो जाता है,
जैसे-
सत् +जन = सज्जन
उत्+ ज्वल =उज्ज्वल
विपत् +जाल= विपज्जाल
वृहत्+ झंकार = वृहज्झंकार
सत् +जन = सज्जन
उत्+ ज्वल =उज्ज्वल
विपत् +जाल= विपज्जाल
वृहत्+ झंकार = वृहज्झंकार
(iii) तु/द + ट = द
* यदि त्/द् के बाद 'ट' वर्ण आ जाए तो तु/द' का ट्' हो जाता है,
जैसे-
तत् +टीका = तट्टीका/तट्टीका
वृहत् + टीका = वृहट्टीका / वृहट्टीका
वृहत् + टंकार = वृहट्टेकार/वृहट्टकार
(iv) त्/द + ड = ड्
* यदि तु/द् के बाद 'ड' वर्ण आ जाए तो तु/द का इ' हो जाता है,
वृहत् + टीका = वृहट्टीका / वृहट्टीका
वृहत् + टंकार = वृहट्टेकार/वृहट्टकार
(iv) त्/द + ड = ड्
* यदि तु/द् के बाद 'ड' वर्ण आ जाए तो तु/द का इ' हो जाता है,
जैसे-
उत् + डीन = उड्डीन
उत् + डयन = उड्डयन
वृहत् + डमरू वृहड्डमरू
(v) त्/द् + ल = ल्
* यदि त/द के बाद 'त' वर्ण आ जाए तो त/द का भी त् हो जाता है;
उत् + डीन = उड्डीन
उत् + डयन = उड्डयन
वृहत् + डमरू वृहड्डमरू
(v) त्/द् + ल = ल्
* यदि त/द के बाद 'त' वर्ण आ जाए तो त/द का भी त् हो जाता है;
जैसे-
उत् +लास =उल्लास
उत् + लेख = उत्तेख
उत् + लंघन = उल्लंघन
उत्+लिखित= उल्लिखित
विद्युत् +लेखा = विद्युत्लेखा
(vi) त्/द + श = च्छ
* यदि त्/द् के बाद 'श' वर्ण आ जाए तो त्/द का 'च' और 'श' का 'छ' हो जाता है;
उत् +लास =उल्लास
उत् + लेख = उत्तेख
उत् + लंघन = उल्लंघन
उत्+लिखित= उल्लिखित
विद्युत् +लेखा = विद्युत्लेखा
(vi) त्/द + श = च्छ
* यदि त्/द् के बाद 'श' वर्ण आ जाए तो त्/द का 'च' और 'श' का 'छ' हो जाता है;
जैसे-
उत्+ शासन = उच्छासन
उत्+ शिष्ट = उच्छिष्ट
उत् +श्रृंखल =उच्छृंखल
शरद +शशि= शरच्छशि
* व्यंजन लोप/विशिष्ट संधि-
मंत्रिन् +परिषद् =मंत्रिपरिषद्
पितृन + हन्ता = पितृहन्ता
युवन् + राज = युवराज
पक्षिन + राज= पक्षिराज
उत्+ शासन = उच्छासन
उत्+ शिष्ट = उच्छिष्ट
उत् +श्रृंखल =उच्छृंखल
शरद +शशि= शरच्छशि
* व्यंजन लोप/विशिष्ट संधि-
मंत्रिन् +परिषद् =मंत्रिपरिषद्
पितृन + हन्ता = पितृहन्ता
युवन् + राज = युवराज
पक्षिन + राज= पक्षिराज
Ⅲ. विसर्ग संधि-
: + स्वर/व्यंजन
* यदि किसी विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन आ जाए तो विसर्ग के उच्चारण और लेखन में जो विकार/ परिवर्तन होता है. उसे विसर्ग संधि कहते हैं,जैसे-
मनः +अभिलाषा = मनोऽभिलाषा/मनोभिलाषा
सरः +वर = सरोवर
मनः +अभिलाषा = मनोऽभिलाषा/मनोभिलाषा
सरः +वर = सरोवर
* विसर्ग संधि-
(1) उत्व विसर्ग संधि
(B) रुत्व विसर्ग संधि
(iii) सत्व विसर्ग संधि1. उत्व विसर्ग संधि- अ/आः घोष वर्ण ओ
यदि विसर्ग से पहले आआ हो और विसर्ग के बाद कोई घोष वर्ण आ जाए तो विसर्ग) का 'ओ हो जाता है.जैसे-
मनः + हर = मनोहर
यशः+दा =यशोदा
मनः+ विज्ञान =मनोविज्ञान
मनः+ बल= मनोबल
सरः+ वर =सरोवर
जैसे-
आयुः +विज्ञान= आयुर्विज्ञान
धनु :+वेद =धनुर्वेद
आविः+ भाव =आविर्भाव
बहिः +अंग= बहिरंग
बहिः+ मुखी= बहिर्मुखी
दुः +गम= दुर्गम
मनः + हर = मनोहर
यशः+दा =यशोदा
मनः+ विज्ञान =मनोविज्ञान
मनः+ बल= मनोबल
सरः+ वर =सरोवर
2. रुत्व विसर्ग संधि- * अ/आ को छोड़कर अन्य स्वरः घोष वर्ण = र
यदि विसर्ग से पहले अ/आ को छोड़कर अन्य स्वर आ जाए और उसके बाद कोई घोष वर्ण आ जाए तो विसर्ग का र हो जाता है:जैसे-
आयुः +विज्ञान= आयुर्विज्ञान
धनु :+वेद =धनुर्वेद
आविः+ भाव =आविर्भाव
बहिः +अंग= बहिरंग
बहिः+ मुखी= बहिर्मुखी
दुः +गम= दुर्गम
3. सत्व विसर्ग संधि- (1) अ/आ + क/प : ज्यों का त्यों
* यदि विसर्ग से पहले अ/आ हो और विसर्ग के बाद काप वर्ण आ जाए तो विसर्ग (:) में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात् विसर्ग ज्यों का त्यों रहता है;जैसे-
मनः+ कामना= मनःकामना
मनः+ कामना= मनःकामना
यशः +कामना =यश कामना
अन्तः +पुर= अन्तःपुर
रजः +कण =रज कण
यदि विसर्ग से पहले इ/उ हो और विसर्ग के बाद क/प/म वर्ण आ जाएँ तो विसर्ग का ए हो जाता है.
जैसे-
आवि +कार =आविष्कार
बहिः +कार =बहिष्कार
बहिः +कृत =बहिष्कृत
चतुः+ पथ =चतुष्पध
चेतुः +कोण =चतुष्कोण
(ii) स्वरः स्वर (अ को छोड़कर) : का लोप
* यदि विसर्ग से पहले स्वर हो और विसर्ग के बाद भी स्वर हो (लेकिन अ को छोड़कर) तो विसर्ग का लोप हो जाता है तथा विसर्ग के बाद आने वाला स्वर स्वतंत्र लिखा जाता है, लेकिन एक ही शिरोरेखा के नीचे लिखा जाता है,
आवि +कार =आविष्कार
बहिः +कार =बहिष्कार
बहिः +कृत =बहिष्कृत
चतुः+ पथ =चतुष्पध
चेतुः +कोण =चतुष्कोण
(ii) स्वरः स्वर (अ को छोड़कर) : का लोप
* यदि विसर्ग से पहले स्वर हो और विसर्ग के बाद भी स्वर हो (लेकिन अ को छोड़कर) तो विसर्ग का लोप हो जाता है तथा विसर्ग के बाद आने वाला स्वर स्वतंत्र लिखा जाता है, लेकिन एक ही शिरोरेखा के नीचे लिखा जाता है,
जैसे-
अत:+ एव =अतएव
ततः+ एवं =ततएव
पयः +आदि= पयोधि
पयः +इच्छा =पयेच्छा
यशः+ इच्छा =यशेच्छा
मनः +उच्छेद =मनोच्छेद
तपः +उत्तम =तपोत्तम
यदि विसर्ग के बाद च/छ श वर्णं आ जाए तो विसर्ग का 'ए' हो जाता है,
अत:+ एव =अतएव
ततः+ एवं =ततएव
पयः +आदि= पयोधि
पयः +इच्छा =पयेच्छा
यशः+ इच्छा =यशेच्छा
मनः +उच्छेद =मनोच्छेद
तपः +उत्तम =तपोत्तम
यदि विसर्ग के बाद च/छ श वर्णं आ जाए तो विसर्ग का 'ए' हो जाता है,
जैसे-
कः +चित् =कश्चित्
अन्त. +चेतना =अन्तक्षेतना
अन्तः +चक्षु =अन्तक्षक्षु
मनः +चिकित्सा =मनश्चिकित्सा
आः+ चर्य =आश्चर्य
निः +छत =निश्छल
हरिः+ चन्द्र= हरिक्षन्द्र
निः +श्वास =निश्वास
८/ठ/प = प
* यदि विसर्ग के बाद 'ट/ठ वर्ण आ जाए तो विसर्ग का प हो जाता है,
कः +चित् =कश्चित्
अन्त. +चेतना =अन्तक्षेतना
अन्तः +चक्षु =अन्तक्षक्षु
मनः +चिकित्सा =मनश्चिकित्सा
आः+ चर्य =आश्चर्य
निः +छत =निश्छल
हरिः+ चन्द्र= हरिक्षन्द्र
निः +श्वास =निश्वास
८/ठ/प = प
* यदि विसर्ग के बाद 'ट/ठ वर्ण आ जाए तो विसर्ग का प हो जाता है,
जैसे-
चतुः टीका = चतुष्टीका
धनुः टकार धनुष्टंकार
त/प/स = स
* यदि विसर्ग के बाद ताप/स' वर्ण आ जाए तो विसर्ग का स हो जाता है
चतुः टीका = चतुष्टीका
धनुः टकार धनुष्टंकार
त/प/स = स
* यदि विसर्ग के बाद ताप/स' वर्ण आ जाए तो विसर्ग का स हो जाता है
; जैसे-
नमः +ते =नमस्ते
अन्तः +तत =अन्तस्तल
निः +तारण =निस्तारण
दुः +तर =दुस्तर
नि +तेज =निस्तेज
शिरः+ त्राण =शिरस्त्राण
(/दुः र = का लोप तथा नि का नी/दु का द्र
* यदि निः/दुः के बाद र वर्ष आ जाए तो, निः दु. में आने वाले का लीप हो जाता है तथा नि और दुः में आने वाले इ और उ का क्रमशः ई और ऊ हो जाता है:
नमः +ते =नमस्ते
अन्तः +तत =अन्तस्तल
निः +तारण =निस्तारण
दुः +तर =दुस्तर
नि +तेज =निस्तेज
शिरः+ त्राण =शिरस्त्राण
(/दुः र = का लोप तथा नि का नी/दु का द्र
* यदि निः/दुः के बाद र वर्ष आ जाए तो, निः दु. में आने वाले का लीप हो जाता है तथा नि और दुः में आने वाले इ और उ का क्रमशः ई और ऊ हो जाता है:
जैसे-
निः +रस =नीरस
नि+रव=नीरव
निः +रस =नीरस
नि+रव=नीरव
संधि के 50 महत्वपूर्ण उदाहरण
1. उद्धत - उत् +हत = व्यंजन सन्धि
2. कंठोष्ठय - कंठ +ओष्ठ्य = गुण सन्धि
3. अन्वय अनु +अय = यण सन्धि
4. किंचित् - किम् + चित् = व्यंजन सन्धि
5. धनानंद धन+ आनन्द = दीर्घ सन्धि
6. एकेक - एक +एक = वृद्धि सन्धि
7. अधीश्वर अधि+ईश्वर = दीर्घ सन्धि
8. अभ्यागत अभि + आगत = यण सन्धि
9. उच्छास उत् + श्वास = व्यंजन सन्धि
10. जगद्वन्धु जगत् + बन्धु = व्यंजन सन्धि
11. तपोवन तपः+ वन = विसर्ग सन्धि
12. अब्ज अप +ज = व्यंजन सन्धि
13. दृष्टान्त दृष्ट अंत = दीर्घ सन्धि
14. दुर्बल- दुः + बल = विसर्ग सन्धि
15. तत्तय तत् +लय = व्यंजन सन्धि
16. नयूर्मि नदी+ ऊर्मि = यण सन्धि
17. अन्तर्राष्ट्रीय अन्तः+ राष्ट्रीय = विसर्ग सन्धि
18. अध्याय अधि +आय = यण सन्धि
19. अभ्यस्त अभि +अस्त = यण सन्धि
20. गत्यनुसार गति +अनुसार = यण सन्धि
21 नयन ने+ अन = अपादि सन्धि
22 नवोढ़ा नव+ ऊढ़ा = गुण सन्धि
23 इत्यादि इति+ आदि = यण सन्धि
24 उद्धरण उत्+ हरण = व्यंजन सन्धि
25 उल्लंघन उत+ लंघन = व्यंजन सन्धि
26 निष्फल निः+ फल = विसर्ग सन्धि
27 दृष्टि- दृष +ति = व्यंजन सन्धि
28 दुश्शासन दु:+ शासन = विसर्ग सन्धि
29 निर्दोष निः +दोष = विसर्ग सन्धि
30 चतुरंग चतुः+ अंग = विसर्ग सन्चि
31. जलौघ जल +ओघ = वृद्धि सन्धि
32. उद्देश्य उत्त +देश्य = व्यंजन सन्धि
33 निर्झर निः+ झर = विसर्ग सन्धि
34 परीक्षा परि +ईक्षा = दीर्घ सन्धि
35 पवन पो+ अन = अयादि सन्धि
36 भूदार भू +उदार = दीर्घ सन्निध
37 पित्रादि पितृ +आदि = यण सन्धि
38 रजःकण रजः +कण = विसर्ग सन्धि
39. विन्यास वि+ नि +आस = यण सन्धि
40 शरच्चंद्र शरत् +चन्द्र = व्यंजन सनिध
41. संभव सम् +भव = व्यंजन सन्धि
42. यथेष्ट - यथा+ इष्ट = गुण सन्धि
43. सरोवर सरः +वर = विसर्ग सन्धि
44. संगठन सम् +गठन = व्यंजन सन्धि
45. गणेश गण +ईश = गुण सन्धि
46. समुद्रोर्मि - समुद्र +ऊर्मि = गुण सन्धि
47. हरिक्षन्द्र हरिः+ चन्द्र = विसर्ग सन्धि
48. सहोदर सह +उदर = गुण सन्धि
49. सप्तर्षि सप्त +ऋषि = गुण सन्धि
50. मतैक्य - मत+ ऐक्य = वृद्धि सन्धि
1. उद्धत - उत् +हत = व्यंजन सन्धि
2. कंठोष्ठय - कंठ +ओष्ठ्य = गुण सन्धि
3. अन्वय अनु +अय = यण सन्धि
4. किंचित् - किम् + चित् = व्यंजन सन्धि
5. धनानंद धन+ आनन्द = दीर्घ सन्धि
6. एकेक - एक +एक = वृद्धि सन्धि
7. अधीश्वर अधि+ईश्वर = दीर्घ सन्धि
8. अभ्यागत अभि + आगत = यण सन्धि
9. उच्छास उत् + श्वास = व्यंजन सन्धि
10. जगद्वन्धु जगत् + बन्धु = व्यंजन सन्धि
11. तपोवन तपः+ वन = विसर्ग सन्धि
12. अब्ज अप +ज = व्यंजन सन्धि
13. दृष्टान्त दृष्ट अंत = दीर्घ सन्धि
14. दुर्बल- दुः + बल = विसर्ग सन्धि
15. तत्तय तत् +लय = व्यंजन सन्धि
16. नयूर्मि नदी+ ऊर्मि = यण सन्धि
17. अन्तर्राष्ट्रीय अन्तः+ राष्ट्रीय = विसर्ग सन्धि
18. अध्याय अधि +आय = यण सन्धि
19. अभ्यस्त अभि +अस्त = यण सन्धि
20. गत्यनुसार गति +अनुसार = यण सन्धि
21 नयन ने+ अन = अपादि सन्धि
22 नवोढ़ा नव+ ऊढ़ा = गुण सन्धि
23 इत्यादि इति+ आदि = यण सन्धि
24 उद्धरण उत्+ हरण = व्यंजन सन्धि
25 उल्लंघन उत+ लंघन = व्यंजन सन्धि
26 निष्फल निः+ फल = विसर्ग सन्धि
27 दृष्टि- दृष +ति = व्यंजन सन्धि
28 दुश्शासन दु:+ शासन = विसर्ग सन्धि
29 निर्दोष निः +दोष = विसर्ग सन्धि
30 चतुरंग चतुः+ अंग = विसर्ग सन्चि
31. जलौघ जल +ओघ = वृद्धि सन्धि
32. उद्देश्य उत्त +देश्य = व्यंजन सन्धि
33 निर्झर निः+ झर = विसर्ग सन्धि
34 परीक्षा परि +ईक्षा = दीर्घ सन्धि
35 पवन पो+ अन = अयादि सन्धि
36 भूदार भू +उदार = दीर्घ सन्निध
37 पित्रादि पितृ +आदि = यण सन्धि
38 रजःकण रजः +कण = विसर्ग सन्धि
39. विन्यास वि+ नि +आस = यण सन्धि
40 शरच्चंद्र शरत् +चन्द्र = व्यंजन सनिध
41. संभव सम् +भव = व्यंजन सन्धि
42. यथेष्ट - यथा+ इष्ट = गुण सन्धि
43. सरोवर सरः +वर = विसर्ग सन्धि
44. संगठन सम् +गठन = व्यंजन सन्धि
45. गणेश गण +ईश = गुण सन्धि
46. समुद्रोर्मि - समुद्र +ऊर्मि = गुण सन्धि
47. हरिक्षन्द्र हरिः+ चन्द्र = विसर्ग सन्धि
48. सहोदर सह +उदर = गुण सन्धि
49. सप्तर्षि सप्त +ऋषि = गुण सन्धि
50. मतैक्य - मत+ ऐक्य = वृद्धि सन्धि
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